पर्यावरण के मुद्दों पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता दिशा रवि की एक याचिका पर केंद्र सरकार ने अब तक दिल्ली हाई कोर्ट में जवाब दाख़िल नहीं किया है। इसे लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार को 17 मार्च को अंतिम मौक़ा दिया गया था।
जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा, “भारत सरकार के लिए क्या कोई आख़िरी या अंतिम मौक़ा नहीं होता। यह ख़राब बात है। फिर अदालत की इस बात का क्या मतलब रह जाता है कि यह आख़िरी मौक़ा है। यह समझना मुश्किल है। अदालत की गरिमा का क्या होगा।”
अदालत दिशा रवि की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उसने मांग की थी कि उसके ख़िलाफ़ दर्ज मामले से जुड़ी किसी भी जांच सामग्री को पुलिस को मीडिया में लीक करने से रोका जाए। याचिका में दिशा ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल द्वारा की गई उसकी गिरफ़्तारी को पूरी तरह से ग़ैर-क़ानूनी और इस कार्रवाई को बेबुनियाद बताया है।
छह हफ़्ते का दिया वक़्त
अदालत इस मामले में केंद्र सरकार पर जुर्माना लगा सकती थी लेकिन केंद्र की ओर से पेश हुए अजय दिग्पॉल ने कहा कि कोरोना के कारण अफ़सर दफ़्तर नहीं आ सके और इस वजह से जवाब दाख़िल नहीं किया जा सका। इस पर अदालत ने जवाब दाख़िल करने के लिए केंद्र सरकार को छह हफ़्ते का वक़्त दिया। अब इस मामले में अगस्त में सुनवाई होगी।
‘रत्ती भर भी सबूत नहीं’
23 फ़रवरी को जब दिशा रवि को जमानत मिली थी तो दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा था कि जिन आरोपों के तहत दिशा को गिरफ़्तार किया गया है उसके लिए रत्ती भर भी सबूत नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि 22 साल की एक ऐसी लड़की जिसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, उसे ज़मानत नहीं देने का कोई कारण नहीं है। अदालत ने असहमति की आवाज़ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को लेकर सख़्त टिप्पणियां भी की थीं।
दिशा पर क्या है आरोप?
दिशा पर आरोप है कि उसने एक टूलकिट को तैयार करने और इसे सोशल मीडिया पर आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। पुलिस का दावा है कि इस टूलकिट के पीछे सिख अलगाववादी संगठन पोएटिक जस्टिस फ़ाउंडेशन (पीजेएफ़) का हाथ है। दिशा को इस साल 13 फरवरी को गिरफ़्तार कर लिया गया था। यह टूलकिट केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों को लेकर बनाया गया था।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक़, दिशा ने मुंबई की वकील निकिता जैकब और पुणे के इंजीनियर शांतनु के साथ मिलकर टूलकिट को तैयार किया था। इस टूलकिट को स्वीडन की पर्यावरणविद् ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) ने ट्वीट किया था। दिशा रवि ने अदालत को बताया था कि उसने इस टूलकिट को नहीं बनाया है और वह सिर्फ़ किसानों का समर्थन करना चाहती थी। दिशा के मुताबिक़, 3 फ़रवरी को उसने इस टूलकिट की दो लाइनों को एडिट किया था।