विपक्षी इंडिया गठबंधन की बैठक शनिवार को हुई। इस वर्चुअल बैठक में विभिन्न विपक्षी दलों के नेता मौजूद थे। इस बैठक में टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मौजूद नहीं रही। वह इसमें मौजूद नहीं रहेंगी इसकी सूचना शुक्रवार की शाम में ही आ गई थी।
उनकी पार्टी के नेताओं ने कहा था कि ममता इस दिन दूसरे कार्यक्रमों में मौजूद रहेंगी और इतने कम समय के नोटिस पर बुलाई गई इस बैठक में ममता बनर्जी उपस्थित नहीं होंगी।
संवादहीनता खत्म करने के लिए हुई इस बैठक में ममता की अनुपस्थिति के कारण कांग्रेस और टीएमसी के शीर्ष नेतृत्व के बीच संवाद नहीं हो पाया।
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, राजद सुप्रीमों लालू यादव, राजद नेता और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, बिहार के सीएम और जेडीयू नेता नीतीश कुमार, आप नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला, सीपीआई-एम नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा, एनसीपी नेता शरद पवार और डीएमके नेता और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन मौजूद थे।
इस बैठक में ममता बनर्जी के शामिल नहीं होने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि इंडिया गठबंधन में ममता बनर्जी अंदर ही अंदर कांग्रेस से नाराज चल रही हैं। वह इन दिनों कांग्रेस से दूरी बनाती दिख रही हैं।
सीट शेयरिंग के मुद्दे पर ममता ने पहले से ही कांग्रेस से दूरी बना रखी है। उन्होंने पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में अकेले ही चुनाव लड़ने का संकेत दिया था। वह कह चुकी हैं कि बंगाल में भाजपा से मुख्य मुकाबला टीएमसी से ही है। ममता बंगाल में कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें देने पर अड़ी हुई हैं। वह हर हाल में कांग्रेस को इससे ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं हैं।
माना जा रहा है कि ममता यह बात समझ चुकी हैं कि इंडिया गठबंधन में उन्हें या उनकी पार्टी को कोई बड़ा फायदा होने वाला नहीं है। कांग्रेस का बंगाल में कोई बड़ा जनाधार है नहीं। पिछले लोकसभा चुनाव में दो सीटें पर ही वह 30 प्रतिशत तक वोट ला पाई थी।
ममता यही दो सीट कांग्रेस को देना चाहती हैं। ममता को लगता है कि अगर कांग्रेस को ज्यादा सीट दे दी गई तो इससे बंगाल में टीएमसी को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी और राज्य कांग्रेस के बीच पहले ही जबानी जंग चल रही है। हाल के दिनों में कांग्रेस के बंगाल से आने वाले बड़े नेता अधीर रंजन चौधरी ने कई मौके पर बंगाल की ममता सरकार पर हमला बोला है। वह अक्सर ही ममता सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं। माना जा रहा है कि उनके हालिया बयानों के कारण भी कांग्रेस और टीएमसी के बीच दूरियां बढ़ी है।
इसके साथ ही ममता बनर्जी नहीं चाहती हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के संयोजक या प्रधानमंत्री उम्मीदवार बने। इसका सबूत तब देखने को मिला जब इंडिया गठबंधन की दिल्ली में हुई पिछली बैठक में ममता बनर्जी ने इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे बढ़ाया था। माना जाता है कि इससे नीतीश कुमार भी नाराज हो गए थे।
शनिवार को हुई इस वर्चुअल बैठक में ममता बनर्जी के अनुपस्थित रहने का मुख्य कारण राजनैतिक विश्लेषक बताते हैं कि ममता दबाव की राजनीति कर रही हैं। वह पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को 2 सीटों से अधिक नहीं देने के लिए यह दबाव बना रही हैं।
दूसरी तरफ टीएमसी असम में इसके बदले कांग्रेस से सीट शेयर करने को कह रही है। टीएमसी और ममता बनर्जी अपनी नाराजगी को दिखा कर कांग्रेस को संदेश देना चाह रही हैं कि इंडिया गठबंधन में अब उनकी कोई बहुत ज्यादा रुचि नहीं है।
इंडिया गठबंधन के बेहद अहम हिस्से टीएमसी और इसकी सुप्रीमो ममता बनर्जी की नाराजगी कांग्रेस के लिए चिंता की बात हो सकती है। ऐसे में अब देखना होगा कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में टीएमसी से कैसे डील करती है।
शामिल नहीं होने से उठ रहे कई सवाल
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) द्वारा कांग्रेस की राष्ट्रीय गठबंधन समिति के साथ सीट-बंटवारे की बातचीत में शामिल होने से इंकार करने के कुछ दिनों बाद ही इस बैठक में टीएमसी सुप्रीमों का शामिल नहीं होना कई सवालों को जन्म देता है।इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट कहती है कि इस सप्ताह की शुरुआत में, टीएमसी ने संकेत दिया था कि वह कांग्रेस को दो या अधिकतम तीन सीटें देने को तैयार है, इस प्रस्ताव को पश्चिम बंगाल राज्य कांग्रेस पहले ही अस्वीकार कर चुकी है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार शाम को ही टीएमसी के सूत्रों ने कहा था कि इसकी अध्यक्ष ममता बनर्जी बैठक में शामिल नहीं होंगी क्योंकि उन्हें कहीं और पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में शामिल होना है। हमें शनिवार सुबह 11.30 बजे होने वाली पार्टी प्रमुखों की इस बैठक के बारे में शाम करीब 5 बजे सूचित किया गया।
उस सूत्र ने बताया कि हमने कांग्रेस से कहा है कि अगर बैठक अगले सप्ताह होती है तो ममता बनर्जी इसमें शामिल हो सकती हैं, वह इतने कम समय के नोटिस पर बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगी।
राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि कम समय के नोटिस पर हुई इस बैठक में जब अन्य दल के नेता शामिल हो सकते हैं तो ममता बनर्जी क्यों शामिल नहीं हो सकती थी। वैसे भी इसके लिए उन्हें राज्य से बाहर किसी दूसरे शहर भी नहीं जाना था।
वर्चुअल तरीके से होने वाली इस बैठक में शामिल होना कोई बहुत मुश्किल नहीं था। इसके बावजूद अगर वह इसमें शामिल नहीं हुई हैं तो इसका मतलब है कि वह कुछ बातों को लेकर कांग्रेस से नाराज चल रही हैं। हो सकता है कि वह अब इंडिया गठबंधन को लेकर बहुत अधिक उत्साहित भी नहीं हो।
ऐसे में वह अब अपना पूरा ध्यान लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में अधिक से अधिक सीटों पर अपनी पार्टी को जिताने पर देना चाहती हैं।