कांग्रेस ने यूपी की लोकसभा सीटों को लेकर समाजवादी पार्टी से पहले दौर की बातचीत पूरी कर ली है। दूसरे दौर की बैठक 12 जनवरी को बुलाई गई है। मंगलवार को हुई इस बैठक में दोनों दलों ने महत्वपूर्ण सीटों की संख्या को लेकर चर्चा की। अब दोनों दलों के नेता अपने-अपने आलाकमान को इसकी रिपोर्ट देंगे। वहां से जो भी संकेत मिलेगा, उस पर 12 जनवरी को अंतिम फैसला लेने की उम्मीद है।
लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर यूपी सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। पिछले चुनाव यानी 2019 में भाजपा को 62 सीटें, उसके सहयोगी अपना दल (एस) को 2 सीटें मिली थीं। भाजपा का वोट शेयर 49.98 फीसदी था, जबकि एनडीए का वोट शेयर 51.19 फीसदी था। यूपी में सपा, बसपा और रालोद ने अपने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था, जिसमें बसपा को 10, सपा को 5 सीटें मिली थीं। लेकिन इनका वोट शेयर 39.23 फीसदी था। कांग्रेस मात्र एक सीट जीत सकी थी और उसका वोट शेयर 6.36 फीसदी था। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में तीन लोकसभा सीटों रामपुर, आजमगढ़ और मैनपुरी पर उपचुनाव हुए थे। इनमें रामपुर और आजमगढ़ पर भाजपा ने कब्जा कर लिया था और मैनपुरी की सीट परंपरागत रूप से सपा के पास ही रही।
मंगलवार की बैठक कांग्रेस की एलायंस कमेटी के प्रमुख मुकुल वासनिक के घर हुई। जिसमें सलमान खुर्शीद भी मौजूद थे। सपा की ओर से राम गोपाल यादव मौजूद थे। उनके साथ सपा सांसद जावेद अली भी थे। राम गोपाल यादव ने बैठक की पुष्टि करते हुए बताया कि बैठक बहुत खुशनुमा माहौल में हुई। हम सभी लोगों ने खुले दिल से बात की। अगले दौर की बातचीत 12 जनवरी को होगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या बसपा के मुद्दे पर बात हुई, राम गोपाल यादव ने कहा कि यह सब मीडिया में चल रहा है। हम आपके मुंह से यह सब सुन रहे हैं। लेकिन वहां किसी ने बसपा का नाम तक नहीं लिया था।
क्या सपा प्रमुख अब तेवर नरम कर रहे हैं
यूपी से खबरें हैं कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव बसपा को लेकर अपना रुख नरम कर रहे हैं। इसकी झलक पार्टी के विधायकों की बैठक में देखने को मिली थी। अखिलेश ने लोकसभा चुनाव के संबंध में यह बैठक बुलाई थी। बैठक में जब एक विधायक ने मायावती का नाम लेकर कोई बात कही तो अखिलेश ने उस विधायक को बुरी तरह टोका और कहा कि बहनजी का नाम सम्मान के साथ लिया जाए। अखिलेश ने उस विधायक से कहा कि हमारे राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं लेकिन हम किसी के प्रति असम्मान नहीं दिखा सकते। पार्टी में किसी भी नेता को दूसरे दल के नेताओं के प्रति असम्मान दिखाने की जरूरत नहीं है। इस बैठक में जो नेता और विधायक मौजूद थे, उन्होंने संकेत दिया कि अखिलेश का रुख बसपा के प्रति नरम हो रहा है।
हालांकि कुछ सपा नेताओं ने इसे सामान्य शिष्टाचार बताते हुए कहा कि इसमें कोई राजनीति नहीं देखा जाना चाहिए। याद दिला दें कि इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक में मीडिया में खबरें आई थीं कि सपा प्रमुख गठबंधन में बसपा को शामिल किए जाने के खिलाफ थे। कांग्रेस ने बसपा को शामिल किए जाने पर जोर दिया था। यूपी कांग्रेस के तमाम नेताओं ने पार्टी आलाकमान को फीडबैक दी है कि बसपा को साथ लिए बिना यूपी की लड़ाई नहीं जीती जा सकती।