बीजेपी के लिए देश में सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट के बाद काफी कुछ बदल चुका है। दिल्ली फ़तेह में सबसे बड़ा किरदार निभाने वाले इस सूबे में सरकार से लेकर संगठन की दिशा व दिशा ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल रखा है।
दो दिनों से यूपी की राजधानी में केंद्रीय नेतृत्व के मंत्रियों व संगठन के आलाधिकारियों के साथ चले मंथन ने चिंता को और गहराने का काम किया है। मंगलवार को बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बी. एल. संतोष और यूपी के प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव राधामोहन सिंह ने दो दिन की बैठकों का दौर समाप्त किया है।
यूं तो बैठक कोरोना संकट में सेवा कार्यों, आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति तय करने के साथ पंचायत चुनावों की समीक्षा के लिए बतायी गई, पर इसमें शामिल किए गए लोगों और तौर तरीकों से साफ हो गया है कि बड़ी सर्जरी की तैयारी है। आने वाले दिनों में यूपी मंत्रिमंडल में परिवर्तन से लेकर संगठन में नए चेहरे तक नजर आ सकते हैं।
उप- मुख्यमंत्रियों से बातचीत
बी. एल. संतोष और राधामोहन सिंह ने मंगलवार को यूपी को उप- मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा से अकेले में बात की। बताया जा रहा है कि इस दौरान दोनो उप- मुख्यमंत्रियों की कही गयी छोटी छोटी बातों को भी नोट किया गया और उन्हें अलग अलग 40 मिनट का समय दिया गया। इस दौरान प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और यूपी के संगठन महामंत्री सुनील बंसल को भी कमरे से बाहर रखा गया।
हालांकि बैठक के बाद न तो दोनो उप- मुख्यमंत्रियों और न ही केंद्रीय नेतृत्व ने कुछ कहा बल्कि सेवा कार्यों व कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के तौर तरीकों पर बात होने की बात ही दोहरायी। कोरोना की तीसरी लहर और सेवा कार्यों पर हो रही बातों को गोपनीय रखने और स्वतंत्रदेव व सुनील बंसल को भी न शामिल करने जैसे सवालों के जवाब नहीं दिए गए।
केशव मौर्य ने कहा 22 में 300 पार
गुप्त बैठक से निकल कर केशव प्रसाद मौर्य ने ज़रूर कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी 300 के पार होगी। यह वही नारा है जो 2017 के विधानसभा चुनावों में मौर्य ने यूपी प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए दिया था।
केशव प्रसाद मौर्य के नारे और आत्मविश्वास से इतना साफ हो गया है कि वह केंद्रीय नेतृत्व के भरोसेमंद बने हुए हैं और भविष्य में गठन अथवा चुनाव संचालन में कुछ नयी जिम्मेदारी भी पा सकते हैं।
दूसरे उप- मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने तो बदलाव की संभावना जैसे सवालों को दरकिनार कर दिया। केशव प्रसाद मौर्य से बैठक के दौरान उनकी कही गयी बातों को केंद्रीय नेताओं ने नोट किया।
विधायकों ने क्या कहा?
कोरोना संकट के दौर में जनता की नाराज]गी झेल रहे विधायकों से केंद्रीय नेतृत्व ने बात नहीं की। हालांकि विधायकों का कहना है कि उनसे भी बात की जानी चाहिए।
गौरतलब है कि बीते दो महीनों में करीब दो दर्जन विधायकों ने कोरोना संकट के दौरान आयी परेशानियों, अपनी सुनवाई न होने और सरकार की विफलता को लेकर मुख्यमंत्री को या पत्र लिखे हैं या बयानबाजी की है। यूपी सरकार के कामकाज से नाराज कई दर्जन विधायक पूर्व में भी अपनी ही सरकार के खिलाफ विधानसभा में ही धरना भी दे चुके हैं।
उप- मुख्यमंत्रिओं व मंत्रियों से केंद्रीय नेतृत्व की हो रही मुलाकात के दौरान विधायकों को आस लगी थी कि उनकी भी सुनी जाएगी, पर ऐसा नहीं हुआ। कई विधायक नाखुश हैं और वे नाराज़गी व्यक्त करना चाहते थे।
12 मंत्रियों से चर्चा
बीजेपी के केंद्रीय नेताओं ने यूपी के 12 मंत्रियों से अकेले में बात की और ये सभी अलग-अलग क्षेत्र व जातियों से संबंध रखते थे। इनमें महेंद्र सिंह, ब्रजेश पाठक, स्वामी प्रसाद मौर्य, जय प्रताप सिंह, सुरेश खन्ना और सतीश दिवेदी शामिल थे।
हाल ही में अपने भाई की ईडब्लूएस कोटे से नियुक्ति व मंहगी जमीने सस्ते दरों पर खरीदने को लेकर चर्चा में आए सतीश दिवेदी को मीडिया के सवालों से बचाने के लिए पिछले दरवाजे से अंदर बुलाया गया और वहीं से उन्हें निकल जाने को भी कहा गया। मंत्रियों में भी कई को न बुलाए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
अरविंद शर्मा पर उहापोह
समय से पहले सेवानिवृत्ति लेकर यूपी की राजनीति में सक्रिय हुए और विधान परिषद सदस्य बने अरविंद कुमार शर्मा को लेकर अभी तसवीर साफ नहीं हो सकी है। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि उन्हें जल्दी ही कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
हालांकि उनके साथ कई और मंत्रियों को भी शामिल किया जाएगा और कुछ के विभाग बदल दिए जाएंगे। विधान परिषद का सदस्य बनने के बाद से ही अरविंद शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा चल रही है। हाल ही में स्वास्थ्य से लेकर आबकारी तक के मोर्चे पर किरकिरी को देखते हुए इन विभागों को नया मंत्री मिल सकता है।
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए संगठन की भी ओवरहॉलिंग की जाएगी और जातीय समीकरणों के हिसाब से पदाधिकारी बनाए जाएंगे।