जेडीयू को बीजेपी ने एक और बड़ा झटका दिया है। दमन और दीव की पूरी इकाई बीजेपी में शामिल हो गई है। यहां के 17 में से 15 जिला पंचायत सदस्यों ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया है। कुछ दिन पहले मणिपुर में जेडीयू के 6 में से 5 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। इस तरह कुछ ही दिनों के भीतर बीजेपी ने अपनी पूर्व सहयोगी जेडीयू को जोर का झटका दिया है।
बताना होगा कि दिसंबर, 2020 में भी अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी ने जेडीयू को तोड़ दिया था। तब जेडीयू के 7 में से 6 विधायक बीजेपी के साथ आ गए थे। बिहार के बाद अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और दमन एवं दीव ही ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं, जहां पर जेडीयू का राजनीतिक आधार है लेकिन बीजेपी ने इन सभी जगहों पर उसके विधायकों और नेताओं में बड़े पैमाने पर सेंधमारी कर उसे जबरदस्त झटका दिया है।
दमन और दीव में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष रहे धर्मेश चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा बीजेपी का साथ छोड़कर आरजेडी के साथ सरकार बनाने के फैसले के खिलाफ दादरा नगर हवेली के जिला पंचायत सदस्यों ने जेडीयू को छोड़ने का फैसला किया है। जेडीयू छोड़ने वाले अन्य नेताओं ने भी इसी तरह के बयान दिए और कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम करना चाहते हैं।
नीतीश ने छोड़ दिया था एनडीए
बिहार में बीते महीने एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ था जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। इसके बाद से ही जेडीयू और बीजेपी के बीच जुबानी जंग जारी है।
जेडीयू की ओर से नीतीश कुमार को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष के चेहरे और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जा रहा है। नीतीश कुमार बीते दिनों में कई विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। नीतीश का कहना है कि वह प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं और विपक्षी दलों को एक मंच पर लाना चाहते हैं। लेकिन जिस तरह से बीजेपी ने पहले मणिपुर और अब दमन और दीव में जेडीयू को झटका दिया है उससे ऐसा लगता है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच सियासी तकरार और बढ़ सकती है।
ऑपरेशन लोटस
कर्नाटक से लेकर मध्य प्रदेश और गोवा से लेकर उत्तराखंड तक, ऐसे कई राज्य हैं जहां पर बीजेपी पर ऑपरेशन लोटस के जरिए दूसरे दलों के विधायकों को तोड़ने और विपक्षी दलों की सरकारों को गिराने के आरोप लग चुके हैं। हाल ही में महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार को गिराने के पीछे भी बीजेपी का ही हाथ होने के आरोप लगे हैं। क्योंकि शिवसेना से बगावत करने वाले विधायक बीजेपी शासित राज्यों में ही कई दिन तक रुके थे और बाद में उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई।
अब खबर यह है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस के कम से कम 10 विधायक टूटकर बीजेपी और एकनाथ शिंदे के गुट के साथ आ सकते हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह चुके हैं कि उनकी सरकार को गिराने के लिए बीजेपी ने कांग्रेस विधायकों को करोड़ों-अरबों रुपये का ऑफ़र दिया था। गुजरात में कांग्रेस के कई विधायक पाला बदलकर बीजेपी के साथ चले गए।
दिल्ली में ऑपरेशन लोटस
पिछले दिनों दिल्ली में ऑपरेशन लोटस का आरोप लगाते हुए आम आदमी पार्टी ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया था। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने दिल्ली में उसके विधायकों को 20-20 करोड़ का ऑफर देकर खरीदने की कोशिश की थी।
पार्टी ने मांग की है कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि देश भर में दूसरे दलों के विधायकों को खरीदने के लिए 6300 करोड़ रुपए बीजेपी के पास कहां से आए। पार्टी ने कहा है कि देश भर में बीजेपी 277 विधायक खरीद चुकी है।
विपक्षी नेताओं को जोड़ने की कोशिश में जुटे नीतीश कुमार को बीजेपी एक के बाद एक जोरदार झटके दे रही है। शायद बीजेपी की कोशिश बिहार के बाहर नीतीश कुमार और जेडीयू के राजनीतिक आधार को खत्म करने की है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि नीतीश कुमार विपक्ष के बड़े चेहरे हैं और वह 2024 के चुनाव में बीजेपी के लिए चुनौती बन सकते हैं।