राहुल के लेख पर कांग्रेस-भाजपा में तलवारें खिंचीं, सिंधिया को अंग्रेजों का पिट्ठू बताया

05:55 pm Nov 07, 2024 | सत्य ब्यूरो

कांग्रेस ने गुरुवार को "एकाधिकारवादियों (मोनोपली उद्योगपति) की नई नस्ल" पर राहुल गांधी के लेख की भाजपाई आलोचना का करारा जवाब दिया। कांग्रेस ने भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को याद दिलाया कि कैसे सिंधिया शासकों ने ब्रिटिश काल के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी का "समर्थन" किया था। केंद्रीय मंत्री पर कांग्रेस का तंज तब आया जब सिंधिया ने बुधवार को इंडियन एक्सप्रेस में गांधी के लेख को टैग किया और कहा, "जो लोग नफरत बेचते हैं उन्हें भारतीय गौरव और इतिहास पर भाषण देने का कोई अधिकार नहीं है।"

सिंधिया ने एक्स पर बुधवार को एक पोस्ट में कहा, "भारत की समृद्ध विरासत के बारे में राहुल गांधी की अज्ञानता और उनकी औपनिवेशिक मानसिकता ने सभी हदें पार कर दी हैं।"

सिंधिया की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने गुरुवार को कहा, ''महामहिम सिंधिया जी, आपने एकाधिकारवादी निगम (मोनोपली कॉरपोरेट) पर राहुल जी के हमले को कुछ ज्यादा ही व्यक्तिगत तौर पर ले लिया। इस कॉरपोरेट ने नवाबों, राजाओं और भारत के राजकुमारों को डराकर भारत को गुलाम बनाकर लूटा था।''

खेड़ा ने लिखा- श्रीमंत जयाजीराव सिंधिया, जो उस समय ग्वालियर के शासक थे, उन्होंने अपनी सेना को ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद के लिए भेजा और विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई करवाई। इतिहास में यह स्पष्ट है कि श्रीमंत जयाजीराव ने उस एकाधिकारवादी निगम का साथ दिया। हम उनकी वतन परस्ती पर शक नहीं करते, उन पर दबाव रहा होगा। उसी दबाव का ज़िक्र राहुल जी ने अपने लेख में भी किया है।

पवन खेड़ा ने आगे विस्तार देते हुए लिखा है- खैर, ग्वालियर की सेना के कई सैनिक और अधिकारी विद्रोह में शामिल हो गए थे, क्योंकि उन्होंने अपने डर से पार पा लिया था। हिंदुस्तानी बागियों के नेता रहे तात्या टोपे और रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर प र क़ब्ज़ा कर लिया था। श्रीमंत जयाजीराव सिंधिया को अपना महल छोड़कर भागना पड़ा, लेकिन बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद से उन्होंने फिर से ग्वालियर पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। इस प्रकार औपचारिक रूप से सिंधिया शासकों ने ईस्ट इंडिया कंपनी का समर्थन किया, लेकिन उनकी सेना के कई सदस्य स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए, क्योंकि जनता शासकों से ज्यादा समझदार, वतन परस्त और बेख़ौफ़ थी।

खेड़ा ने लिखा है- बाद के वर्षों में भी सिंधिया परिवार ने आमतौर पर ब्रिटिश राज के साथ सहयोग की नीति अपनाई थी। सिंधिया जी, इतिहास हमें सबक लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है, ना कि झूठी मनघड़त बातों के सहारे जीने के लिए. भारत में भूत (Past) चढ़ना इसी को कहते हैं. खैर मैंने आपका भूत (Past) 1857 में उस एकाधिकारवादी निगम से हिंदुस्तानियों की बगावत के सच्चे इतिहास से उतारने की कोशिश की है। उम्मीद है कि उतर गया होगा।

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने अंत में लिखा है- वरना मुझे आपके आवास पर एक पूरा बंडल इतिहास की किताबों का भिजवाना पड़ेगा ताकि आपका भूत (Past) उतरे। और दूसरा मुझे देश के किसान, मजदूरों, दलित आदिवासियों से एक ट्रक हौंसला भी भिजवाना पड़ेगा जिससे आप देश में अभी हाल ही में चल रहे एकाधिकारवादी निगम के खिलाफ बोलने के लिए तगड़े हो सकें।

अपने पोस्ट में सिंधिया ने कहा था, 'अगर आप (राहुल) देश के 'उत्थान' का दावा करते हैं, तो भारत माता का अपमान करना बंद करें और महादजी सिंधिया, युवराज बीर टिकेंद्रजीत, कित्तूर चेन्नम्मा और रानी वेलु नचियार जैसे सच्चे भारतीय नायकों के बारे में जानें, जिन्होंने जमकर हमारी आज़ादी के लिए लड़े।"

सिंधिया ने कहा, "अपने स्वयं के विशेषाधिकार के बारे में आपकी भूलने की बीमारी वास्तव में प्रतिकूल परिस्थितियों के खिलाफ प्रयास करने वालों के प्रति अहित है। आपका रवैया केवल कांग्रेस के एजेंडे को उजागर करता है - राहुल गांधी आत्मनिर्भर भारत के चैंपियन नहीं हैं; वह केवल एक पुराने अधिकार का उत्पाद हैं।" .