मणिपुर हिंसा में फिर से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल भेजने की नौबत क्यों आई?

02:19 pm Nov 14, 2024 | सत्य ब्यूरो

मणिपुर में फिर से हिंसा बढ़ने के बीच सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं। राज्य में हिंसा की स्थिति और सुरक्षा चिंता को इस बात से समझा जा सकता है कि राज्य में अतिरिक्त पुलिस बल को तैनात करना पड़ा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल यानी सीएपीएफ़ की 20 अतिरिक्त कंपनियाँ तैनात की हैं, जिनमें लगभग 2,000 जवान होंगे।

नई तैनाती के साथ राज्य में तैनात सीएपीएफ कर्मियों की संख्या लगभग 22 हज़ार हो गई हैं। अब 218 कंपनियां तैनात हैं। प्रत्येक कंपनी में लगभग 80-120 कर्मी होते हैं। मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार, मणिपुर में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए असम से सीआरपीएफ़ की 15 कंपनियों और त्रिपुरा से सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ़ की पांच कंपनियों को वापस बुलाया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा कि 30 नवंबर तक मणिपुर सरकार के पास सीएपीएफ की 218 कंपनियां उपलब्ध रहेंगी। अतिरिक्त बलों को कांगपोकपी, चुआरचंदपुर और जिरीबाम जैसे सभी संवेदनशील क्षेत्रों और घाटी और पहाड़ी जिलों के बीच बफर जोन में तैनात किया जाएगा।

ये वो क्षेत्र हैं जो हाल में हिंसा से काफ़ी ज़्यादा प्रभावित रहे हैं। इस हफ़्ते ही मुठभेड़ में 10 उग्रवादियों के मारे जाने के एक दिन बाद मंगलवार को 2 मैतेई लोग मृत पाए गए। इसके अलावा राहत शिविर से 6 लोग लापता हैं। मणिपुर के जिरीबाम में मंगलवार सुबह दो मैतेई लोगों के शव घरों से बरामद किए गए। एक दिन पहले सुरक्षा बलों ने इलाके में 10 संदिग्ध आतंकवादियों को मार गिराया था। पुलिस ने यह भी बताया कि इलाके में राहत शिविर में रह रहे छह लोग सोमवार को हुई गोलीबारी के बाद से लापता हैं। लापता लोगों में तीन महिलाएं और तीन बच्चे शामिल हैं।

हथियारबंद बदमाशों द्वारा जिरीबाम जिले से कथित तौर पर अगवा की गई तीन महिलाओं और तीन बच्चों को अभी तक बचाया या उनका पता नहीं लगाया जा सका है। पुलिस और सुरक्षा बल तलाशी अभियान चला रहे हैं। 11 नवंबर को जिरीबाम में बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन के आसपास सशस्त्र बदमाशों और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ और राज्य पुलिस के कर्मियों के बीच गोलीबारी के दौरान लापता हुए दो बुजुर्गों के अपहरण और हत्या के विरोध में इंफाल में पूर्ण बंद रखा गया था। 

इस बीच, 7 नवंबर को जिरीबाम के ज़ैरावन गांव में अपने घर में जलाकर मार दी गई 31 वर्षीय आदिवासी महिला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला को काफी प्रताड़ित किया गया था। बलात्कार की पुष्टि नहीं हो सकी क्योंकि शव पहचान से परे जला हुआ था और नमूने नहीं लिए जा सके। 7 नवंबर से अब तक कम से कम 14 लोग मारे जा चुके हैं।

3 मई 2023 से मणिपुर में मैतेई और कुकी-ज़ो समुदाय के बीच हिंसक संघर्ष जारी है।

मार्च 2023 में हाईकोर्ट के आदेश में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को कहा गया था। इस आदेश पर प्रतिक्रिया हुई और 3 मई को कुकी-जो छात्रों द्वारा कैंडल मार्च निकाला गया। इसके बाद हिंसा शुरू हुई और अगले 3 दिनों में ही कम से कम 52 लोगों की मौत हो चुकी थी। 

आने वाले दिनों में दो समुदायों के बीच यह हिंसा बढ़ती रही। आज स्थिति यहाँ तक पहुँच गई है कि इस संघर्ष में 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, 1500 से अधिक लोग घायल हुए हैं, 32 से अधिक लापता हैं, सुरक्षा बलों के 16 जवानों की मौत हो चुकी है, 14 हज़ार से अधिक घर गिराए जा चुके हैं और 60 हज़ार से अधिक लोगों को विस्थापित होना पड़ा है।

क़रीब दो महीने पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने वादा किया था कि केंद्र की मदद से छह महीने में राज्य में पूर्ण शांति बहाल कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री भले ही राज्य में शांति बहाली के दावे कर रहे हैं, लेकिन हालात अब और बदतर होते दिख रहे हैं। 

मणिपुर में छह महीने के अंदर शांति बहाली लाने का मुख्यमंत्री का दावा किए एक हफ़्ता भी नहीं हुआ था कि राज्य फिर से दहल उठा। रॉकेट से हमला तक हुआ। उससे कुछ दिन पहले एक बीजेपी नेता के घर को जला दिया गया था। फिर अगले कुछ दिनों में ड्रोन से हमले हुए और इम्प्रोवाइज्ड रॉकेट दागे गए।