बसपा सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को प्रस्तावित "भारत डोजो यात्रा" को लेकर नेता विपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधा और इसे गरीबी से जूझ रहे लोगों का "मजाक" बताया। बसपा प्रमुख ने कहा कि खेलों का राजनीतिकरण नुकसानदेह है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को इस साल की शुरुआत में अपनी पूर्व-से-पश्चिम भारत जोड़ो न्याय यात्रा के शिविर स्थलों में आयोजित मार्शल आर्ट सत्रों में से एक का वीडियो साझा किया और कहा कि जल्द ही "भारत डोजो यात्रा" आ रही है।
मायावती ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए तीन ट्वीट किए। मायावती ने कहा- पेट भरे लोगों के लिए दोजा व अन्य खेलकूद के महत्व से किसी को इनकार नहीं, लेकिन गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व पिछड़ेपन आदि के त्रस्त जीवन से जूझ रहे उन करोड़ों परिवारों का क्या जो पेट पालने हेतु दिन-रात कमरतोड़ मेहनत को मजबूर हैं। ’भारत डोजो यात्रा’ क्या उनका मजाक नहीं?
मायावती ने आगे लिखा है- कांग्रेस एवं इनके इंडिया गठबंधन ने आरक्षण व संविधान बचाने के नाम पर एससी, एसटी व ओबीसी का वोट लेकर अपनी ताकत तो बढ़ा ली, किन्तु अपना वक्त निकल जाने पर उनके भूख व तड़प को भुलाकर उनके प्रति यह क्रूर रवैया अपनाना क्या उचित? खेल का राजनीतिकरण हानिकारक जो अब और नहीं।
बसपा प्रमुख ने लिखा है- केन्द्र व राज्य सरकारें देश के करोड़ों गरीबों व मेहनतकश लोगों को सही व सम्मानपूर्वक रोटी-रोजी की व्यवस्था कर पाने में अपनी विफलता पर पर्दा डालने के लिए उनसे भूखे पेट भजन कराते रहना चाहती है, किन्तु विपक्षी कांग्रेस का भी वैसा ही जनविरोधी रवैया जनता को कैसे गवारा संभव है?
मायावती का राहुल और कांग्रेस पर यह हमला नया नहीं है। वो हर महीने चार-पांच ट्वीट कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर करती रहती हैं। उन्होंने कभी भी पीएम मोदी पर किसी मुद्दे को लेकर हमला नहीं किया। शुक्रवार 30 अगस्त से पहले मायावती ने 26 अगस्त को कांग्रेस और सपा पर हमला किया था। कांग्रेस लंबे समय से जाति जनगणना की मांग कर रही है। लेकिन मायावती ने 26 अगस्त को इसके लिए बसपा प्रमुख मायावती ने हमला बोला था। मायावती ने कहा था- ...लेकिन जातीय जनगणना के बाद, क्या कांग्रेस SC, ST व OBC वर्गों का वाजिब हक दिला पायेगी? जो SC/ST आरक्षण में वर्गीकरण व क्रीमीलेयर को लेकर अभी भी चुप्पी साधे हुए है, जवाब दे। मायावती ने 25 अगस्त को भी कांग्रेस को निशाने पर लिया। मायावती ने 24 अगस्त को एक ट्वीट में कांग्रेस और सपा को कोसते हुए कहा- सपा व कांग्रेस आदि का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा SC/ST विरोधी रहा है, जिस क्रम में भारत बंद को सक्रिय समर्थन नहीं देना भी यह साबित करता है। वैसे भी आरक्षण सम्बंधी इनके बयानों से यह स्पष्ट नहीं है कि ये मा. कोर्ट के फैसले के पक्ष में हैं या विरोध में । ऐसी भ्रम की स्थिति क्यों? हालांकि यहां यह बताना जरूरी है कि कांग्रेस और सपा दोनों ने ही भारत बंद का समर्थन किया था।
अपनी पार्टी की बार-बार चुनावी असफलताओं से लगते हुए, वह पिछड़े समुदायों से संबंधित मुद्दों को उठाकर वो राजनीतिक रूप से वापसी करना चाहती हैं लेकिन वो यह तय नहीं कर पा रही हैं कि उन्हें विपक्ष में खड़े होना है या फिर सत्तारूढ़ भाजपा की दबी जुबान में निन्दा करते हुए आगे बढ़ना है। वो फील्ड में जाने की बजाय सोशल मीडिया पर सक्रियता दिखा रही हैं लेकिन उनकी सक्रियता कांग्रेस और सपा को घेरने को लेकर ज्यादा है।
मायावती के दर्द को समझा जा सकता है। लोकसभा चुनाव 2019 में यूपी की दस लोकसभा सीटों पर कब्जा करने वाली बसपा 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में जीरो पर सिमट गई। 2019 के आम चुनाव में सपा ने लोकसभा की महज 5 सीटें जीती थीं लेकिन सपा ने इस बार यूपी में 37 लोकसभा सीटें जीती हैं। लोकसभा में वो भाजपा, कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है। जिस बसपा का दबदबा कभी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक था, अब उसका अतापता नहीं है।
बसपा इस समय अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। मायावती के हाथ से न सिर्फ राजनीति बल्कि उनका अपना वोट बैंक सरकता जा रहा है। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से पहले बसपा को इंडिया गठबंधन में लाने की कोशिश की थी लेकिन मायावती ने इतनी टेढ़ी शर्त रखी थी कि पहले उन्हें पीएम पद का प्रत्याशी घोषित किया जाए। उनकी इस शर्त को कोई भी पार्टी मानने को तैयार नहीं हुई। मायावती ने अपने अलग प्रत्याशी खड़े किए। इससे यह भेद भी खुल गया कि दलित वोट भी उनसे सरक कर कांग्रेस और सपा में चला गया। यहां तक कि उनका अपना जाटव वोट भाजपा में चला गया। रही सही कसर आजाद समाज पार्टी (एएसपी) के प्रमुख चंद्र शेखर आजाद ने पूरी कर दी है। वो अब मायावती के विकल्प के तौर पर देखे जा रहे हैं।
मायावती बयानबाजी और जिस तरह की चुनावी राजनीति कर रही हैं, उससे भाजपा को फायदा होता रहा है। यूपी में ही करीब 16 लोकसभा सीटें ऐसी रही हैं, जहां बसपा प्रत्याशी के वोट काटने का फायदा भाजपा को मिला है। अगर बसपा इंडिया गठबंधन में रहती तो यूपी में उसकी 16 सीटें और भी कम हो जातीं। इन्हीं तथ्यों की वजह से बसपा और मायावती को भाजपा की बी टीम कहा जाता है। राहुल गांधी, कांग्रेस या सपा के खिलाफ मायावती का जब भी कोई बयान आता है तो लोग यही मान लेते हैं कि यह बयान भाजपा के इशारे पर दिया गया है। सोशल मीडिया पर तो लोग इस बारे में खुलकर लिख भी देते हैं। मायावती इस सवाल पर अभी तक लोगों को संतुष्ट नहीं कर पाई हैं। राहुल गांधी को लेकर भाजपा काफी परेशान है। उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। अब जब मायावती ने राहुल गांधी पर निशाना साधा तो लोगों ने सोशल मीडिया पर मायावती के इस बयान का संबंध भाजपा से जोड़ दिया और आरोप लगाया कि मायावती भाजपा के इशारे पर राहुल गांधी को टारगेट कर रही हैं।