मूर्ख न बनाएँ, पेट्रोल दो साल में 27 रुपये महंगा, आगे भी होगा: राहुल 

03:38 pm May 22, 2022 | सत्य ब्यूरो

सरकार द्वारा पेट्रोल पर केंद्रीय शुल्क में 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर कटौती की घोषणा को राहुल गांधी ने जनता को मूर्ख बनाने वाला फ़ैसला क़रार दिया है। उन्होंने अपनी बातों के समर्थन में पिछले कुछ आँकड़ों को रखा है। उन्होंने कहा है कि 1 मई 2020 को जो पेट्रोल 69.5 रुपये प्रति लीटर था वह 1 मार्च 2022 को 95.4 रुपये प्रति लीटर हो गया। उन्होंने आगे कहा कि यही पेट्रोल 1 मई 2022 को 105.4 रुपये प्रति लीटर हुआ तो 22 मई को 96.7 रुपये प्रति लीटर। यानी राहुल उस ओर इशारा कर रहे थे कि कुछ दिनों में धीरे-धीरे कर पैसे बढ़ाया जाता है और फिर कुछ रुपये की कमी कर दी जाती है। 

राहुल ने ट्वीट कर कहा है कि 'अब, पेट्रोल के 0.8 रुपये और 0.3 रुपये की दैनिक खुराक में फिर से 'विकास' दिखने की उम्मीद है। सरकार को नागरिकों को बेवकूफ बनाना बंद करना चाहिए। लोग रिकॉर्ड महंगाई से वास्तविक राहत के पात्र हैं।'

राहुल के इस ट्वीट का साफ़ मतलब है कि मार्च और मई के बीच पेट्रोल डीजल की बढ़ी कीमतें केंद्र सरकार की केंद्रीय शुल्क में कटौती की घोषणा वाली गिरावट से अधिक थीं। 

यूक्रेन युद्ध के बीच भारत में आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतों में नए रिकॉर्ड पहुँचने के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को उत्पाद शुल्क में कटौती सहित कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं। केंद्रीय उत्पाद शुल्क में इस कटौती से पेट्रोल की क़ीमत में 9.5 रुपये की कमी आई है, जबकि डीजल 7 रुपये सस्ता हो गया।

उनकी घोषणा के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया था कि हमेशा हमारे लिए प्राथमिकता में लोग हैं! उन्होंने कहा था कि आज के फ़ैसले विशेष रूप से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट से विभिन्न क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे और हमारे नागरिकों को राहत प्रदान करेंगे।

लेकिन कांग्रेस के सुरजेवाला ने सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, 'प्रिय एफएम, आप जनता को कितना बेवकूफ बनाएंगे? आज पेट्रोल की कीमत 105.41 रुपये प्रति लीटर है। आज आपने पेट्रोल के दाम 9.50 रुपये कम कर दिए। ठीक 60 दिन पहले 21 मार्च 2022 को पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपये प्रति लीटर थी। 60 दिनों में आपने पहले पेट्रोल की कीमत 10 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई और अब 9.50 रुपये प्रति लीटर की कमी की।'

बता दें कि सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती की घोषणा तब की है जब महंगाई देश में रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 17 मई को जारी आँकड़ों से पता चला है कि अप्रैल में थोक महंगाई 15.08% हो गई है। थोक महँगाई बढ़ने का कारण सब्जियों, फलों, दूध और ईंधन की क़ीमतों में वृद्धि है। 'ब्लूमबर्ग' की रिपोर्ट के अनुसार इससे ज़्यादा महंगाई सितंबर 1991 में थी जब थोक मूल्य सूचकांक महँगाई 16.31 फ़ीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी थी। 

इससे पहले जारी आँकड़ों के मुताबिक़, खुदरा महंगाई भी अप्रैल में 8 साल के उच्च स्तर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है। यह लगातार चौथा महीना है जब महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय सीमा से ऊपर है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस महंगाई को 6 प्रतिशत की सीमा के अंदर रखने का लक्ष्य रखा है। यानी मौजूदा महंगाई की दर लगातार चौथे महीने ख़तरे के निशान के पार है और लगातार बढ़ रही है।