बिहार: डैमेज कंट्रोल, बीजेपी के पोस्टर में वापस आए नीतीश

10:14 am Oct 28, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ दिन पहले नीतीश कुमार तब ख़ासे परेशान हो गए थे, जब बीजेपी की ओर से जारी पोस्टर्स में उनका चेहरा ग़ायब था। यह ख़बर सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर बुलेट ट्रेन की रफ़्तार से दौड़ी और जेडीयू के चुनाव प्रबंधकों को इसमें बीजेपी की सियासी चाल नज़र आई। 

जेडीयू और नीतीश का बीजेपी पर शक करना लाजिमी था क्योंकि राज्य में मुख्यमंत्री चुना जाना है न कि प्रधानमंत्री। और वैसे भी बिहार में जेडीयू की सीटें बीजेपी से ज़्यादा हैं, ऐसे में नीतीश का चेहरा ग़ायब कर देने का कोई तुक ही नहीं बनता था। 

बिहार बीजेपी के पिछले विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशालकाय तसवीर थी और गठबंधन के चार दलों के चुनाव चिन्हों को प्रतीक रूप में दिया गया था। पोस्टर से यही लगता था कि बिहार में एनडीए का मतलब सिर्फ़ बीजेपी है और इसका चेहरा नरेंद्र मोदी हैं। 

विज्ञापन वायरल हुआ तो नीतीश के रणनीतिकार मैदान में कूदे। इस बात की आशंका जताई जाने लगी कि अगर चुनाव में बीजेपी की सीटें ज़्यादा आ गईं तो वह मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ जाएगी या फिर सारे अहम विभाग अपने पास रखने की जिद करेगी। इसलिए अब जो नया विज्ञापन जारी किया गया है, उसमें नीतीश कुमार की भी तसवीर लगाई गई है। साथ ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को भी जगह दी गई है। 

एलजेपी के मुखिया चिराग पासवान को बीजेपी के नेताओं के द्वारा वोट कटवा कहलवा चुके नीतीश को अब यही बात प्रधानमंत्री से कहलवानी होगी। क्योंकि चिराग इस बात का प्रचार कर रहे हैं कि मोदी ने उनके ख़िलाफ़ कुछ नहीं कहा। नीतीश की जीत तभी होगी, जब वह मोदी से चिराग और उनकी पार्टी के ख़िलाफ़ बुलवा लें। क्योंकि चिराग अब छोटे-मोटे हमलों से नीतीश को जेल भेजने तक पहुंच चुके हैं। 

नीतीश को बीजेपी से यह तय करवाना होगा कि चिराग के लिए एनडीए में कोई जगह नहीं है। हालांकि बीजेपी यह कहकर बचने की कोशिश कर रही है कि चिराग बिहार एनडीए में नहीं हैं। लेकिन नीतीश को इस राह के कांटे को अच्छी तरह निकलवाना ही होगा।

जिस तरह का चुनावी हाल बिहार में दिख रहा है, उसमें साफ लगता है कि एनडीए और महागठबंधन में जोरदार फ़ाइट है और बाक़ी दलों के लिए इसमें कुछ नहीं है। पहले चरण में जिस तरह का जोरदार चुनाव प्रचार देखने को मिला, उम्मीद है कि यह और धारदार होगा। व्यक्तिगत हमलों तक उतर चुके नीतीश कुमार नौजवान नेता तेजस्वी यादव के सामने संयम खोते दिख रहे हैं, जिससे तेजस्वी को फायदा हो रहा है।