कांट्रेक्ट फ़ॉर्मिंग में नहीं आएंगे: रिलायंस, कोर्ट पहुंची कंपनी

12:44 pm Jan 04, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों ने अंबानी-अडानी के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करने की अपील की है। इससे रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मालिक मुकेश अंबानी परेशान हैं क्योंकि सोशल मीडिया और किसानों के आंदोलन में रिलायंस के ख़िलाफ़ चल रहे अभियान से उन्हें आर्थिक नुक़सान हो रहा है। रिलायंस ने सोमवार को कृषि क़ानूनों को लेकर सफाई जारी की है और अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है। 

रिलायंस ने सोमवार को कहा है कि उसका कांट्रेक्ट या कॉरपोरेट फ़ॉर्मिंग के फ़ील्ड में आने का कोई इरादा नहीं है और उसने इसके लिए देश भर में कहीं भी कोई कृषि ज़मीन नहीं ख़रीदी है। कंपनी ने कहा है कि उसने बीते वक़्त में भी किसी तरह की कॉरपोरेट या कांट्रेक्ट फ़ॉर्मिंग नहीं की है। बता दें कि किसानों को इस बात का डर है कि नए कृषि क़ानून लागू होने के बाद उनके खेतों पर कॉरपोरेट्स का कब्जा हो जाएगा। 

कंपनी ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में उसके टावर्स को हुए नुक़सान को लेकर याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए किसानों के आंदोलन का फ़ायदा उठाकर उसके ख़िलाफ़ दुष्प्रचार कर रहे हैं और उसके ख़िलाफ़ जो भी आरोप लगाए गए हैं, वे बेबुनियाद हैं। 

रिलायंस ने मांग की है कि अदालत इस मामले में दख़ल दे और शरारती तत्वों द्वारा उसकी संपत्ति को पहुंचाए जा रहे नुक़सान पर पूरी तरह रोक लगाई जाए। रिलायंस ने आरोप लगाया है कि उसके व्यावसायिक प्रतिद्वंद्वी लोगों को ऐसा करने के लिए भड़का रहे हैं।

किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो- 

कर्मचारियों की सुरक्षा की मांग

कंपनी ने सफाई देते हुए कहा है कि वह सीधे किसानों से अनाज नहीं ख़रीदती है और सप्लायर्स से भी एमएसपी की व्यवस्था का पालन करने या इसे मानने के लिए कहती है। रिलायंस ने अदालत से गुहार लगाई है कि वह कोई उचित आदेश पास करे जिससे उसके कर्मचारियों को सुरक्षा मिले और संपत्ति को नुक़सान होने से बचाया जा सके। 

रिलायंस ने कहा है कि वह 130 करोड़ की आबादी वाले देश के अन्नदाता किसानों के प्रति पूरा सम्मान रखती है। 

किसानों के आंदोलन की सबसे ज़्यादा मार रिलायंस पर ही पड़ रही है। किसानों ने जियो के नंबर को दूसरे सर्विस प्रोवाइडर में पोर्ट कराने के अलावा रिलायंस के पेट्रोल पंप और रिटेल आउटलेट्स के बाहर धरना देने का अभियान छेड़ा हुआ है।

जियो के टावर्स की बिजली काटी

इसके अलावा किसान जियो के टावर्स की बिजली काट रहे हैं और इससे भी कंपनी को ख़ासा नुक़सान हो रहा है। किसान अब तक जियो के 1600 से ज़्यादा टावर्स की बिजली काट चुके हैं। राज्य में जियो के 9 हज़ार से ज़्यादा टावर हैं। पंजाब में कुछ ऐसे वीडियो वायरल हुए हैं जिसमें जियो के कर्मचारियों को धमकाया जा रहा है। इस वजह से राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं प्रभावित हो रही हैं और लोगों को खासी परेशानी हो रही है। 

जियो के टावर्स की बिजली काटने की घटनाएं पंजाब के नवांशहर, फ़िरोज़पुर, मानसा, बरनाला, फ़ाज़िल्का, पटियाला  बरनाला और बठिंडा में हो चुकी हैं। 

एयरटेल, वीआई का पलटवार 

रिलायंस के द्वारा अपने व्यावसायिक विरोधियों पर उसके ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करने के आरोपों का जवाब देते हुए एयरटेल और वोडाफ़ोन आइडिया (वीआई) ने कहा है कि जियो के आरोप पूरी तरह झूठ हैं। 

एयरटेल की ओर से टेलीकॉम विभाग को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि जियो के पास इन आरोपों को लेकर कोई सबूत नहीं है और विभाग को उसकी शिकायत को खारिज कर देना चाहिए। 

वीआई के प्रवक्ता ने कहा है कि वह ऐसे झूठ आरोपों की निंदा करती है और इस तरह की रिपोर्ट्स को भी नकारती है। वीआई ने कहा है कि वह टेलीकॉम के ढांचे को पहुंचाए जा रहे नुक़सान का जोरदार विरोध करती है। 

अमरिंदर की अपील भी बेअसर 

किसानों के लगातार जियो के टावर्स को होने वाली बिजली की सप्लाई काटने के कारण गंभीर हो रहे माहौल को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों से अनुशासन दिखाने की अपील की थी। अमरिंदर सिंह ने कहा था, ‘इससे न केवल पढ़ाई पर गंभीर असर हो रहा है बल्कि ऐसे छात्रों का भी भविष्य ख़राब हो रहा है जो ऑनलाइन पढ़ाई पर निर्भर हैं। जो लोग घर से काम कर रहे हैं, उनके निजी जीवन में भी मुश्किलें आ रही हैं।’ लेकिन किसानों पर अमरिंदर की अपील का कोई असर नहीं हुआ था।