टेस्ट क्रिकेट को क़रीब दो साल पहले अलविदा कहने वाले साउथ अफ्रीका के तेज़ गेंदबाज़ डेल स्टेन ने मंगलवार को क्रिकेट के हर फॉर्मेट को अलविदा कह दिया। एक तरह से देखा जाए तो दो साल पहले टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहना ही स्टेन के लिए सही वक़्त था क्योंकि उसके बाद से उन्होंने एक भी वन-डे मैच नहीं खेला जबकि बड़ी मुश्किल से 3 टी20 मैच खेले। हां, इस दौरान वो अलग-अलग टी20 लीग्स में शिरकत करते रहे।
स्टेन के रिटायरमेंट के बाद एक बार फिर से पुरानी बहस तेज़ हो गयी है। क्या स्टेन ही क्रिकेट इतिहास के महानतम तेज़ गेंदबाज़ हैं? आँकड़ों के लिहाज से तो सिर्फ़ 4 तेज़ गेंदबाज़ों ने स्टेन से ज़्यादा टेस्ट विकेट झटके हैं। उनके समकालीन इंग्लैंड के जेम्स एंडरसन (630), ऑस्ट्रेलिया के महान तेज़ गेंदबाज़ ग्लेन मैक्ग्रा (563), वेस्टइंडीज़ के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ कोर्टनी वॉल्श (519) और इंग्लैंड के एक और तेज़ गेंदबाज़ स्टुअर्ट ब्रॉड (524) शामिल हैं। ब्रॉड तो सर्वकालीन महान में शायद नहीं गिने जा सकते हैं।
अतीत के महान तेज़ गेंदबाज़ों की बात करेंगे तो डेनिस लिली और मैल्कम मार्शल का नाम ज़रूर आ सकता है। लिली की तमाम ख़ूबियों के बावजूद उनकी महानता अक्सर मार्शल के मुक़ाबले थोड़ी कमतर पड़ जाती थी जिसकी सबसे बड़ी वजह थी एशियाई पिचों पर उनका बेहद साधारण रिकॉर्ड। और उसी पैमाने पर अगर स्टेन के करियर का आकलन किया जाए तो उन्हें महानतम का तमगा देने से कोई भी नहीं रोक सकता है।
एशिया में असाधारण थे स्टेन
जिस तरह से एशियाई बल्लेबाज़ SENA यानी दक्षिण अफ़्रीका, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में अपना लोहा नहीं मनवाते हैं, उनकी महानता कभी भी पूरी नहीं मानी जाती, ठीक उसी तरह से जब तक कोई ग़ैर-एशियाई तेज़ गेंदबाज़ खुद को एशियाई पिचों पर साबित नहीं करता है, उसकी महानता को 24 कैरेट वाले सोने की तरह खरा नहीं माना जाता है। कपिल देव, इमरान ख़ान, वकार यूनिस और वसीम अकरम को महान का दर्जा दिलाने में इस बात की बेहद अहम भूमिका रही है कि इन खिलाड़ियों ने अपने जीवन का ज़्यादातर समय एशिया की उन बेजान विकटों पर बिताया जिसे देखते हुए लिली और इयन बॉथम जैसे दिग्गज दौरा करने से ही मना कर देते थे।
अब इन आँकड़ों पर ग़ौर करें जो स्टेन को बिल्कुल एक अलग स्तर पर ले जाते हैं। एशिया में स्टेन का गेंदबाज़ी औसत (24.1) रन प्रति विकेट है जबकि एशिया के बाहर यह 22.6 है। यानी मामूली सा अंतर। स्ट्राइक रेट यानी हर 1 विकेट के लिए वो कितनी गेंद ख़र्च करते हैं, इस पैमाने पर तो उनका रिकॉर्ड एशिया में (42.9) और एशिया से बाहर (42.2) तकरीबन एक जैसा ही है।
लेकिन, जो बात स्टेन को बाक़ी दिग्गजों से जुदा करती है वो यह कि एशियाई पिचों पर वो विकेटों का शतक (92) बनाने के बेहद क़रीब पहुँचे जबकि उनके बाद सबसे बेहतर रिकॉर्ड कोर्टनी वाल्श का रहा जिन्होंने 77 विकेट हासिल किये।
एशिया में ग़ैर-एशियाई गेंदबाज़ों में सिर्फ़ न्यूज़ीलैंड के सर रिचर्ड हैडली का ही स्ट्राइक रेट स्टेन से बेहतर रहा (यहाँ हम उन गेंदबाज़ों की बात कर रहें हैं जिन्होंने कम से कम 50 टेस्ट विकेट हासिल किये हों)।
