किसान महापंचायतों के जरिये तसवीर बदलेंगी प्रियंका?

12:07 pm Feb 16, 2021 | पवन उप्रेती - सत्य हिन्दी

वर्षों तक उत्तर प्रदेश में एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस इन दिनों वेंटिलेटर पर है। उसे ऐसे डॉक्टर की ज़रूरत है जो न सिर्फ़ उसमें नई जान फूंके बल्कि उसे अकेले दम पर सियासत की ज़मीन पर दौड़ने लायक भी बना सके। लेकिन ऐसा कैसे होगा। उत्तर प्रदेश में ब्लॉक से लेकर शहर, जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में काम कर रहे कार्यकर्ताओं को पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा में वह डॉक्टर दिखाई देता है, जो इस चुनावी साल में कांग्रेस को ऑक्सीजन देकर उसे फिर से खड़ा कर सकता है और अगर हालात माकूल रहे तो दौड़ने लायक भी बना सकता है। 

उत्तर प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में यह उम्मीद किसानों के आंदोलन में प्रियंका गांधी के फ्रंटफ़ुट पर आने से जगी है। कांग्रेस इन दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायतें कर रही है और प्रियंका ने हफ़्ते भर के अंदर दो महापंचायतों में हिस्सा लिया है। 

सहारनपुर और बिजनौर में हुई इन महापंचायतों में कांग्रेस नेताओं ने ठीक-ठाक भीड़ जुटाई है और अगर किसान आंदोलन कुछ महीने और चला तो निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश के 2022 के विधानसभा चुनाव पर इसका सियासी असर होगा। 

दम-खम के साथ लड़ेगी कांग्रेस

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जब प्रियंका गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था, तभी से पार्टी कार्यकर्ताओं को लगा था कि कांग्रेस के अच्छे दिन वापस आ सकते हैं। लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए ख़राब रहे। इसके बाद प्रियंका सीएए विरोधी प्रदर्शनों के अलावा लॉकडाउन के दौरान भी योगी सरकार के साथ ही मायावती और अखिलेश यादव के ख़िलाफ़ भी मोर्चा खोले रहीं और अब चुनावी साल में उन्होंने किसानों के आंदोलन के जरिये कांग्रेस को मैदान में उतारकर संकेत दिया है कि उनकी पार्टी 2022 का चुनाव पूरे दम-खम के साथ लड़ेगी। 

सोशल मीडिया वॉरियर्स की तैनाती

कांग्रेस 5 लाख सोशल मीडिया वॉरियर्स की तैनाती कर रही है। उसकी कोशिश डिजिटल और सोशल मीडिया स्पेस को कवर करने और बीजेपी को जोरदार जवाब देने की है। प्रियंका उत्तर प्रदेश कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम कैसा काम कर रही है, इस पर नज़र रखती हैं। 

यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय लल्लू भी काफी सक्रिय रहते हैं।

पुराने कांग्रेसियों को जोड़ने की कोशिश

प्रियंका की कोशिश कांग्रेस के पुराने समर्थक वर्ग दलित, ब्राह्मण और मुसलमानों को साथ लाने की है। उत्तर प्रदेश की कांग्रेस कमेटी में इसका साफ असर दिखाई देता है। साथ ही वह कांग्रेस के पुराने नेताओं को जोड़ने के काम में जुटी हैं। बताया गया है कि वह कई जिलों में पुराने और बुजुर्ग कांग्रेसियों से मिलने जाने वाली हैं। प्रियंका उन्हें एक बार फिर कांग्रेस के लिए लड़ने के लिए तैयार करेंगी।  

यह बात तय है कि 2022 में प्रियंका ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगी। प्रियंका को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने से सुस्त और निस्तेज पड़ी कांग्रेस में जान आ सकती है।

आरएलडी भी सक्रिय

उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन से सबसे ज़्यादा प्रभावित पश्चिम का इलाक़ा है। इस इलाक़े में हो रही किसान महापंचायतों में राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के अलावा कांग्रेस भी सक्रिय हो चुकी है। आरएलडी की ओर से जहां पूर्व सांसद जयंत चौधरी ने मोर्चा संभाला है, वहीं प्रियंका कांग्रेस की तरफ से मैदान संभाल रही हैं। 

‘जय जवान जय किसान’ अभियान 

प्रियंका ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ‘जय जवान जय किसान’ अभियान की शुरुआत की है। 27 जिलों में चलने वाले इस अभियान की शुरुआत उन्होंने 10 फरवरी को सहारनपुर से की थी। सोमवार को वह बिजनौर पहुंचीं और कांग्रेस की ओर से आयोजित किसानों की महापंचायत में मोदी सरकार पर हमले किए। 

किसानों के बकाये का मुद्दा 

प्रियंका ने किसानों से सवाल पूछा कि क्या उनकी कमाई दुगनी हुई है और क्या 2017 के बाद से केंद्र सरकार ने गन्ने का दाम बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि किसानों का 10 हज़ार करोड़ रुपये बकाया है लेकिन मोदी जी ने दुनिया भर में घूमने के लिए 16 हज़ार करोड़ के दो हवाई जहाज खरीदे हैं। प्रियंका ने कहा कि 20 हज़ार करोड़ की क़ीमत से संसद भवन बनाया जा रहा है लेकिन किसानों को उनका बकाया नहीं दिया जा रहा है। कांग्रेस आने वाले कुछ दिनों में शामली से लेकर मुज़फ्फरनगर, मेरठ, बाग़पत, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़ में भी किसान महापंचायतों का आयोजन करेगी। 

प्रियंका ने मौनी अमावस्या के मौक़े पर गंगा स्नान कर बीजेपी के हार्ड हिंदुत्व कार्ड का जवाब सॉफ्ट हिंदुत्व से देने की कोशिश की। प्रियंका बीजेपी को धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करने का कोई मौक़ा नहीं देना चाहतीं।

उत्तर प्रदेश में इस बार आम आदमी पार्टी के साथ ही हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी भी मैदान में उतर रही है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया कई दलों का गठबंधन बना रहे हैं। कांग्रेस शायद अकेले ही मैदान में उतरेगी।  

प्रियंका से है उम्मीद 

कांग्रेस किसान आंदोलन को 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में ख़ुद को फिर से जिंदा करने के मौक़े के रूप में देख रही है। कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि अगर किसान आंदोलन लंबा चलता है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 130 सीटों पर इसका असर होगा और अगर यहां बदलाव की बयार बही तो प्रदेश के बाक़ी इलाक़े भी इससे अछूते नहीं रहेंगे। उन्हें लगता है कि इंदिरा गांधी की पोती यहां उनके अच्छे दिनों को वापस ला सकती हैं।