मोरबी हादसे पर प्रधानमंत्री को लोग क्यों याद दिला रहे 'एक्ट ऑफ़ फ्रॉड'?

01:05 pm Oct 31, 2022 | सत्य ब्यूरो

आज गुजरात के चुनाव होने वाले हैं। 2016 में पश्चिम बंगाल के चुनाव होने वाले थे। आज गुजरात में पुल टूटा है, छह साल पहले बंगाल में फ्लाईओवर टूटा था। दोनों घटनाएँ अलग-अलग राज्यों की हैं और अलग-अलग समय की हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के एक बयान की वजह से लोग इन दोनों घटनाओं को जोड़ कर प्रधानमंत्री पर तंज कस रहे हैं।

तंज कसने वालों में विपक्षी दलों के नेता से लेकर एक्टिविस्ट और सोशल मीडिया यूज़र तक हैं। मशहूर वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर पूछा है, 'मोदी जी, मोरबी पुल हादसा एक्ट ऑफ़ गॉड है या एक्ट ऑफ़ फ्रॉड?'

दरअसल, 'एक्ट ऑफ़ गॉड है या एक्ट ऑफ़ फ्रॉड' को सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने ही एक हादसे को लेकर इस्तेमाल किया था। तब प्रधानमंत्री मोदी पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए गए थे। 2016 का साल था। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। तब राज्य की सत्ता में तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी मुख्यमंत्री थीं। 

31 मार्च 2016 को कोलकाता में विवेकानंद रोड फ्लाईओवर गिर गया था। इस हादसे में 27 लोगों की मौत हुई थी। हादसे के बाद पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार पर कटाक्ष करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'ये कहते हैं- ये तो एक्ट ऑफ़ गॉड है। दीदी, ये एक्ट ऑफ़ गॉड नहीं, ये तो एक्ट ऑफ़ फ्रॉड है, फ्रॉड। ये एक्ट ऑफ़ फ्रॉड का परिणाम है। ...क्योंकि चुनाव के दिनों में गिरा ताकि पता चले कि आपने कैसी सरकार चलाई है। इसलिए भगवान ने लोगों को संदेश दिया है कि आज ये पुल टूटा है, कल पूरे बंगाल को ख़त्म कर देगी। इसको बचाओ, ये भगवान ने संदेश भेजा है।'

प्रधानमंत्री मोदी की 6 साल पहले की यह टिप्पणी अब उनके ही गले की फाँस बन गई है। इसी बयान को लोग अब गुजरात के मोरबी में रविवार को हादसे के बाद याद दिला रहे हैं। मोरबी में एक केबल ब्रिज टूटने से कम से कम 141 लोगों की मौत हो गई है। 

मरम्मत और नवीनीकरण के बाद मोरबी के ब्रिज को चार दिन पहले ही यानी 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष के अवसर पर फिर से खोला गया था।

इस हादसे के बाद आप नेता सौरभ भारद्वाज ने प्रधानमंत्री मोदी के छह साल पुराने भाषण को ट्वीट किया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है- 'मोदी जी कहते हैं- चुनाव से पहले ब्रिज क्यों टूटता है?'

टीआरएस के सोशल मीडिया कन्वीनर वाईएसआर ने लिखा है, 'चुनाव से कुछ ही हफ्ते पहले गुजरात में सस्पेंशन ब्रिज ढह गया और मोदी जी का सभी के लिए एक संदेश है! कर्म का फल मिलता है।'

पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने प्रधानमंत्री मोदी के छह साल पहले वाले बयान की ख़बर के स्क्रीनशॉट को साझा करते हुए लिखा है, 'आशा है कि कोई भी नेता और राजनीतिक दल गुजरात पुल त्रासदी के साथ मोदी की घटिया राजनीति नहीं खेलेंगे, जिसमें 132 लोग मारे गए हैं।'

रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने कहा है, 'दुर्घटना पर राजनीति नहीं होना चाहिए... ये ही बात तो 2016 बंगाल चुनाव के दौरान, एक पुल टूटने पर PM मोदी ने कही थी। सुन तो लो, शायद आइना भी शरमा जाए... पर उपदेश कुशल बहुतेरे!'

बहरहाल, गुजरात घटना पर प्रधानमंत्री मोदी बेहद भावुक नज़र आए हैं। रविवार शाम को घटना के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र ने तत्काल बचाव अभियान का आदेश दिया था। पीएमओ ने एक बयान जारी किया था जिसमें कहा गया था कि पीएम ने मुख्यमंत्री से बात की। प्रधानमंत्री ने कहा था, 'मोरबी में हुए हादसे से बेहद दुखी हूँ। इस बारे में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और अन्य अधिकारियों से बात की। राहत और बचाव कार्य जोरों पर चल रहा है और प्रभावितों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जा रही है।'