दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार पर कोरोना टीका के कुप्रबंध का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि भारत बायोटेक ने दिल्ली को कोवैक्सिन टीका देने से इनकार कर दिया और इसके लिए टीके की कमी और केंद्र सरकार के निर्देश का हवाला दिया। उन्होंने यह भी कहा है कि कोरोना टीके की कमी से 17 स्कूलों में बने 100 टीका केंद्र बंद कर देने पड़े।
भारत बायोटेक की चिट्ठी
सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा है कि 6.60 करोड़ कोरोना टीके का निर्यात करना सबसे बड़ी ग़लती थी। उन्होंने इस ट्वीट के साथ ही भारत बायोटेक की वह चिट्ठी भी अटैच कर दी है। इस चिट्ठी में 7 मई की चिट्ठी मिलने की पुष्टि की गई है और कोवैक्सीन टीके के प्रति दिलचस्पी के लिए दिल्ली सरकार की तारीफ की गई है।
उस ख़त में कहा गया है, 'हमारे टीके की माँग अभूतपूर्व ढंग से बढ़ गई है और हर महीने उत्पादन बढ़ाने के बावजूद हम माँग नहीं पूरी कर पा रहे हैं। इसके अलावा हम संबंधित सरकारी अफ़सरों के निर्देश के मुताबिक ही टीके भेज रहे हैं। इसलिए हम खेदपूर्वक यह कह रहे हैं कि आपकी माँग के अनुकूल अतिरिक्त टीकों की आपूर्ति हम आपको नहीं कर पा रहे हैं।'
क्या कहना है दिल्ली का?
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दिल्ली सरकार ने 1.34 करोड़ वैक्सीन की माँग की थी, जिसमें कोवीशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही वैक्सीन शामिल थीं।उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार ने 67 लाख कोवैक्सीन माँगी थी, लेकिन भारत बायोटेक की चिट्ठी से यह साफ हो गया है कि केंद्र सरकार ही तय करेगी कि किसको कितनी वैक्सीन मिलेगी और कब मिलेगी। सिसोदिया ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि केंद्र सरकार अपनी भूमिका निभाए और टीकों का निर्यात तुरन्त बंद कर दे।
कंपनी की सफाई
भारत बायोटेक की सह संस्थापक सुचित्रा एल्ला ने कहा है, 'कोवैक्सीन ने 10 मई 2021 को 18 राज्यों को छोटी खेप के रूप में सप्लाई भेजी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राज्य हमारे इरादे को लेकर शंका जता रहे हैं। हमारे 50 कर्मचारी कोविड से प्रभावित से प्रभावित होने के कारण काम से बाहर हैं, इसके बावजूद हम आपके लिए हर दिन, 24 घंटे काम कर हैं।'इसके पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि इन दोनों कंपनियों सीरम इंस्टीच्यूट और भारत बायोटेक की उत्पादन क्षमता सीमित है और टीके की माँग बढ़ती ही जा रही है, लिहाज़ा, इन दोनों से फार्मूला लेकर जितनी भी कंपनियां वैक्सीन बना सकती हैं उनको दे दिया जाए और बड़े स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन करवाया जाए।
उन्होंने यह भी कहा था कि यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में जहाँ से भी वैक्सीन मिले, वहाँ से लेकर राज्य सरकारों को उपलब्ध करवाए।