क्या तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल से बाहर निकल कर दूसरे राज्यों और केंद्रीय स्तर पर राजनीति करना चाहती है? क्या वह ममता बनर्जी को केंद्रीय राजनीति में लाकर नरेंद्र मोदी कौ चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रही है?
इस पर कुछ निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी, लेकिन ममता बनर्जी के नज़दीकी नेता और पूर्व विधायक शोभनदेव चट्टोपाध्याय के बयान से इसका संकेत ज़रूर मिलता है।
अभिषेक को ज़्यादा ज़िम्मेदारी!
शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने शनिवार को अभिषेक बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने पर कहा कि पार्टी दूसरे राज्यों में विस्तार करेगी और यह ज़िम्मेदारी अभिषेक को दी गई है क्योंकि वे बांग्ला के अलावा दूसरी भाषाएं भी जानते हैं।
चट्टोपाध्याय ने कहा कि अभिषेक को हिन्दी और अंग्रेजी आती है, वे युवा हैं, तेज़ तर्रार हैं, इसलिए पश्चिम बंगाल के बाहर पार्टी का विस्तार करने की ज़िम्मेदारी उन्हें दी जाएगी।
पार्टी ने इस पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, पर शोभनदेव चट्टोपाध्याय के इस बयान से संकेत तो मिलता ही है।
शनिवार को हुई बैठक में अभिषेक बनर्जी को राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के पीछे कारण यह है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत का श्रेय उन्हें दिया जा रहा है।
प्रशांत किशोर से क़रार करने का विचार अभिषेक बनर्जी का ही था, प्रशांत किशोर के फ़ैसलों को लागू करने की ज़िम्मेदारी भी उन्हीं की थी और उन्होंने सख़्ती से लागू किया था।
एक व्यक्ति-एक पद
वे अब तक युवा तृणमूल कांग्रेस के प्रमुख थे, यह पद पूर्व अभिनेत्री सायोनी घोष को दिया गया है।
सांसद काकोली घोष दस्तीदार को तृणमूल कांग्रेस की महिला विंग का प्रमुख बनाया गया है।
टीएमसी के नेता पार्थ चटर्जी ने कहा कि पार्टी ने 'एक व्यक्ति -एक पद' के सिद्धांत को लागू करने का फैसला किया है। बता दें कि इस नीति के तहत एक नेता एक ही पद पर रह सकता है।
पश्चिम बंगाल में इस नीति पर वामपंथी पार्टियाँ शुरू से ही चल रही हैं। वहाँ यह व्यवस्था भी है कि पार्टी में किसी पद पर रहने वाला व्यक्ति सरकार में नहीं होता और सरकार में मंत्री बनने वाला पार्टी में किसी पद पर नहीं रहता। टीएमसी भी इसी नीति पर चल सकती है।