वैक्सीन आने के बाद भी कोरोना का डर अभी ख़त्म भी नहीं हुआ है कि आँध्र प्रदेश के एक शहर में 'रहस्यमयी' बीमारी का खौफ है। पूरी तरह तंदुरुस्त लोगों को भी दौरा पड़ रहा है। बेहोश हो कर गिर रहे हैं। अस्पताल में भर्ती कराए जाने के कुछ घंटों के अंदर ही मरीज की हालत सुधर भी जा रही है। खौफ की वजह यह है कि तब क्या होगा जब घर में अकेले व्यक्ति को दौरा पड़ जाए और बेहोशी छा जाए अभी तक बीमारी का पता भी नहीं लग पाया है।
घटना की गंभीरता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि घटना सामने आने के बाद मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने सोमवार को ही उन पीड़ितों का हालचाल जाना जिनका इलाज एलुरु सरकारी अस्पताल में किया जा रहा था।
मामला आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी ज़िले के शहर एलुरु का है। रिपोर्टों में कहा गया है कि शनिवार शाम से अब तक 500 से अधिक लोग इस 'रहस्यमयी' बीमारी की चपेट में आए हैं। ज़्यादातर मामलों में लक्षण समान थे।
एम्स (दिल्ली), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी (पुणे) और सेंटर फ़ॉर डिजीज कंट्रोल (दिल्ली) के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी मंगलवार को राज्य के अधिकारियों के साथ बैठक की और मरीजों से बातचीत की।
इस बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ए के कृष्णा श्रीनिवास ने कहा कि उन 510 लोगों, जो बीमारी से प्रभावित थे, में से 430 को छुट्टी दे दी गई थी। अब तक एक की मौत की सूचना है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'मैं लोगों से अपील कर रहा हूँ कि घबराएँ नहीं। रोगियों की संख्या में कमी आई है; 40 से कम की रिपोर्ट आज आई। मुझे पता है कि लोग डरे हुए हैं। हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि इसकी वजह क्या थी।'
बीमारी का पता नहीं है इसलिए भी लोगों में ज़्यादा डर है। हालाँकि स्वास्थ्य अधिकारियों को संदेह है कि भोजन या पानी दूषित हो सकता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली की एक टीम की प्रारंभिक रिपोर्ट में ख़ून के कुछ नमूनों में लेड यानी सीसा और निकल के निशान पाए गए हैं।
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, एलुरु सरकारी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. ए वी मोहन ने कहा, 'एम्स को जो नमूने भेजे गये थे, वह काफ़ी कम थे, लेकिन उनकी रिपोर्ट में सीसा और निकल जैसी भारी धातुओं की मौजूदगी का संकेत मिला है। हमने और नमूने भेजे हैं और रिपोर्ट का इंतज़ार है।'
अस्पताल में भर्ती एक बीमार।फ़ोटो साभार: आँध्र प्रदेश सीएमओ/वीडियो ग्रैब
कुछ ऐसी ही बात राष्ट्रीय पोषण संस्थान यानी एनआईएन हैदराबाद के एक वैज्ञानिक ने कही। उन्होंने कहा, 'दौरा पड़ने से न्यूरोलॉजिकल समस्या का संकेत मिलता है। भारी धातु की संभावना की जाँच की जाएगी।'
क्लिनिकल महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. जे. बाबू गेड्डम के नेतृत्व में एनआईएन की अलग-अलग विशेषज्ञों की टीम जाँच पड़ताल करेगी। इस टीम में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, महामारी विज्ञानियों, सूक्ष्म जीवविज्ञानी और खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञ शामिल हैं। यह टीम शहर में पानी, खाद्य तेल और चावल के नमूने की जाँच करेगी।
रिपोर्टों में कहा गया है कि जिन लोगों में यह बीमारी पायी गई है वे किसी ख़ास क्षेत्र के नहीं हैं, बल्कि पूरे शहर भर में हैं। कहा जा रहा है कि यदि यह बीमारी पानी या हवा के दूषित होने से होती तो किसी ख़ास क्षेत्र में सभी बीमार पड़ते, लेकिन ऐसा नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अधिकतर मामलों में हर परिवार से एक सदस्य ही बीमार पड़ रहा है।