आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने मंगलवार को कहा है कि उनके घर पर हमला हुआ है। संजय सिंह इन दिनों अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ख़रीदी गई ज़मीन में कथित घपले को जोर-शोर से उठा रहे हैं।
सांसद ने कहा कि दिल्ली में नॉर्थ एवेन्यू स्थित उनके सरकारी घर पर यह हमला हुआ और यह राष्ट्रपति के घर से महज 100 मीटर की दूरी पर है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेता जितने चाहे हमले करवा लें, हत्या करवा लें लेकिन वे राम मंदिर निर्माण में अगर चंदा चोरी होगा तो एक नहीं एक हज़ार बार बोलेंगे।
बीजेपी नेताओं पर लगाया आरोप
सांसद ने कहा कि चंदा चोरी होना करोड़ों राम भक्तों का अपमान है। उन्होंने एएनआई से बातचीत में कहा कि बीजेपी के सारे नेता उन पर हमला करने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं, पूरा बीजेपी नेतृत्व उन पर हमलावर हो गया है। सांसद ने कहा कि उनके घर पर हमला करने वालों को पुलिस पकड़कर ले गयी है लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करेगी।
संजय सिंह ने एएनआई से कहा कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उनके ख़िलाफ़ 14 मुक़दमे दर्ज कर दिए हैं लेकिन वे चंदा चोरों को बेनक़ाब करेंगे और उन्हें जेल भिजवाकर ही मानेंगे।
क्या है ज़मीन का मामला?
संजय सिंह ने रविवार को लखनऊ में दस्तावेज़ जारी कर आरोप लगाया था कि कुसुम पाठक और हरीश पाठक से सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने यह ज़मीन 7.10 मिनट पर ख़रीदी थी और 5 मिनट बाद इसे रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में ख़रीद लिया।
उन्होंने पूछा कि 5 मिनट में ही क्या ज़मीन को इतना महंगा ख़रीदने का प्रस्ताव पारित हो गया। उन्होंने सवाल पूछा था कि क्या 5.50 लाख रु प्रति सेकेंड ज़मीन महंगी हो सकती है?
क्या कहा था चंपत राय ने?
इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद चंपत राय ने सोमवार को एक विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि जिस ज़मीन को लेकर मीडिया में शोर हो रहा है वह रेलवे स्टेशन के पास की एक प्रमुख जगह है।
ट्रस्ट के महामंत्री राय के मुताबिक़, इस ज़मीन को ख़रीदने के लिए वर्तमान विक्रेतागणों ने सालों पहले जिस मूल्य पर रजिस्टर्ड अनुबंध किया था, उस ज़मीन का उन्होंने 18 मार्च, 2021 को बैनामा कराया और फिर ट्रस्ट के साथ अनुबंध किया।
राय ने कहा कि श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ने अब तक जितनी भी ज़मीन ख़रीदी है, वह खुले बाज़ार की क़ीमत से बहुत कम मूल्य पर ख़रीदी है। लेकिन संजय सिंह ने बैनामे का कागज दिखाकर जिसमें कहा गया है कि बेची गई ज़मीन सभी प्रकार के भारों-प्रभारों से मुक्त है, राय के दावे को झूठा बताया था।