क्या G-23 गुट कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में अपना उम्मीदवार उतार सकता है। यह वही G-23 गुट है जिसकी ओर से 2019 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर यह मांग उठाई गई थी कि पार्टी में बड़े बदलाव किए जाने चाहिए और नए अध्यक्ष का चुनाव भी होना चाहिए।
बता दें कि कांग्रेस का नया अध्यक्ष कौन होगा इसे लेकर असमंजस बरकरार है। क्योंकि राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनने से पूरी तरह इनकार कर दिया है। लेकिन खबरों के मुताबिक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं।
गहलोत मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले। इस दौरान सोनिया गांधी ने उनसे कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने का आग्रह किया।
लेकिन गहलोत ने कहा है कि वह इस बारे में नहीं जानते और उन्हें यह सब मीडिया से पता चला है। उन्होंने कहा कि जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है, वह उसे पूरा कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 21 अगस्त से शुरू होनी थी लेकिन राहुल गांधी के रूख की वजह से चुनाव कार्यक्रम जारी नहीं हो सका। जबकि कांग्रेस ने एलान किया था कि नया अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया 21 अगस्त से शुरू हो जाएगी और 20 सितंबर 2022 तक पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा।
रविवार को होगी बैठक
इसे लेकर मीडिया में चर्चा होने के बाद कांग्रेस ने कहा है कि अध्यक्ष के चुनाव के संबंध में रविवार को कांग्रेस कार्य समिति यानी सीडब्ल्यूसी की वर्चुअल बैठक बुलाई जाएगी। सोनिया गांधी के इलाज के लिए उनके साथ विदेश गए राहुल और प्रियंका गांधी भी इस बैठक में शामिल होंगे।
अशोक गहलोत के बारे में कहा जा रहा है कि वह अध्यक्ष पद के लिए गांधी परिवार की पसंद हैं। अशोक गहलोत को गांधी परिवार का बेहद वफादार भी समझा जाता है। लेकिन एक नई चर्चा यह छिड़ गई है कि G-23 गुट भी अध्यक्ष के चुनाव में अपने उम्मीदवार को उतारेगा।
2001 का चुनाव
इससे पहले साल 2001 में जब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान हुआ था तब जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन उन्हें बुरी तरह हार मिली थी।
उस चुनाव में सोनिया गांधी को 7448 वोट मिले थे जबकि जितेंद्र प्रसाद को सिर्फ 94 मत मिले थे। इसी तरह 1997 में सीताराम केसरी ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था तो उन्हें उस वक्त कांग्रेसी रहे शरद पवार और दिवंगत नेता राजेश पायलट ने चुनौती दी थी। उस चुनाव में सीताराम केसरी को 6224 वोट मिले थे शरद पवार को 882 और राजेश पायलट को 300 वोट मिले थे। उसके बाद से सोनिया और राहुल गांधी को अध्यक्ष पद के चुनाव में किसी तरह की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, G-23 गुट के नेताओं का मानना है कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में अपने उम्मीदवार को जरूर उतारना चाहिए। इस गुट के नेताओं का कहना है कि जिस तरह और जिस तरीके से पार्टी को चलाया जा रहा है उसे बदले जाने की जरूरत है।
G-23 गुट के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एक उम्मीदवार को मैदान में उतारने की तैयारी चल रही है। हम वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह एआईसीसी को चलाया जा रहा है उस तरह हम इसे चलाने नहीं दे सकते।
हाल ही में इस गुट के दो बड़े नेताओं गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने पार्टी हाईकमान को झटका दिया है। दोनों नेताओं ने उन्हें चुनावी राज्यों जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में पार्टी की ओर से दी गई जिम्मेदारियों से इस्तीफा दे दिया था।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा अध्यक्ष के चुनाव में उम्मीदवार बनने के इच्छुक नहीं हैं। कुछ नेताओं का कहना है कि शशि थरूर और मनीष तिवारी अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ सकते हैं। दोनों ही नेता काफी मुखर हैं और अपनी बातों को हिंदी व अंग्रेजी में बेहतर ढंग से रखते हैं। दोनों ही नेता केंद्र की सरकारों में मंत्री भी रहे हैं।
मनीष तिवारी कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई और युवक कांग्रेस से होते हुए पार्टी में एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। जबकि शशि थरूर भी जाने-पहचाने चेहरे हैं और मोदी लहर में भी चुनाव जीतकर आए हैं। तिवारी पंजाब से जबकि थरूर केरल से आते हैं।
टक्कर दे पाएगा G-23 गुट?
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी के कुल 9,100 मतदाता मतदान करेंगे। सवाल यह है कि अगर G-23 गुट ने अपने किसी नेता को चुनाव मैदान में उतार दिया तो क्या वह गांधी परिवार के द्वारा उतारे गए उम्मीदवार को टक्कर दे पाएगा। क्योंकि यहां याद दिलाना होगा कि शरद पवार और राजेश पायलट जैसे बड़े नेता भी सीताराम केसरी से बुरी तरह पराजित हुए थे। देखना होगा कि G-23 गुट क्या करता है।