तेरी मेहरबानियांः अडानी ग्रीन प्रोजेक्ट के लिए ट्रांसमिशन लागत क्यों और कैसे माफ हुई

09:16 am Dec 06, 2024 | सत्य ब्यूरो

केंद्र सरकार ने 30 नवंबर 2021 अडानी ग्रीन और एज्योर पावर से बिजली खरीदने वाले राज्यों का ट्रांसमिशन चार्ज जैसे ही माफ किया, उसके 24 घंटे के अंदर सबसे पहले आंध्र प्रदेश सरकार ने 1 दिसंबर 2021 को केंद्रीय सरकार की एजेंसी सेंट्रल यूटिलिटी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। उस समय आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व में वाईएसआरसीपी सरकार थी। एसईसीआई ने अडानी ग्रीन और एज्योर पावर को 12 गीगा वॉट (जीडब्ल्यू) के प्रोजेक्ट आवंटित किए थे। अमेरिका की फेडरल कोर्ट में अडानी समूह के गौतम अडानी और सागर अडानी समेत 7 लोगों पर जो दो अभियोग दर्ज किए गए हैं, उनमें कहा गया है कि इन लोगों ने भारत में सरकारी अधिकारियों को 2000 करोड़ रुपये ज्यादा की महा रिश्वत देकर ऐसे अनुबंध हासिल किए। अडानी समूह ने इस आरोप का खंडन किया है। लेकिन मामला चूंकि अमेरिकी कोर्ट में है तो अडानी समूह के खंडन का कोई महत्व नहीं है। उसका महत्व भारतीय मीडिया के लिए जरूर है। 

केंद्र सरकार ट्रांसमिशन फीस (अंतर राज्य पारेषण प्रणाली) इसलिए वसूलती है कि उसके इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए ही बिजली एक राज्य से दूसरे राज्य तक पहुंचती है। जिसका केंद्र सरकार पैसा लेती है। इसीलिए केंद्र सरकार ने राज्यों की ट्रांसमिशन फीस माफ कर दी। लेकिन इसके पीछे मकसद यही था, ताकि राज्य अडानी ग्रीन और एज्योर पावर से सोलर पावर खरीद सकें। आईएसटीएस (अंतर राज्य पारेषण प्रणाली) शुल्क की इस छूट से अनुमान है कि प्रति यूनिट 80 पैसे (प्रति वर्ष 1,360 करोड़ रुपये) की बचत होगी, जिससे एक तरह से राज्य को दो परियोजनाओं से बिजली खरीदने के लिए बढ़ावा मिलेगा।  

लेकिन इस खेल के पहले और भी कुछ हुआ था। 30 नवंबर, 2021 को बिजली मंत्रालय के इस आदेश से एक सप्ताह पहले 23 नवंबर को जारी एक पूर्व आदेश में निर्धारित दो शर्तों को खत्म कर दिया गया। ये दो शर्तें थीं: (i) प्रोजेक्ट 30 जून, 2025 से पहले चालू हो, और (ii) )  परियोजना से बिजली राज्य के नवीकरणीय ऊर्जा दायित्व (आरपीओ) के भीतर होगी। आरपीओ के लिए राज्यों को अपनी कुल बिजली का एक निश्चित प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से खरीदने की जरूरत होती है। इन दोनों शर्तों को खत्म करने से सीधा फायदा अडानी ग्रीन और एज्योर पावर को हुआ। जिन्हें मनमाने वक्त पर बिजली बेचने और उस राज्य के अलावा अन्य जगहों पर भी बिजली बेचने से छूट मिल गई। 

अब देखिए आंध्र प्रदेश से अडानी ग्रीन का अनुबंध हो चुका है। बिजली सप्लाई टाइम पर पहुंचाने की शर्त भी खत्म हो चुकी है। और अडानी ग्रीन की बिजली आंध्र प्रदेश अभी पहुंची नहीं है। आंध्र सरकार के एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अडानी ग्रीन पावर की पहली 1,000 मेगावॉट की आपूर्ति अप्रैल 2025 में शुरू होने की उम्मीद है, जबकि शेष जून 2025 के बाद चालू होगी।


