त्रिपुरा में हुए एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। त्रिपुरा में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं और देब के इस्तीफे को लेकर काफी लंबे वक्त से राज्य की सियासत में चर्चा चल रही थी। देब ने शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।
बिप्लब देब ने राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा। देब ने कहा कि उन्होंने आलाकमान के कहने पर इस्तीफा दिया है और पार्टी चाहती है कि वह संगठन की मजबूती के लिए काम करें।
वरिष्ठ बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव और विनोद तावडे को बीजेपी ने नया मुख्यमंत्री चुनने के लिए पर्यवेक्षक बनाया है। थोड़ी देर में विधायक दल की बैठक होगी और नए मुख्यमंत्री का चुनाव किया जाएगा। इसमें राज्य के बीजेपी प्रभारी विनोद सोनकर भी मौजूद रहेंगे।
देब से थी नाराज़गी
त्रिपुरा बीजेपी में लंबे वक़्त से बिप्लब देब के खिलाफ पार्टी नेताओं की नाराज़गी की ख़बरें आ रही थीं। देब से नाराज़ पार्टी के कुछ विधायक इस मुद्दे को लेकर कई बार दिल्ली आ चुके थे और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव (संगठन) बीएल संतोष से मिले थे।
इन विधायकों ने पुरजोर ढंग से देब को हटाने की मांग की थी। तब ये विधायक बीजेपी नेता सुदीप राय बर्मन की अगुवाई में दिल्ली पहुंचे थे। सुदीप रॉय बर्मन 2016 में कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में गए थे और उसके बाद 2018 में बीजेपी में चले गए थे।
त्रिपुरा को लेकर बीजेपी आलाकमान भी बेहद गंभीर है क्योंकि राज्य में 25 साल पुराने वाम दलों के शासन को उखाड़कर 2018 में उसने पहली बार अपनी सरकार बनाई थी। शुरुआत में बीजेपी आलाकमान ने देब के ख़िलाफ़ असंतुष्टों की मुहिम को नज़रअंदाज किया था लेकिन अब उसके लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं था।
बिप्लब देब से असंतुष्ट नेताओं ने दावा किया था कि उनके पास 60 सदस्यों वाली विधानसभा में 25 विधायकों का समर्थन हासिल है। असंतुष्टों में से ज़्यादातर नेता ऐसे हैं, जो 2018 में पार्टी में शामिल हुए हैं। इनमें से अधिकतर नेता कांग्रेस या तृणमूल कांग्रेस से आए हैं।
चूंकि त्रिपुरा में बीजेपी को सरकार बनाने का मौक़ा पहली बार मिला है इसलिए पार्टी आलाकमान विधानसभा चुनाव से पहले ऐसे हालात नहीं बनने देना चाहता था जिससे अगले चुनाव में मुश्किल पेश आए।
त्रिपुरा की सत्ता में बीजेपी का इंडिजनस पीपल्स फ्रंट ऑफ़ त्रिपुरा (आईपीएफ़टी) के साथ गठबंधन है और दोनों ने मिलकर विधानसभा चुनाव 2018 में 44 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें बीजेपी को 36 और आईपीएफ़टी को 8 सीट मिली थीं।