विपक्षी एकता के लिए सभी दलों की जिस बैठक की जोर शोर से चर्चा होती रही थी उसकी घोषणा अब 1-2 दिनों में हो जाएगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व राहुल गांधी की मुलाक़ात के बाद इसकी घोषणा की गई है। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल और जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि विपक्षी एकता के लिए सभी दलों की बैठक होगी, जिसके लिए जगह, समय और तारीख अगले 1-2 दिन में तय करके बताई जाएगी।
उन्होंने कहा कि आज बैठक में विपक्षी एकता के बारे में जो सहमति बनी हुई थी, उस सहमति पर विस्तार से चर्चा हुई।
विपक्षी एकता के मिशन पर निकले बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की। समझा जाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात में नीतीश विभिन्न विपक्षी नेताओं के साथ हुई बातचीत का विवरण साझा किया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि शायद पटना में एक बड़ी विपक्षी दलों की बैठक की जा सकती है। इसका सुझाव तभी तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने भी दिया था जब नीतीश कुमार व तेजस्वी यादव उनसे मिलने कोलकाता पहुँचे थे।
एक दिन पहले यानी रविवार को नीतीश और तेजस्वी ने आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल से मुलाकात की थी। पिछले एक महीने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव ने 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को घेरने के लिए गैर-बीजेपी मोर्चा बनाने के अपने प्रयास के तहत कई प्रमुख विपक्षी नेताओं से मुलाकात की है।
नीतीश कुमार और तेजस्वी ने आखिरी बार 12 अप्रैल को खड़गे और राहुल से मुलाक़ात की थी, जिसके दौरान यह तय किया गया था कि बिहार के मुख्यमंत्री उन विपक्षी दलों के नेताओं से संपर्क करेंगे, जिनमें से ज्यादातर ऐसे हैं, जिनके रिश्ते कांग्रेस पार्टी के साथ अच्छे नहीं हैं।
अप्रैल महीने में विपक्षी एकता के मिशन पर कोलकाता पहुंचे नीतीश कुमार-तेजस्वी यादव की ममता बनर्जी के साथ बैठक बेहद सफल रही थी। बैठक के बाद नीतीश और ममता ने कहा था कि हम सब एकजुट हैं। कहीं कोई मसला नहीं है।
ममता ने तब कहा था, 'मैंने नीतीश जी से अनुरोध किया है कि विपक्षी एकता की बैठक बिहार से हो। क्योंकि वहीं से जयप्रकाश नारायण जी ने अपना आंदोलन शुरू किया था। बिहार में बैठक के बाद हम लोग तय करेंगे कि हमें आगे कैसे बढ़ना है। लेकिन उससे पहले हमें यह संदेश देना चाहिए कि हम एकजुट हैं। मैंने पहले भी इसके बारे में कहा है कि मुझे विपक्षी एकता को लेकर कोई आपत्ति नहीं है। मैं चाहती हूं कि बीजेपी जीरो हो जाए, जो मीडिया के समर्थन से हीरो बन गए हैं।'
नीतीश ने ममता के अलावा, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, नवीन पटनायक जैसे नेताओं से मुलाक़ात की है। इन मुलाक़ातों को लेकर अहम बात यह है कि नीतीश उन दलों से मुलाक़ात कर रहे हैं जिन दलों की कांग्रेस के साथ तालमेल उतनी अच्छी नहीं है। नीतीश ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से भी मुलाक़ात की थी।
नीतीश के साथ बैठक में राहुल गांधी सहित कई नेताओं ने कहा था, 'हमने यहाँ एक ऐतिहासिक बैठक की। बहुत सारे मुद्दों पर चर्चा की गई और हमने फ़ैसला किया कि हम सभी दलों को एकजुट करेंगे और आगामी चुनाव एकजुट तरीके से लड़ेंगे। हमने यह फैसला किया है और हम सभी इसके लिए काम करेंगे।'
नीतीश कुमार ने उन दलों को भी साथ जोड़ने की पहल की है जो कांग्रेस के साथ विपक्षी एकता में आने में असहज महसूस करते हैं। इसमें टीएमसी, आप और समाजवादी पार्टी प्रमुख हैं। इसके अलावा नीतीश एनडीए के क़रीब रहे नवीन पटनायक के बीजेडी जैसे दलों को भी साथ लाने में भूमिका निभा सकते हैं। पहले जहाँ कांग्रेस के प्रयास से 14-15 दल साथ आते दिख रहे थे वहीं नीतीश के प्रयास से यह संख्या 20 के आसपास भी पहुँच सकती है। इतने दलों का एक साथ आना बीजेपी के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है।
पहले बीजेपी के लिए विपक्षी एकता बड़ी मुश्किल नहीं पेश कर पाई थी तो इसकी कई वजहें रहीं। उनमें से एक तो यही है कि विपक्ष की सभी बड़ी पार्टियाँ एक साथ नहीं आ पाई थीं।
पिछले महीने ही टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने अचानक कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से ख़बर आई थी कि ममता ने अपनी पार्टी की बैठक में कहा था- "अगर राहुल गांधी विपक्ष का चेहरा हैं, तो कोई भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना नहीं बना पाएगा। राहुल गांधी पीएम मोदी की 'सबसे बड़ी टीआरपी' हैं।"
और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने साफ कह दिया था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अमेठी और रायबरेली से अपने प्रत्याशी खड़े करेगी। अमेठी और रायबरेली गांधी परिवार की परंपरागत सीट है और सपा हमेशा से उनके सम्मान में यहां से प्रत्याशी नहीं खड़े करती रही है। लेकिन हाल में आए कांग्रेस और सपा में बयानबाजी के बाद से तनाव बढ़ गया था और दोनों दलों के बीच दूरियाँ बढ़ गई थीं। लेकिन अब ये दूरियाँ कम होती दिख रही हैं।
कांग्रेस द्वारा कर्नाटक विधानसभा चुनाव में निर्णायक जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कांग्रेस के प्रति रुख में नरमी का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस को समर्थन देने को तैयार है। हालाँकि उन्होंने एक शर्त भी जोड़ी है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी 'जहां कांग्रेस मजबूत है, वहां समर्थन देने के लिए तैयार है।' अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव भी कुछ इसी तरह के संकेत दे रहे हैं। तो सवाल है कि इसी तरह का रुख कितने दलों का बदला है? यह तो तभी पता चलेगा जब विपक्षी दलों की बैठक होगी और उसमें ये दल शामिल हों।