बात सिर्फ़ रिकॉर्ड की ही नहीं, मैच जिताने की भी
साउथ अफ्रीका ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 1-0 से पाकिस्तानी ज़मीं पर 2007 में जीत हासिल की। कराची टेस्ट में जीत के नायक थे पारी में 5 विकेट लेने वाले स्टेन। स्टेन के दौर में साउथ अफ्रीका भारत में सीरीज़ भले ही नहीं जीत पाया लेकिन लगातार 2 मौक़े पर 1-1 के बेहद सम्मानजनक स्कोरलाइन से अपने मुल्क वापस लौटा। उन दौरों पर एक एक टेस्ट अफ्रीका ने जीते उसमें स्टेन ने (5 -23) अहमदाबाद, 2008 और नागपुर, 2010 में (7-51) सिर्फ़ अपने दम पर टीम को मैच जिताने में अहम किरदार अदा किया।
इतना ही नहीं, श्रीलंका में जब स्टेन की टीम ने 2014 में पहली बार सीरीज़ फतह की तो उसमें भी गॉल टेस्ट के दौरान स्टेन ने 5- 54 और 4 -45 के प्रभावशाली आँकड़े हासिल किये। ग़ैर-एशियाई मुल्कों द्वारा एशिया में जीते हुए टेस्ट मैचों में स्टेन के 52 विकेट हैं जबकि दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया के जैसन गिल्सेपी (40) हैं। अतीत में हैडली के नाम 28 विकेट रहे हैं जो सिर्फ़ 3 मैचों के दौरान आये।
इतना ही नहीं, क्रिकेट इतिहास में स्टेन इकलौते ग़ैर-एशियाई तेज़ गेंदबाज़ हैं जिन्होंने एशिया के तीन अलग-अलग देशों में पारी में 5 विकेट लेने का कमाल दिखाया है।
एक बात और। कई आलोचक दबी जुबां में यह कहते हैं कि साउथ अफ्रीका के पूर्व कप्तान ग्रेम स्मिथ ने स्टेन का इस्तेमाल एशिया में अलग अंदाज़ में किया जिसके चलते उन्हें निचले क्रम के विकेट भरपूर मात्रा में मिले। लेकिन, यह सच नहीं है। स्टेन के एशिया में टेस्ट के 92 शिकारों में सिर्फ़ 28 ही निचले क्रम (नंबर 8 से 11) के रहे जबकि 70 फीसदी विकेट टॉप ऑर्डर के ही रहे।
अद्भुत फिटनेस की मिसाल रहे हैं स्टेन
दिसंबर 2004 में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत करने वाले स्टेन को ठीक 11 साल बाद जब उनके कंधे में चोट की शिकायत हुई, तब तक वह अपने देश के लिए खेले गये 105 में से 82 मैचों में खेले। क़रीब 80 फीसदी मैचों में उपलब्ध रहे।
सचिन तेंदुलकर के साथ डेल स्टेन। फ़ोटो साभार: ट्विटर/सचिन तेंदुलकर
मलाल रहेगा तो सिर्फ एक बात का
मैक्ग्रा, टेस्ट क्रिकेट में अपना लोहा मनवाने के अलावा वन-डे क्रिकेट में भी वर्ल्ड कप जीतने वाली टीमों का हिस्सा रहे हैं और जीत में अहम भूमिका भी निभायी लेकिन स्टेन इस मामले में उन्नीस ही साबित हुए। वह उन 42 में से 28 वन-डे सीरीज़ का हिस्सा रहे जब उनकी टीम ने जीत हासिल की। टी20 में उनकी मौजूदगी में साउथ अफ्रीका सिर्फ 7 सीरीज़ जीत पायी। 2011 और 2015 वन-डे वर्ल्ड कप के दौरान स्टेन अपने दम पर साउथ अफ्रीका को वर्ल्ड कप जिताने की मुहिम का हिस्सा नहीं बन पाये। इतना ही नहीं, 2009 से 2019 के बीच वो 5 टी20 वर्ल्ड कप में खेले लेकिन ट्रॉफी जीतना तो दूर साउथ अफ्रीका फाइनल तक भी नहीं पहुँच पाया। एवी डिविलियर्स के साथ साथ स्टेन की सीवी में भी यह बात हर किसी को चुभेगी।