देश में इस समय जहरीली हवा चल रही है। कहीं धर्म संसद में समुदाय विशेष के नरसंहार की धमकी दी जाती है तो कहीं चर्च में हिन्दू संगठनों पर तोड़फोड़ का आरोप लगता है। लेकिन इन्हीं विवादों के बीच बेलुड़ मठ से असल भारत की तस्वीर आज सामने आई है।
यह तस्वीर हर साल क्रिसमस के दिन ही आती है।
यह वही बेलुड़ मठ है, जहां प्रधानमंत्री चिन्तन-मनन के लिए जाते हैं। लेकिन उनकी पार्टी से जुड़े संगठनों पर चर्च में प्रेयर रोकने का आरोप लगता है।
पश्चिमी बंगाल के बेलुड़ मठ में आज क्रिसमस धूमधाम से मनाया गया। किसी हिन्दू संगठन ने मठ की इस गतिविधि पर आपत्ति नहीं जताई।
बेलुड़ मठ स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित एक सम्मानित मठ है। वही स्वामी विवेकानंद जिनका लेते हुए बीजेपी और आरएसएस के नेता आगे-आगे रहते हैं।
वही विवेकानंद जिनके नाम को हर हिन्दू संगठन जब-तब भुना लेता है।
हुगली नदी के किनारे बेलूर मठ 1897 में स्वामी विवेकानंद ने स्थापित किया था।
अब रामकृष्ण मिशन संचालित करता है।
लेकिन रामकृष्ण मिशन ने कभी इस मठ की परंपरा को रोका नहीं।
हैरानी है कि खुद को स्वामी विवेकानंद से जोड़ने वाले दक्षिणपंथी संगठन स्वामी विवेकानंद के इन धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को न तो मानते हैं और न उसकी परवाह करते हैं।
इस मठ के अनुयायियों में विदेशियों की तादाद बहुत ज्यादा है। वेटिकन तक से लोग बेलुड़ मठ पहुंचते हैं। कल रात को भी मौजूद थे।
क्या दक्षिणपंथी यह जानते हैं
पता नहीं दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग इस तथ्य से वाकिफ हैं या नहीं कि स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस खुद ईसा मसीह के विचारों और जीवन से प्रभावित थे।
ईसा मसीह की वजह से ही उन्हें परम ज्ञान प्राप्त हुआ था और फिर उनकी जीवन धारा बदल गई।
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रामकृष्ण मिशन के 150 आश्रमों में हर साल क्रिसमस मनाया जाता है। इसमें बहुत सारे आश्रम भारत में ही हैं।
आरएसएस के लोग रामकृष्ण मिशन की इस गतिविधि से वाकिफ हैं लेकिन वे इन तथ्यों को बाकी जनता या अपने स्वयंसेवकों को नहीं बताते।
दक्षिणपंथियों की सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि उनका रुख बाकी समुदायों की धार्मिक मान्यताओं को लेकर लचीला नहीं है।
स्वामी विवेकानंद की छवि दरअसल उन्हें उनसे जोड़े हुए है। विवेकानंद की शिक्षा और ज्ञान से उनका लेना-देना नहीं है।
शिकागो की धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के भाषण पर अब कोई नजर नहीं डालना चाहता है।
एक वकील का दर्द
एक जाने-माने वकील संजॉय घोष ने आज बेलुड़ मठ में क्रिसमस मनाने की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए हैं।
ये वही संजॉय घोष हैं, जिन्होंने जब पिछले साल बेलूर मठ में क्रिसमस मनाने क फोटो और वीडियो शेयर किए थे तो दक्षिणपंथियों की ट्रोल आर्मी उनके पीछे पड़ गई थी।
संजॉय घोष ने आज फिर वहां क्रिसमस मनाने की फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि दक्षिणपंथियों को फिर से यह देखना चाहिए कि बेलुड़ मठ ने क्रिसमस मनाने की परंपरा बंद नहीं की है।
दरअसल, देश में संजॉय जैसे विचारवान लोगों की जरूरत है। ऐसे लोग बहुत हैं लेकिन वे उस वक्त नहीं बोलते, जब उन्हें बोलना चाहिए।
बोलिए, दर्शक मत बनिए।