बिहारी बाबू यानी शत्रुघ्न सिन्हा के टीएमसी में शामिल होने की चर्चा कोलकाता से लेकर दिल्ली तक के राजनीतिक गलियारों में है। कहा जा रहा है कि टीएमसी की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बिहारी बाबू को राज्यसभा भेज सकती हैं।
हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी टीएमसी का दामन थाम लिया था। माना जा रहा है कि ममता बनर्जी की कोशिश उत्तर भारत में टीएमसी के आधार को बढ़ाने की है और इसीलिए वे नामी चेहरों को अपनी पार्टी में शामिल कर रही हैं।
कुछ वक़्त पहले बिहारी बाबू के एक बार फिर से बीजेपी में जाने की चर्चा चली थी लेकिन अब इस बात को लगभग तय माना जा रहा है कि वह टीएमसी के साथ जाएंगे।
पीटीआई के मुताबिक़, कोलकाता के कुछ टीएमसी नेताओं का भी कहना है कि सिन्हा के टीएमसी में शामिल होने को लेकर चल रही बातचीत काफ़ी आगे पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा है कि सिन्हा के ममता बनर्जी से हमेशा से ही बेहतर रिश्ते रहे हैं। कहा जा रहा है कि 21 जुलाई को एक कार्यक्रम में सिन्हा टीएमसी का दामन थाम सकते हैं।
अलग अंदाज में ‘ख़ामोश’ कहने वाले बिहारी बाबू सिन्हा ममता बनर्जी की दिल खोलकर तारीफ़ भी कर चुके हैं। सिन्हा ने बंगाल चुनाव में जीत के बाद ममता बनर्जी को असली बंगाल टाइगर बताया था और कहा था कि उन्होंने बंगाल चुनाव में प्रोपेगेंडा और पैसे की ताक़त को हरा दिया है।
दो सीटें हैं खाली
टीएमसी में राज्यसभा की दो सीटें खाली हुई हैं। एक सीट पूर्व केंद्रीय मंत्री दिनेश त्रिवेदी और दूसरी सांसद मानस भुनिआया के इस्तीफ़े से खाली हुई है। सांसद मानस भुनिआया ने बंगाल में विधानसभा का चुनाव लड़ा था और अभी वे ममता सरकार में मंत्री हैं। माना जा रहा है कि इनमें से किसी एक सीट से ममता बनर्जी बिहारी बाबू को राज्यसभा भेज सकती हैं।
2024 की तैयारी में दीदी
2024 के चुनाव से पहले देश में एंटी बीजेपी फ्रंट या थर्ड फ्रंट को लेकर जो तैयारियां चल रही हैं, उसे लेकर ममता बनर्जी, शरद पवार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर काफी सक्रिय हैं। ममता बनर्जी के बंगाल चुनाव में बीजेपी को शिकस्त देने के बाद विपक्षी दलों के एकजुट होकर एक प्लेटफ़ॉर्म पर आने की संभावनाओं को बल मिला है।
बीते दिनों हुई राष्ट्र मंच की बैठक हो या फिर शरद पवार और प्रशांत किशोर की मुलाक़ातें हों, इससे बीजेपी के ख़िलाफ़ बनने वाले मोर्चे की चर्चाओं को बल मिला है और ममता बनर्जी की कोशिश ऐसे बड़े चेहरों को जोड़ने की है, जो टीएमसी के सियासी विस्तार में तो काम ही सकें, बीजेपी के ख़िलाफ़ बनने वाले गठबंधन में भी अहम रोल निभा सकें।
मोदी सरकार के आलोचक हैं सिन्हा
नरेंद्र मोदी सरकार के आलोचक रहे सिन्हा ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का हाथ थामा था और पटना साहिब सीट से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा था। लेकिन वह हार गए थे। राजनीति में जाना-पहचाना चेहरा होने के बाद भी सिन्हा को कांग्रेस में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई।
शत्रुघ्न सिन्हा फ़िल्म इंडस्ट्री का जाना-माना चेहरा हैं। शत्रुघ्न को बीजेपी ने कई राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए भेजा था और दूसरों को ‘ख़ामोश’ कर देने वाली उनकी आवाज़ से वोट भी बटोरे थे। सिन्हा ने मोदी और शाह की जोड़ी पर हमला बोलते हुए बीजेपी को वन मैन पार्टी और टू मैन आर्मी कहा था। सिन्हा दो बार सांसद रहे हैं और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।