जेपी नड्डा के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद भाजपा यानी मोदी-शाह को नए पार्टी अध्यक्ष की तलाश है। पिछले दो कार्यकाल में राष्ट्रीय अध्यक्षों की नियुक्ति में पार्टी का एक सिस्टम रहा है। 2014 में जब तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह केंद्रीय मंत्री बने, तो उन्होंने अमित शाह को कमान सौंप दी। हालांकि यह कमान नरेंद्र मोदी के आग्रह पर ही सौंपी गई थी। 2019 में शाह के केंद्रीय गृह मंत्री बनने के बाद जून 2019 में जेपी नड्डा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह जनवरी 2020 में मोदी-शाह के आशीर्वाद से पूर्णकालिक अध्यक्ष बने। इस साल जनवरी में अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल खत्म हो गया था। लेकिन मोदी-शाह ने इस पर किसी की नियुक्ति नहीं की।
जो चर्चा में थे मंत्री बन गए
नए पार्टी अध्यक्ष पद के लिए जो नाम चर्चा में थे, उन्हें पहले ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा चुका है। एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव जैसे नेताओं के नाम अगले अध्यक्ष के रूप में चर्चा में थे। लेकिन इन सभी नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। ऐसे में इनसे किसी के बनने की संभावना क्षीण है। क्योंकि फिर जेपी नड्डा को ही बनाए रखने में क्या हर्ज है।विनोद तावड़े या सुनील बंसल
हालांकि अध्यक्ष भाजपा का बनना है, लेकिन फैसला मोदी और शाह को ही लेना है। भाजपा संगठन से इस पद के लिए दो नामों की अटकलें लगाई जा रही हैं - महासचिव विनोद तावड़े और सुनील बंसल। विनोद तावड़े महाराष्ट्र से हैं और राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने से पहले राज्य सरकार में मंत्री थे। वर्तमान में, वह बिहार के प्रभारी महासचिव हैं और लोकसभा अभियान के दौरान कई प्रमुख जिम्मेदारियाँ संभाली हैं। हालांकि उन्हें आरएसएस से भाजपा में लाया गया था लेकिन अब वो पूरी तौर पर पार्टी के लिए ही समर्पित हो गए हैं।
सुनील बंसल एक अन्य नेता हैं जो राज्य महासचिव (संगठन) के रूप में पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश का नेतृत्व करने के बाद प्रमुखता से उभरे। यूपी के बाद, बंसल को पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना के प्रभारी महासचिव के रूप में राष्ट्रीय कार्यभार दिया गया। लोकसभा अभियानों के दौरान, बंसल ने देश भर में कॉल सेंटरों को भी संभाला, फीडबैक एकत्र किया और जमीन पर पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया। बंसल ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व यानी मोदी-शाह का विश्वास जीत लिया है और बारीकी से काम करने का नाम बन गए हैं।
दरअसल, 2014 में भाजपा संगठन पर पूरी तरह कब्जा करने के बाद मोदी-शाह अब अपनी पकड़ को ढीला नहीं छोड़ना चाहते। इसीलिए इस पद पर अपने ही किसी खास को बैठाना चाहते हैं। ऐसी भी संभावना है कि नए अध्यक्ष की तलाश पूरी होने तक मोदी-शाह कुछ समय तक नड्डा को ही सारा काम देखने को कह सकते हैं। इधर नड्डा ने पार्टी संगठन में अपने भरोसेमंद लोगों की जमात खड़ी कर दी है। जिसमें से पंजाब से लाए गए तरुण चुघ मुख्य हैं।