क्या पश्चिम बंगाल में बीजेपी को एक और बड़ा झटका लग सकता है। बीजेपी की सांसद रूपा गांगुली की टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष से मुलाकात के बाद इस तरह की चर्चाएं तेज हैं कि रूपा गांगुली बीजेपी छोड़कर टीएमसी में आ सकती हैं। ऐसी खबरें हैं कि रूपा गांगुली राज्य में बीजेपी के नेतृत्व से नाराज हैं।
बता दें कि बंगाल बीजेपी में भगदड़ मची हुई है और पार्टी के कई बड़े नेता टीएमसी का दामन थाम चुके हैं। इन नेताओं में सांसद अर्जुन सिंह, बाबुल सुप्रियो, राजीव बनर्जी, सब्यसाची दत्ता, जयप्रकाश मजूमदार, मुकुल रॉय, तन्मय घोष जैसे कई बड़े नेता शामिल हैं।
हालांकि रूपा गांगुली और कुणाल घोष ने कहा है कि उनकी यह मुलाकात शिष्टाचार मुलाकात थी और इसके किसी भी तरह के राजनीतिक अर्थ नहीं निकाले जाने चाहिए। दोनों नेता एक कार्यक्रम में मिले थे।
कुणाल घोष ने पीटीआई से कहा कि भले ही वे दोनों अलग-अलग राजनीतिक दलों से संबंध रखते हैं लेकिन रूपा उनकी बड़ी बहन की तरह हैं। रूपा गांगुली ने कहा कि किसी दूसरे राजनीतिक दल के नेता के साथ बात करने का यह मतलब नहीं है कि वह पाला बदलने जा रही हैं।
तेलंगाना में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व ने बंगाल के नेतृत्व को फटकार लगाई थी।
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष को बयानबाजी के लिए कुछ दिन पहले केंद्रीय नेतृत्व ने डांटा था। घोष ने बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार की आलोचना की थी। मजूमदार से पहले दिलीप घोष ही राज्य में पार्टी के अध्यक्ष थे।
राज्य इकाई में चल रही उठापठक को रोकने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मई में राज्य का दौरा किया था।
क्या है मामला?
बंगाल बीजेपी संगठन में नए पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर पार्टी में खासा विवाद हो चुका है। कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी के समर्पित और पुराने कार्यकर्ताओं को किनारे लगाया जा रहा है और हाल ही में पार्टी में शामिल हुए लोगों को प्रमोट किया जा रहा है।
सांसद लॉकेट चटर्जी कह चुकी हैं कि संगठन में यह नियुक्तियां योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि कोटा सिस्टम के आधार पर हुई हैं।
बंगाल में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से ही राज्य के बीजेपी नेताओं के बीच खटपट की खबरें लगातार आ रही हैं। बीते कुछ महीनों में राज्य बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने पार्टी के आधिकारिक वॉट्सएप ग्रुप को भी छोड़ दिया।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही राज्य में बीजेपी गुटबाज़ी, चरमराते संगठनात्मक ढांचे और शीर्ष स्तर से जमीनी स्तर पर नेताओं के पलायन की समस्या से जूझ रही है। मई 2021 में विधानसभा चुनावों में 77 सीटों के साथ मज़बूत विपक्षी दल के रूप में उभरने के बाद निकाय चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। आसनसोल सीट पर हुए उपचुनाव में भी उसे हार का सामना करना पड़ा था।