ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल से दिल्ली के लिए उड़ान भरने के फिराक में हैं! वह आज दिल्ली आएँगी। कहा जा रहा है कि उनका निशाना 2024 का लोकसभा चुनाव है। संकेत हैं कि वह दो साल बाद होने वाले चुनाव के लिए विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास में हैं।
दिल्ली की उनकी यात्रा को इसलिए भी अगले लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है कि हफ़्ते भर पहले ही ममता ने कहा है कि जब तक बीजेपी पूरे देश से साफ़ नहीं हो जाती है तब तक 'खेला' जारी रहेगा। उन्होंने तब विपक्षी दलों को एकजुट करने का आह्वान किया था। इसमें भी संदेश साफ़ था। 2024 में मोदी के सामने ख़ुद को चुनौती के रूप में पेश करना। बंगाल चुनाव में 'खेला होबे' शब्द काफ़ी प्रचलित हुआ था।
हाल ही में विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी बीजेपी को जबर्दस्त पटखनी देने के बाद से ममता उत्साह से लबरेज हैं।
चुनाव में जीत पर मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी की दिल्ली की उनकी यह पहली यात्रा होगी। उनका एक घोषित उद्देश्य 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास को शुरू करना है। कहा जा रहा है कि ममता ने 28 जुलाई को दोपहर 3 बजे विपक्षी नेताओं को चाय बुलाया है और उन सभी नेताओं के मिलने की उम्मीद है। रिपोर्ट है कि यह मुलाक़ात संभवतः ममता के भतीजे व तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी के घर पर होगी।
विपक्षी दलों को एकजुट करने की शुरुआत क़रीब हफ़्ते भर पहले ही एक कार्यक्रम में हो गई थी। तब 21 जुलाई को ममता बनर्जी शहीद दिवस रैली को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने एक साथ उत्तर प्रदेश, दिल्ली और गुजरात समेत कई राज्यों में वर्चुअल रैली को संबोधित किया था।
ममता के कार्यक्रम में पी चिदंबरम, शरद पवार, दिग्विजय सिंह, एनसीपी की सुप्रिया सुले, डीएमके के तिरुचि सिवा, टीआरएस के केशव राव, आरजेडी के मनोज झा, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी, सपा के राम गोपाल यादव व जया बच्चन, आप के संजय सिंह और अकाली दल के बलविंदर सिंह भी शामिल थे।
ममता ने शहीद दिवस वाले दिन अपने भाषण में कहा था, “हमारे पास बर्बाद करने के लिए वक़्त नहीं है। कम से कम हम लोग साथ बैठ सकते हैं और 27, 28 या 29 जुलाई को विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई जानी चाहिए। हमारे पास ढाई से तीन साल का वक़्त है लेकिन हमें मिलकर लड़ना होगा और अपने लोकतंत्र को बचाना होगा।”
ममता बनर्जी के इस प्रयास में कांग्रेस नेता भी शामिल हुए थे और अब कांग्रेस के एक ट्वीट को भी उस एकजुटता से जोड़कर देखा जा रहा है। कांग्रेस ने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को पेगासस से निशाना बनाए जाने की आलोचना करते हुए उनकी एक तसवीर को ट्वीट किया है। इस ट्वीट को तृणमूल नेता डेरेक ओ ब्रायन ने रिट्वीट करते हुए टिप्पणी में लिखा है- 'खेला होबे'। तृणमूल कांग्रेस 'खेला होबे' को बीजेपी के ख़िलाफ़ चुनावी नारे के तौर पर इस्तेमाल करती रही है।
तृणमूल सांसद सौगाता राय ने कांग्रेस के ट्वीट का स्वागत किया और कहा कि यह कांग्रेस की तरफ़ से एकता का संकेत है। उन्होंने कहा कि 'इसे विपक्षी दलों के बीच संबंधों को मज़बूत करना चाहिए।'
बता दें कि हाल के दिनों में ऐसी विपक्षी एकता को लेकर तब से हलचल है जब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर शरद पवार से लेकर गाँधी परिवार तक से मुलाक़ात की है। प्रशांत किशोर ने ही ममता बनर्जी के लिए पश्चिम बंगाल चुनाव में रणनीति तैयार की थी। बाद में वह कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ भी जुड़े। लेकिन विपक्षी एकता होगी या नहीं और होगी तो इसका कैसा स्वरूप होगा इसमें ममता की इस दिल्ली यात्रा पर भी काफ़ी कुछ निर्भर करेगा।