दिल्ली: कड़ाके की ठंड में धरना दे रहे एक और किसान की मौत

01:13 pm Dec 17, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

दिल्ली में पाला गिर रहा है और हज़ारों किसान अपनी मांगों को लेकर बॉर्डर्स पर धरने पर बैठे हैं। इनके साथ छोटे बच्चे और महिलाएं भी हैं। ठंड के दिनों में जब रात को तापमान गिरकर 4-6 डिग्री तक पहुंच रहा है तो निश्चित रूप से यह बेहद गंभीर सवाल है कि किसान आख़िर खुले आसमान के नीचे कब तक बैठे रहेंगे और कब सरकार उनकी मांगों को मानेगी। 

बीते कुछ दिनों में सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर कई किसानों की मौत होने की ख़बर आई है और गुरूवार सुबह एक और किसान की मौत हो गई है। 37 साल का यह किसान धरनास्थल पर मृत मिला और बताया गया है कि उसकी मौत ठंड लगने के कारण हुई है। इस किसान के तीन छोटे बच्चे हैं। 8 दिसंबर को सोनीपत के एक किसान की मौत हो गई थी। परिजनों का कहना था कि किसान की मौत ठंड लगने के कारण हुई है। 

किसानों के आंदोलन को 22 दिन हो चुके हैं लेकिन सरकार अपनी बात पर अड़ी है कि वह कृषि क़ानूनों को वापस नहीं लेगी। 

किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि आंदोलन शुरू होने के बाद से अब तक 20 से ज़्यादा किसानों की मौत हो चुकी है और इनमें से अधिकतर की मौत का कारण ठंड है। 

किसानों का कहना है कि वे अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं और तब तक नहीं जाएंगे जब तक ये कृषि क़ानून वापस नहीं हो जाते। उनका कहना है कि ये कृषि क़ानून उनके लिए डेथ वारंट हैं और इनके लागू होने से वे तबाह हो जाएंगे।

सिख धर्म गुरू की आत्महत्या से ग़ुस्सा

इसके अलावा सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन के दौरान बुधवार शाम को सिख धर्म गुरू संत बाबा राम सिंह के ख़ुदकुशी करने के कारण किसानों में जबरदस्त ग़ुस्सा है। संत बाबा राम सिंह ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली। संत बाबा राम सिंह हरियाणा के करनाल के रहने वाले थे। उन्होंने सुसाइड नोट भी छोड़ा है। जिसमें लिखा है कि वह किसानों की बेहद ख़राब हालत के कारण यह आत्मघाती क़दम उठा रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग संत बाबा राम सिंह के कीर्तन को सुनते थे। 

संत बाबा राम सिंह

उन्होंने आगे लिखा है, ‘मैं अपने हक़ के लिए लड़ रहे किसानों का दर्द समझता हूं और सरकार उन्हें इंसाफ़ दिलाने के लिए कुछ नहीं कर रही है। जुल्म करना पाप है तो जुल्म सहना भी पाप है। मैंने ख़ुद की क़ुर्बानी देने का फ़ैसला किया है।’ 65 साल के संत बाबा राम सिंह इन दिनों किसानों के आंदोलन में शामिल होने के लिए सिंघु और टिकरी बॉर्डर जाते थे। 

दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि संत बाबा राम सिंह की आत्मा को शांति मिले। उन्होंने सभी से संयम बनाए रखने की विनती की है। 

दूसरी ओर, पंजाब-हरियाणा और बाक़ी राज्यों से बड़ी संख्या में किसान आंदोलन में पहुंच रहे हैं। ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से आए किसान भी बड़ी संख्या में डटे हुए हैं।