बिहार विधानसभा चुनाव में गले की फांस बन चुके एलजेपी के मुखिया चिराग पासवान के ख़िलाफ़ नीतीश कुमार सख़्त से सख़्त कार्रवाई चाहते हैं। टिकट बंटवारे के दौरान भी नीतीश ने बीजेपी को चिराग पासवान के लिए सख़्त संदेश देने को मजबूर किया था। एलजेपी के टिकट पर लड़ने वाले कुछ नेताओं समेत 9 लोगों को बीजेपी ने अब नीतीश के दबाव में ही बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इनमें से एक वर्तमान विधायक, दो पूर्व विधायक भी शामिल हैं।
बीजेपी हालांकि यह दम भरकर कह रही है कि नीतीश की पार्टी जेडीयू के साथ उसका गठबंधन अटूट है। वह यह भी कह रही है कि सीटें अगर बीजेपी की ज़्यादा आ जाती हैं तो भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे। लेकिन राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा आम है कि चुनाव नतीजों में अगर बीजेपी और एलजेपी को इतनी सीटें मिल जाती हैं कि वे सरकार बना सकें, तो नीतीश को किनारे किया जा सकता है।
बीजेपी यही चाहती है कि राज्य में उसका मुख्यमंत्री हो लेकिन बीते विधानसभा चुनाव के अनुभव से वह समझ चुकी है कि नीतीश के बिना सत्ता में भागीदारी मिलना बहुत मुश्किल है। लेकिन अगर उसकी सीटें ज़्यादा आ जाती हैं तो वह मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ सकती है। नीतीश कुमार इस बात को बखूबी समझते हैं, इसलिए उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले अपने पुराने कमांडर और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को एनडीए में शामिल कर लिया।
बहरहाल, बीजपी ने जिन नेताओं पर कार्रवाई की है, इनमें रविंद्र यादव, रामेश्वर चौरसिया एलजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। संघ परिवार से आने वाले और इस चुनाव में एलजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में कूदे राजेंद्र सिंह को भी बीजेपी ने बाहर का रास्ता दिखाया है। इसके अलावा एलजेपी की टिकट पर लड़ रहीं उषा विद्यार्थी पर भी कार्रवाई की गई है।
उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी को भी टिकट बंटवारे के दौरान हुई प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में जोर देकर कहना पड़ा था कि बिहार में एनडीए के नेता और चेहरा नीतीश कुमार ही हैं।
एलजेपी की रणनीति
2015 में बीजेपी ने बिहार में 157 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इस बार वह 111 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसका मतलब उसे 46 ऐसे नेताओं के टिकट काटने होंगे, जो पिछला चुनाव पार्टी के सिंबल पर लड़ चुके हैं। ये उम्मीदवार एलजेपी का दामन थामने की कोशिश कर रहे हैं और एलजेपी इन्हें टिकट भी दे रही है। आने वाले दिनों में एलजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले ऐसे कुछ और नेताओं पर बीजेपी कार्रवाई कर सकती है।
जेडीयू को होगा नुक़सान
एलजेपी ने कहा है कि वह राज्य में 100 से ज़्यादा सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ेगी। बिहार की दलित राजनीति के बड़े चेहरे रहे और पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की मौत से उसे दलित मतदाताओं के बीच सहानुभूति मिलने की बात भी कही जा रही है। क्योंकि चिराग बीजेपी के प्रति नरम और नीतीश के प्रति कठोर हैं, तो यह कहा जा रहा है एलजेपी को मिलने वाली सहानुभूति का नुक़सान जेडीयू को होगा।
नीतीश की कुर्सी को ख़तरा
राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं एलजेपी में बीजेपी के लोगों को टिकट देने का असर चुनाव से पहले तो होगा ही, इसका असली असर रिजल्ट आने के बाद देखा जाएगा जब नीतिगत निर्णय लेने की बारी आएगी। बीजेपी से एलजेपी में गये उन सदस्यों पर अधिक नजर रहेगी जो आरएसएस से जुड़े होंगे और जीत हासिल करेंगे। अभी बीजेपी की ओर से ‘नीतीश ही मुख्यमंत्री होंगे’ का जो दावा किया जा रहा है, उसकी असली परीक्षा चुनाव परिणाम के बाद ही होगी।