शुभेंदु के निर्वाचन को चुनौती देने वाली ममता की याचिका पर सुनवाई टली

12:26 pm Jun 18, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को रद्द करने की माँग वाली याचिका पर सुनवाई टल गयी है। अब इस मामले में सुनवाई 24 जून को होगी।

सुनवाई क्यों टली?

मामले की सुनवाई कर रहे जज जस्टिस कौशिक चंद ने कहा कि इस तरह के मामले में याचिका कर्ता को अदालत में मौजूद रहना ज़रूरी होता है, ममता बनर्जी मौजूद नहीं हैं, लिहाज़ा, यह सुनवाई बाद में होगी।

जस्टिस चंद ने ममता बनर्जी के वकील से पूछा कि क्या वे सुनवाई के दौरान मौजूद रहेंगी, उनके वकील ने कहा कि जो नियम होगा, उसका पालन किया जाएगा। 

दूसरी ओर, वकीलों के एक समहू ने यह मामला कौशिक चंद के पास भेजे जाने के फ़ैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि कौशिक चंद एक समय बीजेपी के सक्रिय सदस्य थे और यह मामला बीजेपी के ही एक नेता के ख़िलाफ है, लिहाज़ा, यह मामला किसी और को सौंपा जाना चाहिए था। 

ममता बनर्जी ने याचिका में कहा है कि अधिकारी के निर्वाचन को तीन कारणों से निरस्त कर दिया जाना चाहिए।  ये तीन कारण हैं- घूसखोरी समेत भ्रष्टाचार में लिप्त, नफ़रत और शत्रुता को बढ़ावा देना, धर्म के आधार पर वोट माँगना और बूथ पर कब्जा करना। 

इसके अलावा मतगणना की प्रक्रिया में गड़बड़ी और फ़ॉर्म 17 सी का पालन नहीं करने के आरोप भी लगाए गए हैं। इसमें वोटों की गिनती का रिकॉर्ड रखा जाता है। 

निर्वाचन रद्द करने की माँग

इसके साथ ही ममता बनर्जी ने वोटों की गिनती फिर से करवाने से इनकार करने के चुनाव आयोग के फ़ैसले पर भी सवाल उठाया है। 

याचिका में कहा गया है, शुभेंदु अधिकारी ने भ्रष्टाचार से जुड़े कई आचरण किए हैं, जिनसे चुनाव में उनके जीतने की संभावनाएं बढ़ गई, जबकि ममता बनर्जी की जीत की संभावना कम हो गई। 

ममता बनर्जी के वकील सुजय बोस ने नंदीग्राम के चुनाव नतीजे को रद्द करने की माँग की है। 

शुभेंदु अधिकारी, नंदीग्राम से बीजेपी विधायक

ममता बनर्जी ने कहा था कि वोटों की गिनती के समय चार घंटे तक सर्वर बंद था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने उन्हें निर्वाचित घोषित कर दिया था, राज्यपाल ने उन्हें बधाई तक दे थी, लेकिन उसके बाद शुभेंदु अधिकारी को विजेता घोषित कर दिया गया। 

ममता बनर्जी ने बाद में पार्टी के एक कार्यकर्ता का एक एसएमएस पढ़ कर सुनाया था। इसमें कहा गया था कि नंदीग्राम के रिटर्निंग ऑफ़िसर ने एसएमएस कर कहा था कि वे डरे हुए थे, उन्हें धमकाया गया था, उनके परिवार को लेकर उन्हें डर था, उनके छोटे-छोटे बच्चे थे। 

बाद में ममता बनर्जी ने कहा था कि वे नंदीग्राम की जनता के फ़ैसले को स्वीकार करती हैं।