इंडियन एक्सप्रेस ने अडानी ग्रीन से उसका पक्ष पूछने के लिए संपर्क किया। अडानी ग्रीन के प्रवक्ता ने कहा, “आईएसटीएस छूट को एसईसीआई के टेंडर में शामिल किया गया था ताकि इसे उस समय के अन्य नवीकरणीय ऊर्जा टेंडरों के बराबर रखा जा सके… यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह है डिस्कॉम को आईएसटीएस छूट से लाभ होता है, न कि परियोजना डेवलपर को, जो केवल एक निश्चित टैरिफ प्राप्त करता है।' प्रवक्ता ने यह भी कहा कि प्रोजेक्ट कमीशनिंग में देरी के कारण डेवलपर दायरे से बाहर थे। वही शर्त जिसमें समय सीमा केंद्र की मोदी सरकार ने खत्म कर दी थी।

आंध्र प्रदेश केंद्रीय एजेंसी SECI से 1,700 करोड़ यूनिट बिजली खरीदने पर सहमत हुआ था, इसलिए बिजली मंत्रालय के हस्तक्षेप से सरकार के 1,360 करोड़ रुपये माफ कर दिए गए। चूंकि बिजली खरीद अनुबंध (पीएसए) 25 वर्षों के लिए है, इस अवधि के लिए छूट की कुल राशि 34,000 करोड़ रुपये होगी। अब टीडीपी के एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली नई सरकार वर्तमान में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के तहत पिछली सरकार के दौरान किए गए अनुबंधों या पीएसए की जांच कर रही है। नई सरकार ने अमेरिकी अदालत द्वारा गौतम अडानी, सागर अडानी और छह अन्य के खिलाफ अभियोग के बाद यह आदेश दिया गया है। भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने का इतना बड़ा मामला सामने आने के बाद मोदी सरकार पूरी निर्लज्जता से इस पर खामोश है, जबिक उसे भी जांच का आदेश देना चाहिए था। क्योंकि सारे अनुबंध उसकी एजेंसी से हुए थे। रिश्वत सरकारी अधिकारियों ने अडानी समूह से प्राप्त की, जैसा यूएस महाअभियोग में कहा गया है।

  • अभियोग में आरोप लगाया गया है कि रिश्वत के 2,029 करोड़ रुपये में से 1,750 करोड़ रुपये अकेले आंध्र प्रदेश सरकार के शीर्ष अधिकारी को दिए गए। हालांकि अडानी समूह ने इन्हें "आधारहीन" बताते हुए खंडन किया। लेकिन इस खंडन का महत्व सिर्फ भारतीय मीडिया और शेयर मार्केट के लिए है। अमेरिकी अदालत पर इस खंडन का कोई असर नहीं होगा।

बिजली सप्लाई में देरी पर, अदानी ग्रीन के प्रवक्ता ने कहा, "...एसईसीआई पीपीए के तहत नवीकरणीय परियोजना की तय तारीख (एससीओडी) एंड-टू-एंड निकासी उपलब्धता और तैयारी से संबंधित है, जिसकी योजना और निगरानी केंद्र सरकार की एजेंसी द्वारा की जाती है। जो ट्रांसमिशन यूटिलिटी (CTUIL) और डेवलपर के दायरे और नियंत्रण से परे है। एसईसीआई या कोई अन्य केंद्रीय नोडल एजेंसी इन ट्रांसमिशन देरी के लिए एससीओडी में एक्सटेंशन देती है, यह मानते हुए कि यदि सेंट्रल ट्रांसमिशन यूनिट (सीटीयू) सिस्टम अनुपलब्ध है, तो परियोजना डेवलपर्स बिजली दे नहीं सकते हैं, अन्यथा प्लांट फंसे रहेंगे। यह अडानी समूह की तकनीकी सफाई है, जिसका आम लोग बहुत अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। आसान शब्दों में कहें तो अडानी ग्रीन बिजली सप्लाई का जिम्मेदार केंद्रीय एजेंसी के सिस्टम को ही ठहरा रहा है।

अडानी समूह के प्रवक्ता ने आगे सफाई में कहा कि ग्रिड उपलब्धता में देरी के कारण एसईसीआई ने हमारी परियोजना के लिए एससीओडी तिथियों को सीटीयूआईएल द्वारा प्रदान की गई समयसीमा समन्वय-बैठक के साथ मिलान करने के लिए बढ़ा दिया है। हम ऐसी नई एससीओडी समयसीमा से पीपीए के तहत ऊर्जा आपूर्ति करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।'' मतलब वही है कि अब जो समय सीमा केंद्रीय एजेंसी ने तय की है, अडानी ग्रीन बिजली उसी समय सीमा में पहुंचा देगा। यानी जून 2025 की समय सीमा में बिजली आंध्र प्रदेश पहुंचेगी।