क्या राहुल गांधी, उनकी बहन प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कल कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने इस्तीफे सौंप सकते हैं। एनडीटीवी ने कांग्रेस के टॉप सूत्रों के हवाले से यह खबर जारी की थी। हालांकि कांग्रेस ने इस खबर का खंडन कर दिया है।सीडब्ल्यूसी में गांधी परिवार के वफादारों का बोलबाला है। सीडब्ल्यूसी पार्टी का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो सारे फैसले लेती है। देखना है कि गांधी के वफादार ऐसी स्थिति बनने पर क्या फैसला लेते हैं। यह पहली बार नहीं है जब सोनिया गांधी और उनके बेटे पद छोड़ने की पेशकश कर रहे हैं। इससे पहले भी वे ऐसा कर चुके हैं। राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद इन्हीं हालात में छोड़ा था।
सूत्रों का कहना है कि गांधी परिवार के वफादारों ने उनके इस्तीफे के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है और गांधी परिवार को अपना समर्थन फिर से देने की बात कही है। गांधी परिवार से कहा गया है कि पार्टी को इन हालात में उन तीनों की ज्यादा जरूरत है। सीबडब्ल्यूसी की बैठक में इस बार करीब 56 सदस्यों को बुलाया गया है। समझा जाता है कि कुछ सीडब्ल्यूसी सदस्य नेतृत्व में बदलाव की मांग कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि गांधी परिवार भी महसूस करता है कि स्थिति पहले जैसी नहीं है।जी-23 असंतुष्ट गुट के एक नेता ने कहा कि गांधी परिवार के प्रस्ताव से पार्टी को एक बोझ से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी।
हालांकि उस नेता का कहना है कि बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि सोनिया गांधी की शुरुआती टिप्पणियों के बाद हालात कैसे बनते हैं।
2019 में, राहुल गांधी ने पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रही हैं। इतनी पुरानी पार्टी कोई नया अध्यक्ष तक नहीं खोज पाई है।
गुरुवार को घोषित 5 राज्यों के चुनाव नतीजों में पार्टी का बेहद खराब प्रदर्शन जारी रहा। इसने अपने नियंत्रण वाले प्रमुख राज्यों में से एक, पंजाब को आम आदमी पार्टी (आप) के हाथों खो दिया। तीन अन्य राज्यों में एक मजबूत लड़ाई लड़ने में विफल रही, जहां उसने वापसी की उम्मीद की थी। ये थे - उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर। यूपी में, जहां चुनाव अभियान का नेतृत्व प्रियंका गांधी वाड्रा ने किया था, कांग्रेस को 403 में से सिर्फ 2 सीटें मिलीं, पिछले चुनावों के मुकाबले पार्टी को 5 सीटों का नुकसान हुआ। पार्टी को महज 2.4 फीसदी वोट मिले।