राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर बेहद आक्रामक हमला किया है। उन्होंने कहा कि 'नरेंद्र मोदी ओबीसी पैदा नहीं हुए थे। भयंकर बेवकूफ बनाया जा रहा है। वह सामान्य वर्ग में पैदा हुए थे।' उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम मोदी जातिगत जनगणना नहीं होने देंगे।
राहुल गांधी ने गुरुवार को भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनकी जाति को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री सामान्य वर्ग से हैं, न कि अन्य पिछड़ा वर्ग से। राहुल गांधी ने ओडिशा के झारसुगुड़ा में लोगों के संबोधन में कहा, 'पीएम मोदी का जन्म ओबीसी वर्ग में नहीं हुआ था। आप सबको भयंकर बेवकूफ बनाया गया है। .... नरेंद्र मोदी जी ओबीसी नहीं पैदा हुए थे। नरेंद्र मोदी गुजरात में तेली जाति में पैदा हुए थे।' उनके समुदाय को बीजेपी ने साल 2000 में ओबीसी बनाया। आपके प्रधानमंत्री सामान्य जाति में पैदा हुए।'
राहुल ने आगे कहा, 'लेकिन वह पूरी दुनिया में झूठ बोल रहे हैं कि मैं ओबीसी पैदा हुआ। ...पता है कैसे मैं जानता हूँ? मुझे जन्मप्रमाण की ज़रूरत नहीं है। वो किसी ओबीसी से गले नहीं मिलते। वो किसी किसान का ऐसे हाथ नहीं पकड़ते हैं, किसी मज़दूर का हाथ नहीं पकड़ते हैं। वह सिर्फ़ अडानी जी का हाथ पकड़ते हैं। ये पूरी जिंदगी में जाति जनगणना नहीं कराएँगे क्योंकि प्रधानमंत्री पूरे देश से झूठ बोल रहे हैं।' उन्होंने कहा कि जाति जनगणना का काम कांग्रेस पार्टी करेगी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा,
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मैंने जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय की बात की तो पीएम मोदी ने कहा- देश में सिर्फ दो जातियां हैं: अमीर और गरीब। अगर दो जातियां हैं तो आप क्या हैं? गरीब तो आप हैं नहीं! आप करोड़ों का सूट पहनते हैं। दिन में कई बार कपड़े बदलते हैं, फिर झूठ बोलते हैं कि मैं ओबीसी वर्ग का आदमी हूं।
राहुल गांधी, कांग्रेस नेता
राहुल के आरोपों को बीजेपी ने साफ़ झूठ कहकर खारिज कर दिया है। अमित मालवीय ने दावा किया है कि मोदी के गुजरात के सीएम बनने से दो साल पहले ही उनकी जाति को ओबीसी के लिए अधिसूचित कर दिया गया था।
बहरहाल, राहुल गांधी का यह बयान तब आया है जब प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में हाल ही में ओबीसी आरक्षण को कुंद करने के कांग्रेस के आरोपों को लेकर कहा था कि ओबीसी का सबसे बड़ा उदाहरण तो वह खुद हैं। पीएम मोदी खुद को ओबीसी बताते रहे हैं। राहुल गांधी सरकारी महकमों में आरक्षित पदों के खाली होने और हाल में आरक्षित पदों को सामान्य श्रेणी से भरने के यूजीसी के एक ड्राफ्ट को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर हैं। वह कहते रहे हैं कि मोदी सरकार ओबीसी, दलित और आदिवासी विरोधी है।
इस बीच एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए कांग्रेस को ओबीसी विरोधी बताया है।
यह कहते हुए कि कांग्रेस हमेशा दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों के खिलाफ रही है, प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को कहा था कि जवाहरलाल नेहरू नौकरियों में किसी भी प्रकार के आरक्षण के पक्ष में नहीं थे। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र पढ़ा।
पीएम मोदी ने नेहरू के ख़त को पढ़ते हुए कहा, "मैं इसका अनुवाद पढ़ रहा हूं- 'मैं किसी भी तरह के आरक्षण को नापसंद करता हूं, खासकर नौकरियों में। मैं ऐसी किसी भी चीज के सख्त खिलाफ हूं जो अक्षमता और दोयम दर्जे के मानकों को जन्म देती है।' ...इसलिए मैं कहता हूं कि वे जन्म से ही इसके (आरक्षण) खिलाफ हैं... अगर सरकार ने उस समय भर्ती की होती और उन्हें समय-समय पर पदोन्नत किया होता, तो वे आज यहां होते।"
पीएम मोदी उस पत्र का जिक्र कर रहे थे जो जवाहरलाल नेहरू ने 27 जून, 1961 को मुख्यमंत्रियों को लिखा था। उस ख़त में पिछड़े समूहों को अच्छी शिक्षा तक पहुंच प्रदान करके सशक्त बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया था, न कि जाति के आधार पर नौकरियों को आरक्षित करके।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने कभी भी ओबीसी को पूर्ण आरक्षण नहीं दिया और उसे सामाजिक न्याय का प्रचार नहीं करना चाहिए। पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने 7 दशकों तक ओबीसी को उनके अधिकारों से वंचित रखा। प्रधानमंत्री ने कहा, 'कांग्रेस वह पार्टी है जिसने ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया, जिसने सामान्य वर्ग के गरीबों को कभी आरक्षण नहीं दिया, जिसने बाबा साहब को भारत रत्न के योग्य नहीं माना और इसके बजाय अपने परिवार के सदस्यों को भारत रत्न देती रही। वे आज हमें सामाजिक न्याय पर लेक्चर दे रहे हैं। जिनके पास नेता के रूप में कोई गारंटी नहीं है वे मोदी की गारंटी पर सवाल उठा रहे हैं।'