बलिया में हुए मर्डर के मामले में उत्तर प्रदेश की पुलिस पूर झूठ बोलने के आरोप लग रहे हैं। घटना के सामने आए वीडियो में साफ दिख रहा है कि कुछ पुलिसकर्मियों ने अभियुक्त को घेरा हुआ है और अब पुलिस कह रही है कि वह फरार है। सवाल यह है कि अभियुक्त पुलिसकर्मियों के बीच से भाग कैसे गया। इस वीडियो के सामने आने के बाद पुलिस के कामकाज पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की पुलिस बलात्कार पीड़िता के साथ बलात्कार होने की बात नहीं मानती, प्रदेश में अपराध चरम पर होने की बात नहीं मानती और हाथरस पीड़िता की सरकारी मेडिकल रिपोर्ट के बाद बलिया मर्डर के मामले में उस पर खुलकर झूठ बोलने के आरोप लग रहे हैं।
एसडीएम, सीओ की मौजूदगी में मर्डर
बलिया में जो कुछ हुआ, आज़ाद भारत के इतिहास में ऐसी घटना न हुई और न होने की कोई कल्पना कर सकता है। एक सरकारी कार्यक्रम में जहां पर एसडीएम, सीओ और कई थानों की पुलिस फ़ोर्स मौजूद हो, बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद हों, वहां बीजेपी का एक नेता एक ग्रामीण पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दे और पुलिस कह दे कि वह फरार हो गया है, यह बात गले नहीं उतरती।
डीआईजी ने मानी लापरवाही की बात
मृतक के बेटे ने भी इस बात को कहा है कि अभियुक्त को पुलिस ने पकड़ लिया था और एसडीएम, सीओ वहां कार्यक्रम में मौजूद थे। इसके बाद आज़मगढ़ रेंज के डीआईजी सुभाष चंद्र दुबे ने भी पत्रकारों से कहा है कि मृतक के भाई द्वारा बताया गया कि अभियुक्त को पकड़ लिया गया था लेकिन वह भीड़-भाड़ का फायदा उठाकर निकल गया। उन्होंने कहा कि इस घटना में पुलिस की लापरवाही सामने आई है और मौक़े पर मौजूद पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है।
लेकिन शायद डीआईजी महोदय ने अब तक यह वीडियो नहीं देखा है। वीडियो में न कोई भीड़ है और न ही अभियुक्त के साथ उसके साथी हैं। एक अभियुक्त को छह-सात पुलिसकर्मियों ने घेरा हुआ है और पुलिस बता रही है कि वह फरार हो गया है। आख़िर, ऐसा कैसे हो सकता है।
उत्तर प्रदेश के ये हालात हो चुके हैं कि एसडीएम, सीओ के सामने मर्डर हो रहा है और पुलिसकर्मियों से घिरे अभियुक्त (बीजेपी नेता) के बारे में बताया जा रहा है कि वह फरार हो चुका है।
राम राज्य की स्थापना
योगी आदित्यनाथ और उनकी पुलिस दावा करती रही कि उत्तर प्रदेश से अपराध पूरी तरह ख़त्म हो चुका है और यहां राम राज्य की स्थापना हो चुकी है। ये भी दावा किया जाता रहा है कि अपराधी उत्तर प्रदेश छोड़कर भाग चुके हैं। ये दावे उस वक्त किए जा रहे थे, जब प्रदेश में चारों ओर से हत्या, बलात्कार, लूटपाट की ख़बरें आ रही थीं।
तभी अचानक कानपुर का बिकरू कांड हुआ। इसमें कई पुलिसकर्मियों की एक बदमाश ने अपने साथियों के साथ मिलकर बेरहमी से हत्या कर दी।
योगी सरकार के कामकाज पर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष की टिप्पणी -
कुछ मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि इस घटना का अभियुक्त धीरेंद्र सिंह स्थानीय चर्चित बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह का क़रीबी है और बीजेपी से जुड़ा है। लेकिन सुरेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया है कि धीरेंद्र सिंह जुड़ा नहीं बल्कि बीजेपी का नेता है।
सुरेंद्र सिंह ने कहा है कि अभियुक्त बीजेपी की भूतपूर्व सैनिकों की बलिया इकाई का प्रमुख है। विधायक ने यह भी कहा कि ऐसी घटना कहीं भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस घटना में दोनों ओर से पत्थरबाज़ी हुई। सुरेंद्र सिंह के साथ अभियुक्त का फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।
बलिया मर्डर मामले से ऐसी आशंका पैदा होती है कि प्रदेश में पुलिस बीजेपी नेताओं को संरक्षण दे रही है। वरना, पुलिसकर्मियों से घिरा हुआ अभियुक्त कैसे भाग जाएगा, वीडियो को देखने के बाद यह बात मानने के लिए कोई भी तैयार नहीं हो सकता।