बिहार के हाजीपुर में 20 साल की मुसलिम युवती को उसके गांव के कुछ लोगों ने जिंदा जला दिया। 15 दिनों तक मौत से जंग लड़ने के बाद गुलनाज़ ने दम तोड़ दिया। बिहार सरकार की उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। पीड़िता के बयान के आधार पर दर्ज एफ़आईआर में तीन लोगों का नाम है। मुख्य अभियुक्त चंदन की गिरफ़्तारी हो चुकी है और दो अन्य की तलाश जारी है। इस मामले में पुलिस पर बेहद गंभीर आरोप लग रहे हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के इस मामले की ख़बर को ट्वीट करने के बाद यह चर्चा में आ गया है। राहुल ने अपने ट्वीट में मामले को छुपाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला है। गुलनाज़ को इंसाफ़ दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर भी मुहिम चल रही है।
अस्पताल में मौत से जूझने के दौरान गुलनाज़ ने अपने बयान में कहा था कि विनय राय का बेटा उससे छेड़छाड़ करता था। गुलनाज़ ने कहा था कि उसके विरोध करने पर विनय राय के बेटे ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर उस पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी। परिजन उसे हाजीपुर के एक अस्पताल में ले गए, जहां उसी दिन उसका इक़बालिया बयान पुलिस ने दर्ज किया। यह घटना 30 अक्टूबर, 2020 की है।
हालत बिगड़ने पर अगले दिन परिजन उसे पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ले गए और यहां भी उसका बयान दर्ज किया गया और पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की। 15 नवंबर को मौत के बाद जब उसका शव गांव पहुंचा तो लोगों ने जमकर हंगामा किया।
परिजनों को मिल रही धमकियां
परिजनों ने गुलनाज़ का शव रास्ते में रखकर प्रदर्शन किया और अभियुक्तों की गिरफ़्तारी न होने तक शव को दफनाने से इनकार कर दिया। लेकिन पुलिस के कार्रवाई का भरोसा देने के बाद गुलनाज़ के शव को दफ़न कर दिया गया। गांव वालों का आरोप है कि अभियुक्तों की गिरफ़्तारी में देरी की गई और वे पीड़ित परिवार को धमकियां दे रहे हैं।
गुलनाज़ की बहन ने कहा, ‘17 दिन बाद पुलिस आई है। प्रमोद राय नाम का शख़्स हमें धमकी दे रहा है कि तुमको भी ऐसे ही जला देंगे। अभी क्या हुआ है, अभी तो और भी कुछ होगा।’
पुलिस पर लग रहे गंभीर आरोपों के बीच एक एसएचओ को निलंबित कर दिया गया है। लेकिन देखना होगा कि बिहार में फिर से एनडीए सरकार आने पर सुशासन देने का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या अभियुक्तों को कड़ी सजा दिलाते हैं या नहीं।
गुलनाज़ ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ा है और बयान में बताया है कि उसके साथ क्या हुआ। वह सुबूत देकर गयी है, देखना होगा कि नीतीश सरकार उसे कब तक इंसाफ़ दिला पाती है।
हाथरस का मामला
दो महीने पहले उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित समुदाय से आने वाली एक लड़की के साथ बलात्कार और हैवानियत के बाद उसकी मौत के मामले ने देश भर को हिलाकर रख दिया था। इस मामले में पुलिस ने रात को ही पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार करवा दिया था।
अदालत की फटकार
इस मामले में योगी सरकार की पुलिस के इस स्टैंड पर कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ, इसे लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उसे जोरदार फटकार लगाई थी। अदालत ने पीड़िता के अंतिम संस्कार को लेकर भी पुलिस की तीखी आलोचना की थी।
बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था, ‘जब यह बलात्कार जैसा जघन्य अपराध हो और उसकी जांच चल ही रही हो, जांच पूरी होने से पहले ही कोई अफ़सर कैसे यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि बलात्कार हुआ ही नहीं है और वह अफ़सर जो इस जांच से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ ही नहीं है’
पीड़िता के परिवार ने अदालत को बताया था कि जिला प्रशासन ने उनकी इच्छा के विरूद्ध दाह संस्कार कर दिया। हाथरस जिला प्रशासन ने अदालत से कहा कि उन्हें जानकारी मिली थी कि अगली सुबह क़ानून और व्यवस्था की बड़ी दिक्कत खड़ी हो सकती है और इसलिए उन्होंने दाह संस्कार रात में ही करने का फ़ैसला किया।