मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों को लेकर सोमवार को संसद में जबरदस्त हंगामा हुआ है।
महाराष्ट्र से बीजेपी की सांसद पूनम महाजन ने कहा कि ये तीन पहियों की सरकार है। उन्होंने कहा, “अगर एक एपीआई को 100 करोड़ की वसूली करने को कहा जा रहा है तो साल भर में यह आंकड़ा 1200 करोड़ और पांच साल में यह 6 हज़ार करोड़ बैठता है।” उन्होंने कहा कि एनसीपी के गृह मंत्री कह रहे हैं कि इस्तीफ़ा नहीं देंगे तो शिव सेना को मिर्ची क्यों लग रही है।
महाराष्ट्र के अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने कहा, “मुंबई में अगर ऐसा होगा तो पूरे देश में इसे फ़ॉलो किया जाएगा। मुंबई से 100 करोड़ की वसूली होती होगी तो पूरे महाराष्ट्र से यह कितनी ज़्यादा होगी। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस मामले में शामिल हैं।”
राजस्थान के पाली से बीजेपी के सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि पुलिस अफ़सर ने चिट्ठी लिखने से पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उप मुख्यमंत्री अजित पवार, एनसीपी प्रमुख शरद पवार को बताया और अफ़सर को मज़बूर होकर चिट्ठी लिखनी पड़ी। उन्होंने कहा कि इस पत्र में लगाए गए आरोप बहुत गंभीर है और एक पूरा गिरोह बना हुआ था कि हर महीने 100 करोड़ की उगाही करनी है।
राज्यसभा में भी इस मुद्दे पर जबरदस्त हंगामा हुआ। सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस मुद्दे को उठाया। हंगामे के बाद सदन को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
पवार ने की प्रेस कॉन्फ्रेन्स
इस बीच, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेन्स की है। पवार ने कहा है कि परमबीर सिंह द्वारा लगाया गया यह आरोप कि फरवरी में सचिन वाजे और अनिल देशमुख की बातचीत हुई थी, यह गलत है। उन्होंने कहा कि 5 से 15 फरवरी तक देशमुख कोरोना संक्रमण के कारण नागपुर के अस्पताल में भर्ती थे और 16 से 27 फ़रवरी तक वह घर में आइसोलेट थे।
पवार ने देशमुख के अस्पताल में भर्ती होने का पर्चा दिखाया। उन्होंने कहा कि चूंकि उस वक़्त देशमुख अस्पताल में थे इसलिए परमबीर के आरोपों में कोई दम नहीं है और इस घटना से ठाकरे सरकार पर कोई असर नहीं होगा।
एनसीपी प्रमुख ने पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा कि वह इस पूरी जानकारी को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सामने रखेंगे। पवार ने कहा कि उन्होंने ही सुझाव दिया था कि जांच होनी चाहिए लेकिन फिर भी जांच के बारे में फ़ैसला करना मुख्यमंत्री का अधिकार है। मनसुख हिरेन की मौत को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में पवार ने कहा कि इस मामले में जांच चल रही है और इस बारे में उनका कुछ कहना सही नहीं होगा।
पवार ने कहा कि पहले उन्हें यह लगा कि यह मामला गंभीर है लेकिन देशमुख के अस्पताल में भर्ती होने के दस्तावेज़ और इस बात की जानकारी मिलने के बाद विपक्ष के द्वारा देशमुख के इस्तीफ़े की मांग में कोई दम नहीं है।
शिव सेना का पलटवार
बीजेपी नेताओं के इन आरोपों के बीच शिव सेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे ताज़ा संपादकीय में उस पर पलटवार किया है। शिव सेना ने ‘सामना’ में लिखा है, “परमबीर सिंह भरोसे लायक अफ़सर बिल्कुल नहीं हैं। उन पर विश्वास नहीं रखा जा सकता है, कल तक बीजेपी का ऐसा मत था परंतु उसी परमबीर सिंह को आज बीजेपी सिर पर बैठाकर नाच रही है।”