अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि उनकी सरकार द्वारा प्रस्तावित जवाबी टैरिफ़ सभी देशों पर लागू होंगे, न कि केवल चुनिंदा देशों पर। यह बयान उन्होंने एयर फोर्स वन में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान दिया। ट्रंप ने कहा, 'हम सभी देशों से शुरुआत करेंगे... मूल रूप से उन सभी देशों पर जो हमारे साथ व्यापार करते हैं।' यह घोषणा 2 अप्रैल 2025 को होने वाले 'लिबरेशन डे' से पहले आई है। इस दिन को ट्रंप ने अपने टैरिफ़ योजना के लिए एक महत्वपूर्ण दिन क़रार दिया है। इस क़दम से वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल और आर्थिक अनिश्चितता बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
जवाबी टैरिफ़ का अर्थ है कि अमेरिका उन देशों से आयात पर वही शुल्क लगाएगा, जो वे अमेरिकी वस्तुओं पर लगाते हैं। ट्रंप का तर्क है कि यह नीति अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करेगी और अमेरिकी श्रमिकों व उद्योगों को संरक्षण देगी। उन्होंने पहले अपने अभियान में इसे 'अमेरिका फ़र्स्ट' नीति का हिस्सा बताया था, जिसमें दावा किया गया था कि कई देश अमेरिका के खुले बाज़ार का फ़ायदा उठाते हैं, जबकि अपने बाज़ारों को अमेरिकी निर्यात के लिए बंद रखते हैं। ट्रंप ने कहा, 'वे हम पर शुल्क लगाते हैं, हम उन पर लगाएंगे। यह निष्पक्षता की बात है।'
हालाँकि, शुरू में यह माना जा रहा था कि यह नीति केवल 10-15 देशों पर केंद्रित होगी, जिनके साथ अमेरिका का व्यापार असंतुलन सबसे अधिक है। ट्रंप के आर्थिक सलाहकार केविन हासेट ने हाल ही में 'डर्टी 15' देशों का ज़िक्र किया था। लेकिन अब ट्रंप के ताज़ा बयान से साफ़ है कि यह नीति विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यूटीओ के 186 सदस्य देशों सहित सभी व्यापारिक साझेदारों को प्रभावित कर सकती है। इससे पहले मार्च में ट्रंप ने चीन पर 20% टैरिफ़, कनाडा और मैक्सिको पर 25% टैरिफ़, और स्टील व एल्यूमीनियम पर वैश्विक स्तर पर 25% टैरिफ़ लागू किए थे।
ट्रंप के इस ऐलान ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इसे आर्थिक हितों के लिए ख़तरा बताया और कहा कि यूरोप बातचीत के साथ-साथ अपने हितों की रक्षा करेगा। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पहले ही अमेरिकी टैरिफ़ के जवाब में जवाबी शुल्क की धमकी दी थी। भारत भी इस नीति से प्रभावित हो सकता है। ट्रंप अक्सर उच्च टैरिफ़ के लिए भारत को निशाना बनाते हैं। भारत और अमेरिका के बीच 2023 में 190 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था, जिसमें भारत का व्यापार सरप्लस था।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह क़दम वैश्विक व्यापार युद्ध को बढ़ावा दे सकता है। ओईसीडी ने चेतावनी दी है कि टैरिफ़ से अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको में विकास दर कम होगी और मुद्रास्फीति बढ़ेगी। अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए क़ीमतें बढ़ सकती हैं, क्योंकि आयातित सामान जैसे मैक्सिको से एवोकाडो, चीन से इलेक्ट्रॉनिक्स, और कनाडा से तेल महंगे हो जाएंगे। स्टॉक मार्केट में पहले ही गिरावट देखी गई है।
ट्रंप ने संकेत दिया कि 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ़ के साथ-साथ ऑटोमोबाइल और अन्य क्षेत्रों पर अतिरिक्त शुल्क भी लागू हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, 'ऑटो, स्टील और एल्यूमीनियम पर कुछ अतिरिक्त होगा।' यह नीति अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए है, लेकिन जानकारों का कहना है कि व्यापार घाटा मुख्य रूप से मैक्रोइकॉनमिक फ़ैक्टरों से प्रभावित होता है, न कि केवल टैरिफ़ से।
भारत के संदर्भ में ट्रंप ने पहले नरेंद्र मोदी के साथ मुलाक़ात के बाद टैरिफ़ विवाद सुलझाने की बात कही थी, लेकिन अब सभी देशों को निशाना बनाने की घोषणा से स्थिति जटिल हो सकती है। भारत को अपनी निर्यात रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है, खासकर ऑटो पार्ट्स, फार्मास्यूटिकल्स और कृषि उत्पादों के लिए।
ट्रंप का यह कदम उनकी 'अमेरिका फ़र्स्ट' नीति को मज़बूत करने की दिशा में है, लेकिन यह वैश्विक व्यापार व्यवस्था को पटरी से उतार सकता है। सभी देशों पर एकसमान टैरिफ़ लागू करना एक जटिल और जोखिम भरा क़दम है। इसकी वजह से जवाबी कार्रवाई हो सकती है और फिर मुद्रास्फीति और आर्थिक मंदी आ सकती है।
(रिपोर्ट का संपादन: अमित कुमार सिंह)