राजस्थान के टोंक के समरावता गांव में बुधवार देर रात उस समय तनाव फैल गया, जब पुलिस ने देवली-उनियारा उपचुनाव लड़ रहे निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा को गिरफ्तार करने की कोशिश की। उन पर सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अमित चौधरी पर हमला करने का आरोप है। यह घटना वीडियो में कैद हो गई, जिसमें मीणा को एक मतदान केंद्र के बाहर एसडीएम को थप्पड़ मारते हुए दिखाया गया, जहां चौधरी चुनाव प्रक्रियाओं की देखरेख कर रहे थे।
जैसे ही पुलिस ने मीणा को गिरफ्तार करने का प्रयास किया, हिंसा भड़क उठी, दंगाइयों ने अधिकारियों पर पत्थर फेंके और वाहनों को आग लगा दी। अजमेर रेंज आईजी ओम प्रकाश ने पुष्टि की कि अशांति के सिलसिले में कम से कम 60 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
नरेश मीणा की गिरफ्तारी पर गांव वाले भड़क उठे। उन्होंने लगभग 24 बड़े वाहनों और 48 मोटरसाइकिलों को आग लगा दी गई, साथ ही कई घरों को भी काफी नुकसान पहुंचा। जवाब में, विशेष कार्य बल (एसटीएफ) इकाइयों को तलाशी अभियान चलाने और व्यवस्था बहाल करने के लिए गुरुवार 14 नवंबर सुबह तैनात किया गया।
टोंक के एसपी विकास सांगवान ने घटना क्रम के बारे में बताया कि ''समरावता गांव में कुछ लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया था। मामले को सुलझाने के लिए एसडीएम, तहसीलदार, एडिशनल एसपी और अन्य अधिकारियों ने इलाके का दौरा किया. इसी दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने मतदान केंद्र में घुसकर एसडीएम से मारपीट कर दी। एडिशनल एसपी ने तत्काल उनको रोका। कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। हमारे हस्तक्षेप के बाद, मतदान शांतिपूर्ण ढंग से फिर से शुरू हो गया था।
अपने बचाव में नरेश मीणा ने आरोप लगाया कि एसडीएम अमित चौधरी ने पहले भी स्थानीय लोगों के साथ मारपीट की थी। मीणा ने कहा-"एसडीएम ने पहले हिंडोली में एक महिला, उसके पति और एक शिक्षक को पीटा था और नौकरी लेने की धमकी देकर उन्हें वोट डालने के लिए मजबूर किया था। मेरे समर्थकों को 25 अक्टूबर से परेशान किया जा रहा है। मेरे अभियान के पोस्टर फाड़ दिए गए। लोगों को मुझे वोट देने से रोकने के लिए अभियान चलाया गया।''
गांव में तनाव अधिक बना हुआ है, आगे की हिंसा को रोकने के लिए क्षेत्र में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है, और बुधवार रात की अराजकता के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने के लिए जांच चल रही है। राजस्थान प्रशासनिक सेवा अधिकारी संघ ने मीणा पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।