ट्रांसजेंडर्स को लेकर संदेश देती है फ़िल्म 'लक्ष्मी'

08:01 am Nov 11, 2020 | दीपाली श्रीवास्तव - सत्य हिन्दी

फ़िल्म- लक्ष्मी

डायरेक्टर- राघव लॉरेंस

स्टार कास्ट- अक्षय कुमार, कियारा आडवाणी, शरद केलकर, आयशा रज़ा मिश्रा, अश्विनी कालसेकर, मनु ऋषि, राजेश शर्मा

स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म- हॉटस्टार

शैली- हॉरर-कॉमेडी

रेटिंग- 2.5/5

ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म हॉटस्टार पर फ़िल्म 'लक्ष्मी' रिलीज़ हो गई है। अक्षय कुमार स्टारर इस फ़िल्म का सभी को बेसब्री से इंतज़ार था। तमिल की हिट फ़िल्म 'कंचना' की हिंदी रिमेक फ़िल्म 'लक्ष्मी' का निर्देशन राघव लॉरेंस ने ही किया है। फ़िल्म का पहले नाम 'लक्ष्मी बॉम्ब' था, विवाद के चलते इसका नाम बदलकर सिर्फ़ 'लक्ष्मी' कर दिया गया। फ़िल्म 'लक्ष्मी' में लीड रोल में अक्षय कुमार, कियारा आडवाणी, शरद केलकर और अन्य स्टार्स हैं। हॉरर-कॉमेडी फ़िल्म 'लक्ष्मी' में भूत-प्रेत के साथ ही देश में ट्रांसजेंडर की क्या दशा है और उनके साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता है। इसे लेकर दिखाया गया है। तो आइये जानते हैं कि फ़िल्म की कहानी क्या है-

फ़िल्म की कहानी

आसिफ (अक्षय कुमार) भूत-प्रेत में विश्वास नहीं रखता, उसका कहना है जिस दिन भूत देख लूँगा चूड़ियाँ पहन लूँगा। आसिफ के साथ उसकी पत्नी रश्मि (कियारा आडवाणी) रहती हैं। रश्मि अपने पति आसिफ के साथ अपने मायके आती है और यहाँ एक पुरानी हवेली है जिसमें भूत-प्रेत होने की अफवाह है। रश्मि की माँ (आयशा रज़ा मिश्रा) और भाभी (अश्विनी कालसेकर) को लगता है कि घर में किसी का साया है। दोनों पूजा-पाठ कराती है तो मालूम पड़ता है कि आसिफ के अंदर बुरी आत्मा घुस गई है। आत्मा आसिफ के शरीर में घुसकर एक के बाद एक हत्या करने लगती है। इस बुरी आत्मा से मुक्ति दिलाने के लिए एक बाबा आते हैं और तब पता चलता है कि बुरी आत्मा अपना एक बदला ले रही है।

आख़िर किसका बदला लेने आई है यह आत्मा सिर्फ़ आसिफ के शरीर में ही क्यों घुसती है और क्या यह सब को मार देगी इस आत्मा से मुक्ति मिलेगी भी या नहीं यह सब जानने के लिए आपको स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म हॉटस्टार पर 2 घंटे की फ़िल्म 'लक्ष्मी' देखनी पड़ेगी।

ट्रांसजेंडर्स का मुद्दा उठाती है यह फ़िल्म

फ़िल्म में अक्षय कुमार ने एक किन्नर का किरदार निभाया है। उनके साथ इस किरदार को एक्टर शरद केलकर ने भी निभाया। हमारे देश और समाज में थर्ड जेंडर यानी ट्रांसजेंडर्स को बराबरी का दर्जा नहीं दिया जाता। जो एक आम महिला या पुरुष को मिलता है। जबकि अब अगर हम कोई फ़ॉर्म भरते हैं तो उसमें भी तीन ऑप्शन होते हैं, महिला, पुरुष और ट्रांसजेंडर। उसके बाद भी लोग उन्हें अलग नज़र से ही देखते हैं। फ़िल्म में यह बताया जाता है कि अगर कोई बच्चा अलग है यानी ट्रांसजेंडर है, तो उसके साथ भेदभाव न करते हुए उसे भी समान शिक्षा दी जाए। उसे समाज से बाहर का न समझा जाए।

निर्देशन

निर्देशक राघव लॉरेंस ने फ़िल्म का बेहतरीन तरीक़े से निर्देशन किया है और इससे पहले वह तमिल की हिट फ़िल्म 'कंचना'  का भी निर्देशन कर चुके हैं। हिंदी फ़िल्म को भी अच्छे से बनाने में राघव कामयाब हुए हैं लेकिन फ़िल्म की कहानी के साथ न्याय नहीं कर पाये। फ़िल्म के गाने एवरेज हैं लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक और सिनेमैटोग्राफ़ी काफ़ी अच्छी है।

एक्टिंग

एक्टिंग की बात करें तो अक्षय कुमार ने किन्नर के किरदार को काफ़ी अच्छे से निभाया है और उन्होंने किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय किया है। शरद केलकर ने भी किन्नर का किरदार निभाया है और उन्होंने अपनी एक्टिंग से एक अलग छाप छोड़ी है। उनके चेहरे के भाव और एक्टिंग सबकुछ काफ़ी रियलिस्टिक लगते हैं। कियारा आडवाणी ने अपने किरदार को ठीक-ठाक निभाया है। एक्ट्रेस के किरदार के पास ज़्यादा कुछ करने को नहीं था। इसके अलावा अन्य स्टार्स आयशा रज़ा मिश्रा, अश्विनी कालसेकर, मनु ऋषि और राजेश शर्मा ने अच्छी एक्टिंग की है।

फ़िल्म 'लक्ष्मी' हॉरर-कॉमेडी है और मनोरंजक भी है, इसे आप आराम से देख सकते हैं लेकिन अगर इसकी तुलना तमिल फ़िल्म 'कंचना' से करेंगे तो आप निराश होंगे। फ़िल्म 'कंचना' के आगे 'लक्ष्मी' काफ़ी कमज़ोर रह गई है। फ़िल्म में स्टार्स की परफॉर्मेंस अच्छी है लेकिन कहानी काफ़ी कमज़ोर रह गई। कहानी में कुछ ख़ास सस्पेंस नहीं है और कई जगहों पर जबरदस्ती की कॉमेडी को दिखाया गया है। अगर आप फ़िल्म को हॉरर समझकर देखेंगे तो इसमें कुछ ख़ास हॉरर नहीं मिलेगा लेकिन एक अच्छा संदेश फ़िल्म 'लक्ष्मी' से ज़रूर मिलेगा।