'ऑक्सीजन आपूर्ति न होने से कोरोना रोगियों की मौत नरसंहार से कम नहीं'

09:10 am May 05, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन आपूर्ति नहीं होने पर कड़ा रुख अपनाते हुए इससे जुड़े सरकारी अधिकारियों को जो़रदार फटकार लगाई है और कहा है कि इसकी आपूर्ति नहीं करना अपराध है और यह किसी तरह नरसंहार से कम नहीं है। 

लखनऊ और मेरठ ज़िलों में ऑक्सीजन की कमी से कुछ लोगों की मौत होने से जुड़ी खबरों पर प्रतिक्रिया जताते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की और जाँच का आदेश दे दिया। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, 'हमें यह देख कर तकलीफ़ हो रही है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने से कोरोना रोगियों की मौत हो रही है।'

अदालत ने इसके आगे टिप्पणी की,

जिन अधिकारियों को ऑक्सीजन लेने और अस्पतालों को उसकी लगातार आपूर्ति करने की ज़िम्मेदारी दी गई है, ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं करना उनकी ओर से किया गया अपराध है और किसी तरह नरसंहार से कम नहीं है।


इलाहाबाद हई कोर्ट की टिप्पणी

हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका में कहा गया था कि सरकारी पोर्टल पर अस्पतालों में कोविड के बेड उपलब्ध दिखाए जा रहे हैं, जबकि अस्पतालों को फोन करने पर वे कहते हैं कि बेड नहीं हैं।

चुनाव आयोग को फटकार

अदालत ने राज्य चुनाव आयोग को भी फटकार लगाई। उसने इस पर नाराज़गी जताई कि पिछली सुनवाई में चुनाव आयोग से पंचायत चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों की कोरोना से हुई मौतों पर जवाब मांगा गया था, चुनाव आयोग का ज़ोर इन मौतों की तस्दीक करने के बजाय ख़बर को ग़लत साबित करने पर ज़्यादा है।

हाई कोर्ट ने कहा कि उन्हें पता चला है कि पंचायत चुनाव के मतों की गिनती में कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है। अदालत ने इसकी जाँच करने के लिए सरकार से पंचायत चुनाव केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज माँगी। अदालत ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दिया था कि पंचायत चुनाव के मतगणना के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करवाया जाएगा। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि जस्टिस वी. के. श्रीवास्तव की कोरोना से हुई मौत की जाँच का आदेश भी दिया है। अदालत ने कहा कि 'हमें पता चला कि जस्टिस श्रीवास्तव की लखनऊ के आरएमएल अस्पताल में देखभाल नहीं हुई, हालत बिगड़ने पर उन्हें पीजीआई शिफ्ट किया गया, जहाँ बाद में उनका निधन हो गया।'