गुजरात में दूसरे चरण के विधानसभा चुनाव के साथ ही सोमवार को विधानसभा की 6 और लोकसभा की एक सीट पर भी वोटिंग हुई। विधानसभा सीटों में उत्तर प्रदेश की रामपुर सदर और खतौली, ओडिशा की पदमपुर, राजस्थान की सरदारशहर, बिहार की कुढ़नी और छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर सीट शामिल है। जबकि उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर भी वोट डाले गए।
सपा ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा है कि मैनपुरी सदर विधानसभा में बूथ संख्या 373 रसेमर पर समाजवादी पार्टी के वोटरों को वोट डालने से रोका जा रहे हैं। भाजपा के लोग साजिश कर रहे हैं। इसके अलावा करहल विधानसभा के सेक्टर नंबर 23 में बूथ संख्या 163 पर ईवीएम मशीन बंद थी।
आइए, जानते हैं कि इन सीटों पर कौन-कौन से उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। सबसे पहले बात करते हैं मैनपुरी लोकसभा सीट की।
मैनपुरी लोकसभा सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य और समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव आमने-सामने हैं। यह सीट समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई है।
सपा का गढ़ है मैनपुरी
मैनपुरी सीट कई दशकों से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। मुलायम सिंह यादव साल 1996 में पहली बार इस सीट से सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2004, 2009 और 2019 में भी उन्होंने इस सीट से चुनाव जीता था। मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के संस्थापक होने के साथ ही उत्तर प्रदेश के बड़े नेता भी थे इसलिए सपा को इस सीट पर सहानुभूति के वोट भी मिल सकते हैं।
मैनपुरी लोकसभा सीट की करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव 2022 में विधानसभा का चुनाव जीतकर विधायक बने थे। इस सीट पर आने वाली 5 विधानसभा सीटों में से 2 बीजेपी के पास हैं इसलिए बीजेपी भी यहां चुनावी लड़ाई में कमजोर नहीं है।
यादव मतदाता सबसे ज्यादा
मैनपुरी की सीट पर 35 फीसदी यादव मतदाता हैं जबकि अन्य 65 फीसदी में शाक्य, ठाकुर, ब्राह्मण, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समुदाय के मतदाता हैं। निश्चित रूप से इस सीट पर यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। मैनपुरी से लेकर इटावा, औरैया, कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद और फर्रुखाबाद तक यादव मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है।
रामपुर
समाजवादी पार्टी ने आसिम राजा को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। बीजेपी ने आकाश सक्सेना को टिकट दिया है। कांग्रेस और बीएसपी ने इस उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। बताना होगा कि साल 1977 के बाद यह पहला मौका है जब आज़म खान या उनके परिवार का कोई सदस्य इस सीट से चुनाव मैदान में नहीं उतरा है।
सपा ने आरोप लगाया है कि रामपुर उपचुनाव में शासन-प्रशासन मिलकर ऐसा कुचक्र रच रहा है कि सपा के समर्थक मतदान न कर सकें।
रामपुर विधानसभा सीट को उत्तर प्रदेश में मोहम्मद आज़म खान के सियासी कद की वजह से जाना जाता है। आज़म खान 10 बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं। बताना होगा कि हेट स्पीच के मामले में आज़म खान की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी और सीट खाली होने की वजह से यहां उपचुनाव कराना पड़ा है। इस सीट पर कुल 3,88,994 मतदाता हैं।
इसमें से लगभग 50 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। रामपुर सीट पर बीजेपी के नेताओं ने कमल खिलाने की पूरी कोशिश की है। कुछ महीने पहले हुए रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी। तब बीजेपी के उम्मीदवार घनश्याम सिंह लोधी ने सपा उम्मीदवार आसिम राजा को चुनाव हराया था।
सपा प्रत्याशी आसिम राजा
खतौली
इस सीट पर बीजेपी की ओर से पूर्व विधायक विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी चुनाव लड़ रही हैं जबकि सपा-रालोद के गठबंधन की ओर से मदन भैया चुनाव मैदान में हैं। विक्रम सैनी को मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। खतौली में जीत हासिल करने के लिए रालोद के मुखिया जयंत चौधरी ने पूरा जोर लगाया जबकि बीजेपी ने भी अपने तमाम नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा।
कुढ़नी
यह सीट बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में पड़ती है। यह सीट आरजेडी के विधायक अनिल कुमार सहनी को अयोग्य ठहराए जाने की वजह से खाली हुई है। यहां से जेडीयू ने मनोज सिंह कुशवाहा और बीजेपी ने पूर्व विधायक केदार गुप्ता को चुनाव मैदान में उतारा है। इसके अलावा एआईएमआईएम के मोहम्मद गुलाम मुर्तजा और वीआईपी पार्टी के नीलाभ कुमार भी चुनाव मैदान में हैं। इससे पहले गोपालगंज और मोकामा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी और महागठबंधन को एक-एक सीट मिली थी। इस साल अगस्त में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन का हाथ पकड़ लिया था।
सरदारशहर
यह सीट कांग्रेस के विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन से खाली हुई है। कांग्रेस ने यहां से शर्मा के बेटे अनिल कुमार शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि बीजेपी ने पूर्व विधायक अशोक कुमार पर दांव लगाया है। इस सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के लालचंद और सीपीएम के सांवरमल मेघवाल भी चुनाव लड़ रहे हैं। राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों के बीच चल रहे सियासी विवाद के बीच इस उपचुनाव को अहम माना जा रहा है।
भानुप्रतापपुर
इस सीट पर 7 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। यहां कांग्रेस के विधायक मनोज सिंह मंडावी के आकस्मिक निधन की वजह से उपचुनाव कराना पड़ा है। कांग्रेस ने यहां से मंडावी की पत्नी सावित्री जबकि बीजेपी ने पूर्व विधायक ब्रह्मानंद नेताम को चुनाव मैदान में उतारा है। सर्व आदिवासी समाज की ओर से पूर्व आईपीएस अफसर अकबर राम कोर्राम को चुनाव मैदान में उतारा गया है। इस सीट पर जीत के लिए कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जबकि बीजेपी की ओर से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह सहित तमाम नेताओं ने पूरी ताकत झोंकी। छत्तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
पदमपुर
बीजेडी के विधायक बिजया रंजन सिंह बरिहा का अक्टूबर में निधन होने की वजह से यहां उपचुनाव कराना पड़ा है। बीजेपी ने यहां से प्रदीप पुरोहित को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि जबकि राज्य में सरकार चला रही बीजेडी ने बिजया रंजन सिंह बरिहा की बेटी बरसा सिंह बरिहा को चुनाव लड़ाया है।
2024 के लोकसभा चुनाव में अब सिर्फ डेढ़ साल का वक्त है और उससे पहले मैनपुरी, खतौली और रामपुर के नतीजे उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की सियासी जमीन कितनी मजबूत है, इस बारे में और बीजेपी की पकड़ के बारे में बताएंगे। इसी तरह अन्य राज्यों के चुनावी नतीजे भी राज्य की सियासत के लिहाज से अहम हैं।