उत्तर प्रदेश में हिन्दू-मुसलिम शादियों पर योगी सरकार की एसआईटी जाँच में ‘लव जिहाद’ की साज़िश का आरोप औंधे मुँह गिर गया है। जाँच कर रही टीम के पुलिस अधिकारियों के मुताबिक़ लव जिहाद के मामले को कुछ ज़्यादा ही बढ़ा-चढ़ा कर प्रचारित किया गया जबकि कुछ ख़ास निकला नहीं। कानपुर के एक ही मोहल्ले में 14 जोड़ों ने अंतरधार्मिक विवाह किया था जिसके बाद बड़े पैमाने पर इसे लव जिहाद प्रचारित करते हुए विरोध शुरू हो गया था। योगी सरकार ने कई हिन्दू संगठनों की माँग पर इस पूरे मामले की जाँच के लिए एसआईटी का गठन किया था।
एसआईटी ने जाँच के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में पाया गया है कि अंतरधार्मिक विवाह के ज़्यादातर मामले आपसी रज़ामंदी के थे और इसमें कोई साज़िश नहीं पाई गयी। ‘सत्य हिन्दी’ के पास उक्त रिपोर्ट की प्रति है जो बताती है कि जिन मामलों में पुलिस ने विवेचना कर क्लोजर रिपोर्ट लगायी है वहाँ कोई भी मामला ‘लव जिहाद’ का नहीं निकला।
जहाँ से सुलगा विवाद वहीं केस झूठे
एसआईटी के गठन के पीछे कोरोना संकट के दौर में कानपुर के किदवईनगर क्षेत्र में हुए शालिनी यादव और फैसल के विवाह की भूमिका रही। फैसल से शादी का विरोध करते हुए शालिनी के परिजनों ने कई संगठनों के साथ मिलकर हफ्तों विरोध किया और इसे ‘लव जिहाद’ का मामला बताया। इतना ही नहीं, मामले में कूदे कुछ संगठनों ने कानपुर के ख़ास इलाक़े में बीते दो सालों में हुए इस तरह के 14 विवाहों को ‘लव जिहाद’ से जोड़ते हुए सभी की जाँच की माँग की। इस पूरे मामले में तुरंत हरकत में आते हुए योगी सरकार ने एसआईटी गठित कर दी। अब एसआईटी की जाँच में शालिनी यादव का मामला फर्जी निकला है।
एसआईटी ने भी अपनी जाँच में कहा है कि शालिनी ने अपनी मर्जी से फैसल से शादी की और धर्म व नाम बदला। रिपोर्ट में कहा गया कि शालिनी के साथ न तो कोई जोर जबरदस्ती की गयी और न ही उसे बरगलाया गया।
क्लोजर रिपोर्ट वाले सभी केस झूठे
एसआईटी की जाँच रिपोर्ट में दो सूची बनायी गयी है। पहली सूची में वे 11 मामले हैं जिनमें विवेचना जारी है और उसकी प्रगति लिखी गयी है जबकि दूसरी सूची में वे तीन मामले हैं जिनकी जाँच पूरी हो अंतिम आख्या पेश कर दी गयी है। कुल 14 मामलों में से 8 में आपसी सहमति से विवाह होना बताया गया है जबकि बाक़ी के छह मामलों में विवेचना जारी है और कुछ मामलों में तो विवाहिता के मजिस्ट्रेट के सामने बयान होना बाक़ी बताया गया है। सभी छह मामलों में लड़की के साथ धोखाधड़ी कर शादी करने का इल्ज़ाम उसके पिता अथवा भाई ने लगाए हैं। केवल दो ही मामलों में शादी के दौरान धर्म छिपाने की बात सामने आयी है।
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साबित भी नहीं हुआ लव जिहाद, आरोपी छूटे
कानपुर में तथाकथित लव जिहाद के मामले गिरफ्तार शाहरुख को अदालत ने महीने भर में ही ज़मानत दे दी। पुलिस अभियुक्त के ख़िलाफ़ लव जिहाद जैसा कोई साक्ष्य पेश नहीं कर पाई। अन्य मामलों में जहाँ एसआईटी ने साज़िश की बात कही है वहाँ लड़कियाँ परिजनों के कब्जे में हैं और उन्हीं लिखाई गयी एफ़आईआर में समर्थन में होना बताया जा रहा है। पूरे मामले पर नज़र रखने वाले मानवाधिकार संगठन के कार्यकर्ता आशीष बताते हैं कि प्रेम विवाह करने वाली छह लड़कियों को पुलिस की मदद से उनके घरवालों ने अपने कब्जे में ले लिया और मनमाफिक बयान करवा मुक़दमा लिखा दिया। उनका कहना है कि अदालत में मामला पहुँचने पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
लव जिहाद की जाँच कर रही एसआईटी के सामने कानपुर के 22 थानों में कुल 14 मामले आए जिनमें से आठ में साक्ष्य नहीं मिले जबकि छह को संदेह के दायरे में रखा गया है। संदेहों का आधार भी लड़की के परिजनों की ओर से लिखवाई गयी एफ़आईआर को ही मुख्य रूप से बनाया गया है।
सरकार क़ानून की तैयारी में
लव जिहाद को आगामी विधानसभा चुनावों में बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में जुटी योगी सरकार अब इसको लेकर क़ानून बनाने जा रही है। विधि और गृह विभाग ने इसको लेकर क़ानून का मसविदा तैयार कर लिया है। लव जिहाद को लेकर बनने वाले क़ानून के इस प्रस्ताव को मंगलवार को ही कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए रखा जा सकता है।