प्याज ने जनता को फिर रुलाया तो प्रियंका गांधी ने सीधे पीएम मोदी से सवाल किया

01:52 pm Nov 08, 2023 | सत्य ब्यूरो

प्याज के बढ़ते दाम जनता को फिर रुला रहे हैं और उसने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मध्य प्रदेश की चुनावी रैली में कहा कि प्याज और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को लेकर सरकार को होश नहीं रहता है। सरकार महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश केवल तभी करती है जब चुनाव करीब आते हैं।

प्रियंका ने कहा- "दिवाली से पहले प्याज की कीमतें बढ़ गई हैं और गृहिणियां इससे परेशान हैं। एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1,400 रुपये तक पहुंच गई और चुनाव से दो महीने पहले सरकार ने इसकी कीमत कुछ कम कर दी।" वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने पूछा, क्या इससे कुछ असर पड़ा। लोग महंगाई से अभी भी जूझ रहे हैं?

प्याज के दाम आसमान पर

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने प्याज और अन्य खाद्य वस्तुओं की महंगाई का मुद्दा हवा में नहीं उठाया। पिछले महीने की तुलना में नवंबर के पहले सप्ताह में प्याज की कीमतें लगभग 75% बढ़ गईं। दिल्ली एनसीआर समेत देश के तमाम हिस्सों में प्याज के दाम 70 से 100 रुपये प्रति किलो पहुंचे हुए हैं। लेकिन सरकार की ओर से बढ़ते दाम को रोकने की कोशिश नहीं हो रही है। सरकार का बस यही बयान है कि हमारे पास प्याज का बफर स्टॉक है। प्याज उत्पादक किसान एक तरफ शिकायत कर रहे हैं कि व्यापारी उनसे सस्ती प्याज खरीद रहे हैं, लेकिन शहरी उपभोक्ता के पास वही प्याज महंगा पहुंच रहा है।

इकोनॉमिक टाइम्स ने अर्थशास्त्रियों के हवाले से बताया है कि प्याज की बढ़ती कीमतों का आने वाले महीनों में असर पड़ेगा और महंगाई बढ़कर लगभग 6% के स्तर तक पहुंच सकती है। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आने वाले महीने में महंगाई दर 6 फीसदी होने की हेडलाइन मीडिया में बनने वाली है। शुक्र है कि अक्टूबर में टमाटर के दाम गिर गए थे, उस वजह से स्थिति अभी नियंत्रण में है। लेकिन जिस तरह टमाटर के दाम बढ़ रहे थे, उससे नवंबर में ही महंगाई आंख दिखाने लगती।

प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह मॉनसून का समय पर नहीं आना और बारिश के असमान वितरण को भी बताया गया है। लेकिन प्याज की आपूर्ति में आई बाधा की वजह से भी इसकी कीमतों पर असर पड़ा है। बाजार के जानकार यह भी कह रहे हैं कि अक्टूबर और नवंबर में त्यौहारों के कारण प्याज सहित सभी सब्जियों की कीमतें बढ़ती हैं लेकिन यह दिसंबर और जनवरी में नीचे आ जाती हैं।

हालांकि प्याज के मूल्य में अस्थिरता को लेकर सरकार ने कहा है कि समस्या सिर्फ मांग और आपूर्ति की नहीं है बल्कि बाजार में कीमतों में हेरफेर की है। इसमें कहा गया है कि कुछ व्यापारी कमी की खबरें फैलाकर सट्टेबाजी में लगे हुए हैं। यह आंशिक रूप से सच हो सकता है लेकिन केवल कुछ व्यापारी सट्टेबाजी के माध्यम से पूरे देश में कीमतें नहीं बढ़ा सकते। सरकार ने कहा है कि उसने थोक और खुदरा दोनों बाजारों में हस्तक्षेप किया है। बहरहाल,  प्याज की बढ़ी कीमतों ने खाद्य मुद्रास्फीति को और बढ़ाने का जोखिम भी बढ़ा दिया है।