विपक्षी एकता: सोनिया-नीतीश-लालू मुलाक़ात का क्या नतीजा निकला?

07:52 pm Sep 25, 2022 | सत्य ब्यूरो

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की कवायद में लगे नीतीश कुमार और लालू यादव आज सोनिया गांधी से मिले। काफ़ी देर की मुलाक़ात के बाद दोनों नेताओं ने कहा है कि सोनिया ने उन्हें फिर से तब मिलने बुलाया है जब कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव हो जाए। कांग्रेस में अभी क़रीब दो दशक में पहली बार चुनाव होने के आसार हैं। इसी बीच हाल ही में बीजेपी से नाता तोड़कर और जेडीयू से हाथ मिलाने वाले नीतीश कुमार विपक्षी एकता को आकार देने में जुटे हैं। 

सोनिया से मुलाक़ात के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, 'हम दोनों ने सोनिया गांधी से बातचीत की। हमें एकजुट होकर देश की प्रगति के लिए काम करना है। उनकी पार्टी के अध्यक्ष के चुनाव हैं जिसके बाद वह बात करेंगी।'

मुलाक़ात को लेकर लालू यादव ने कहा, 'हमें बीजेपी को हटाना है और देश को बचाना है। उसके लिए हम सभी को एक साथ आना होगा जिस तरह से हमने बिहार में बीजेपी को हटाया। सोनिया गांधी से हमारी बातचीत हुई है। कांग्रेस पार्टी को नया अध्यक्ष मिलने के बाद उन्होंने हमें 10-12 दिनों के बाद फिर से मिलने के लिए कहा।'

बता दें कि नीतीश कुमार और सोनिया गांधी की पिछली मुलाकात साल 2015 में बिहार के विधानसभा चुनाव से पहले हुई थी। 2015 में नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे और तब महागबठंधन को बड़ी सफलता मिली थी। लेकिन उसके बाद नीतीश कुमार फिर से बीजेपी के पाले में चले गए और अब एक बार फिर महागठबंधन के साथ आ गए हैं। 

महागठबंधन के साथ आने के बाद से नीतीश जोर शोर से विपक्षी एकता की कवायद में लगे हैं। नीतीश कुमार ने कुछ हफ्ते पहले दिल्ली आकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव, एनसीपी के मुखिया शरद पवार सहित विपक्ष के कई नेताओं से मुलाक़ात की थी। 

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने भी पटना आकर नीतीश कुमार से 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता को मज़बूत करने के मद्देनज़र मुलाक़ात की थी।

नीतीश कुमार के विपक्ष के पाले में आने के बाद से ही 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, नीतीश कुमार और अन्य विपक्षी नेताओं के साथ एक मंच पर आकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। बिहार में नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद से ही जेडीयू के नेता 2024 के चुनाव में नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री बनने की बातें कहने लगे हैं। हालांकि नीतीश कुमार का कहना है कि वह किसी पद की दौड़ में नहीं हैं और सिर्फ विपक्षी दलों को एकजुट करना चाहते हैं। 

नीतीश कुमार कह रहे हैं कि उनका काम विपक्षी दलों को एकजुट करना है और अगर 2024 में विपक्ष एकजुट हुआ तो नतीजे अच्छे आएंगे। वह यह भी कह चुके हैं कि वह प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने की तमाम कोशिशें हुई थी लेकिन यह कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी थीं। 

तब तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोशिश की थी कि विपक्षी दलों को एकजुट किया जाए लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी ऐसा नहीं हो सका था। तो क्या इस बार नीतीश की कोशिश रंग लाएगी?