सपा के पूर्व सहयोगी राजभर फिर से एनडीए में हुए शामिल

11:56 am Jul 16, 2023 | सत्य ब्यूरो

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए में लौट आए हैं। इससे पहले वह उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के सहयोगी थे और तब वह यूपी और केंद्र में बीजेपी सरकार को लगातार कोसते रहे थे। लेकिन अब उन्होंने बीजेपी नेतृत्व की जमकर तारीफ़ की है।

ओपी राजभर ने गृहमंत्री अमित शाह के साथ एक तस्वीर ट्वीट की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा को धन्यवाद दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अमित शाह से मुलाक़ात के बाद उनकी पार्टी ने एनडीए में शामिल होने का फ़ैसला लिया। उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी पार्टी गठबंधन के हिस्से के रूप में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी।

राजभर ने कहा, 'हमने 14 जुलाई को दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और 2024 का चुनाव एक साथ लड़ने का फैसला किया। हमारी पार्टियों के एक साथ आने से एक बड़ी ताकत बनेगी। मैं समाज के हाशिए पर मौजूद वर्गों के विकास की लड़ाई में हमें साथ लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देना चाहता हूं।'

उनकी पार्टी एसबीएसपी ने इससे पहले 2017 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ा था और राजभर को पहले योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री नियुक्त किया गया था। हालाँकि, तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट संजय कुमार खत्री को हटाने की मांग को लेकर उन्होंने ग़ाज़ीपुर में धरना दिया था, जिसके तुरंत बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। एसबीएसपी ने 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में लड़ा था, लेकिन बाद में रिश्ते में खटास आ गई।

रिश्तों में खटास आने के साथ ही सपा ने तब राजभर पर बीजेपी के साथ सांठगांठ करने का आरोप लगाया और दावा किया कि वह बीजेपी को मजबूत करने के लिए काम कर रहे थे। पार्टी ने कहा था कि अगर उनको लगता है कि कहीं और अधिक सम्मान मिलेगा तो वह वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं। इसके बाद से राजभर का भाजपा के प्रति रुख धीरे-धीरे नरम हो गया था। 

इस साल जनवरी आते-आते कयास लगाए जाने लगे थे कि राजभर बीजेपी जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने ओमप्रकाश राजभर को पुराना साथी बताया था।

बीजेपी नेता ने यह बयान ओमप्रकाश राजभर और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक की मुलाकात को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में दिया था। 

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सपा गठबंधन को मिली हार के बाद से ही इस बात की चर्चा होती रही थी कि ओमप्रकाश राजभर एनडीए में वापस लौट सकते हैं। विधानसभा चुनाव में हार के बाद ओमप्रकाश राजभर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर हमला बोलते रहे थे और इस वजह से सपा ने उन्हें पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें जहां ज्यादा सम्मान मिलता है, वे वहां जाने के लिए आज़ाद हैं। 

पूर्वांचल में है असर 

ओम प्रकाश राजभर अपनी बुलंद आवाज़ और अलग तेवरों के लिए जाने जाते हैं। पूर्वांचल के कुछ जिलों में राजभर वोटों की संख्या अच्छी खासी है और ओमप्रकाश राजभर का सियासी असर भी है। बीजेपी की कोशिश उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव में 80 में से 75 सीटें जीतने की है। ऐसे में वह राजभर के जरिये अति पिछड़े वोटों में सेंधमारी करना चाहती है और राजभर के साथ आने से उसे पूर्वांचल में फायदा मिल सकता है।

क्या अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी भी विपक्षी दलों की तरह अपने एनडीए गठबंधन को मज़बूत करने में जुट गई है? जेडीएस, टीडीपी और अकाली दलों के साथ ही बीजेपी अपने अन्य पूर्व सहयोगियों को भी साथ लाने की तैयारी में जुटी हुई है।

विपक्षी एकता बनाम बीजेपी का एनडीए 

कहा जा रहा है कि बीजेपी ने भी 2024 के चुनाव से पहले एनडीए में एक नई जान फूंकने के लिए अपने पूर्व सहयोगियों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। हाल के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में हार के साथ तेजी से बदलती राजनीतिक स्थिति ने भाजपा को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने पर मजबूर कर दिया है। पहले जहाँ वह अपने सहयोगी दलों के साथ सख्ती से पेश आती हुई दिखती थी वह अब अपने पूर्व सहयोगियों के खिलाफ सख्त रुख को त्यागने के लिए मजबूर है। कहा जाता है कि हाल के वर्षों में बीजेपी के सख्त रुख की वजह से कई दल एनडीए छोड़कर चले गए थे। 

इसी प्रयास के तहत बीजेपी ने कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर), आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तेलुगु देशम पार्टी और पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन वार्ता फिर से शुरू कर दी है। बीजेपी महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ तो पहले से ही गठबंधन में है और कहा जा रहा है कि 2024 के चुनाव को लेकर एकनाथ शिंदे ने हाल ही में दिल्ली जाकर अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाक़ात की थी। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक के साथ पार्टी के संबंध बने हुए हैं और उसका भी एनडीए के साथ जाना तय माना जा रहा है। अब अन्य जगहों पर भी छोटे-छोटे दलों को एनडीए में जोड़े जाने का प्रयास किया जा रहा है।