छत्तीसगढ़: सरकारी भवनों के निर्माण पर लगी रोक, उधर, सेंट्रल विस्टा जारी

04:39 pm May 13, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा गुरूवार को लिए गए एक फ़ैसले की ख़ूब तारीफ़ हो रही है। बघेल ने ट्वीट कर बताया है कि उनकी सरकार ने कोरोना काल से पहले प्रदेश में नए विधानसभा भवन, राजभवन, मुख्यमंत्री निवास, मंत्रीगणों व वरिष्ठ अधिकारियों के आवास, नये सर्किट हाउस इत्यादि के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था लेकिन संकट के इस समय में इन सभी निर्माण कार्य पर रोक लगाई जा रही है। बघेल ने कहा है कि उनके नागरिक ही उनकी प्राथमिकता हैं। 

निश्चित रूप से जब देश इतनी बड़ी त्रासदी से गुजर रहा हो तो कोशिश होनी चाहिए कि इस त्रासदी से पहले निपटा जाए, लोगों की जान बचाई जाए, मंत्रियों, नेताओं के आवास तो आगे भी बनते रहेंगे। 

20 हज़ार करोड़ का प्रोजेक्ट

लेकिन दूसरी ओर देश की राजधानी दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम जोर-शोर से चल रहा है। सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना हो रही है और कहा जा रहा है कि महामारी के इस दौर में इस प्रोजेक्ट पर 20 हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च करने का क्या मतलब है। वह भी तब, जब देश में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद लचर हों और हज़ारों लोग बीते डेढ़ महीने में कोरोना महामारी के कारण अपनी जान गंवा चुके हों। 

मोदी सरकार अड़ी

लेकिन मोदी सरकार है कि मानती ही नहीं, वह सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम न सिर्फ़ जोर-शोर से जारी रखे हुए है बल्कि उसने दिल्ली हाई कोर्ट में हलफ़नामा देकर कहा है कि इस प्रोजेक्ट के विरोधियों की याचिका को खारिज कर दिया जाए और याचिका दायर करने वालों पर ज़ुर्माना भी लगाया जाए। 

राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के अलावा आम लोगों का भी कहना है कि इस बेहद ख़राब वक़्त में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के काम को रोक दिया जाना चाहिए था। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत एक नए संसद भवन के साथ ही प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास के साथ कई मंत्रालयों के कार्यालय और केंद्रीय सचिवालय भी बनाया जाएगा। 

भूपेश बघेल के इस फ़ैसले के बाद तमाम कांग्रेसियों ने बीजेपी से पूछा है कि क्या वह सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को रोकेगी। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता रागिनी नायक ने ट्वीट कर पूछा है कि क्या मोदी जी इस बार ‘राज-धर्म’ निभाएंगे? 

कुछ पत्रकारों और सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों ने बघेल के इस फ़ैसले को लेकर कहा है कि अब विपक्ष की ओर से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर और मजबूती से सवाल पूछा जाएगा। 

निश्चित रूप से बघेल का यह फ़ैसला सराहनीय है और इससे मोदी सरकार पर दबाव ज़रूर बनेगा, भले ही वह अपने रूख़ पर अड़ी रहे।

‘बाद में बन जाता पीएम आवास, मंदिर’

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के जाने-माने क्लासिकल गायक रहे राजन मिश्रा के बेटे रजनीश मिश्रा ने भी ‘द टेलीग्राफ़’ से कहा, “हम सब जानते हैं कि हमारे देश का स्वास्थ्य ढांचा पूरी तरह ढह चुका है। आपके पास मंदिर या प्रधानमंत्री आवास या राष्ट्रपति भवन बनाने के लिए पैसा है, इन चीजों को रोका जा सकता है। अभी हमें पैसे को स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश करने की ज़रूरत है जिससे हमारी तरह दूसरे परिवार परेशान न हों।” 

सरकार को नहीं पड़ेगा फर्क?

मोदी सरकार और बीजेपी के वर्तमान रूख़ को देखते हुए कोई नहीं कह सकता कि उन्हें बघेल के इस फ़ैसले से रत्ती भर भी फर्क पड़ने वाला है। दिल्ली हाई कोर्ट में दिया उनका हलफ़नामा हो या सोशल मीडिया पर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के बचाव का ढंग, उससे नहीं लगता कि सरकार इस प्रोजेक्ट को रोकेगी। 

लेकिन इस प्रोजेक्ट का पैसा ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटिलेटर्स, अस्पतालों में अन्य सुविधाओं में लगता तो आम लोगों को उसका फ़ायदा होता लेकिन इन बातों को कहने का तब कोई मतलब है, जब कोई सुनने वाला हो। मोदी सरकार न अपनी आलोचना सुनने को तैयार है और न ही सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर हो रही उसकी लानत-मलानत को। 

बीजेपी को विदा किया था

भूपेश बघेल वह शख़्स हैं, जिनके प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए 15 साल से छत्तीसगढ़ की सत्ता में बैठी बीजेपी की विदाई हुई थी। जबकि वहां रमन सिंह का हारना बेहद मुश्किल लग रहा था। मुख्यमंत्री पद के चार दावेदारों के बीच कांग्रेस आलाकमान ने बघेल को ही चुना था और उसके बाद से ही बघेल ने आलाकमान की नज़रों में अपना सियासी क़द बढ़ाया है।