जानिए, कब-कब हुआ कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 

04:43 pm Oct 19, 2022 | सत्य ब्यूरो

वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष बने हैं। उन्होंने शशि थरूर को हराया है। इससे पहले साल 2000 में कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हुआ था। तब सोनिया गांधी ने कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद को हराया था। जानिए, कांग्रेस में कब-कब अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ और कौन-कौन से नेता पार्टी के अध्यक्ष रहे। 

बोस बनाम सीतारमैया

कांग्रेस का पुराना इतिहास टटोलने से पता चलता है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सही मायने में पहला चुनाव 1939 में सुभाष चंद्र बोस और पट्टाभि सीतारमैया के बीच हुआ था। सीतारमैया को हालांकि महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का समर्थन प्राप्त था लेकिन बोस जीत गए थे।

टंडन जीते 

आजादी के बाद 1950 में पार्टी के नासिक अधिवेशन से पहले दूसरी बार इस पद के लिए चुनाव हुआ। तब जेबी कृपलानी और पुरुषोत्तम दास टंडन के बीच मुकाबला हुआ था। टंडन विजयी हुए लेकिन बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ मतभेदों की वजह से उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। तब नेहरू ने 1951 और 1955 के बीच पार्टी अध्यक्ष और पीएम के पद पर काम किया। नेहरू ने 1955 में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया और यूएन ढेबर उनके उत्तराधिकारी बने।

इंदिरा युग की शुरुआत 

ढेबर के बाद इंदिरा गांधी ने 1959 में कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला। लेकिन 1960 में नीलम संजीव रेड्डी कांग्रेस अध्यक्ष चुन लिए गए। इस दौरान कांग्रेस में काफी हलचल हुई। इंदिरा गांधी से तमाम लोगों के मतभेद बढ़ रहे थे। नीलम संजीव रेड्डी को इंदिरा गांधी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थीं। 

1966 में जब कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव आया तो मोरारजी देसाई ने इंदिरा को चुनौती दी। कामराज की मदद से इंदिरा चुनाव जीत गईं। लेकिन इसके बाद कांग्रेस दो गुटों में बंट गई। इससे इंदिरा की पार्टी पर पकड़ और भी मजबूत हो गई। इमरजेंसी के बाद कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई।

इंदिरा गांधी 1959, 1966-67, 1978-1984 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं। बीच में के. कामराज 1964-67 तक अध्यक्ष रहे। लेकिन वो इंदिरा गांधी की ही पसंद थे। कांग्रेस जब तक बंटी नहीं थी, एस. निजलिंगप्पा 1968-69 में कांग्रेस अध्यक्ष रहे। निजलिंगप्पा अलग हुए। असली कांग्रेस का दावा किया लेकिन तमाम नेता इंदिरा गांधी के साथ चले गए।  

इसके बाद जगजीवन राम 1970-71 में कांग्रेस अध्यक्ष बने। फिर डॉ. शंकर दयाल शर्मा 1972-74 तक कांग्रेस अध्यक्ष बने रहे। 1977 में देवकांत बरुआ कांग्रेस अध्यक्ष बने और बरुआ ही वो शख्स थे जिन्होंने इंदिरा गांधी को भारत का पर्याय (इंडिया इज इंदिरा, इंदिरा इज इंडिया) बता दिया था। 1977 में हुए चुनावों में के. ब्रह्मानंद रेड्डी सिद्धार्थ शंकर रे और करण सिंह को हराकर कांग्रेस अध्यक्ष बने। तब चौथी बार चुनाव हुआ था। इंदिरा गांधी की हत्या के 1985 से 1991 तक उनके बेटे राजीव गांधी कांग्रेस अध्यक्ष रहे। 1992-96 के बीच पी.वी. नरसिंह राव कांग्रेस अध्यक्ष रहे। 

सीताराम केसरी बने अध्यक्ष

सीताराम केसरी 1996 में अध्यक्ष बने। पांचवी बार चुनाव 1997 में हुआ तब सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट को हराकर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जीता था। बाद में, केसरी को 5 मार्च, 1998 के सीडब्ल्यूसी प्रस्ताव के माध्यम से हटा दिया गया और सोनिया गांधी, जो पार्टी के अगस्त 1997 के कोलकाता सत्र में केवल एक साल पहले एआईसीसी की प्राथमिक सदस्य बनी थीं, को पद स्वीकार करने के लिए कहा गया था।

सोनिया औपचारिक रूप से 6 अप्रैल, 1998 को एआईसीसी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष चुनी गईं। 2000 में फिर से चुनाव की नौबत आई। यह छठा मौका था जब कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ। जब कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हुआ तो स्व. राजीव गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी को चुनौती दी। जितेंद्र प्रसाद चुनाव हार गए। 2017 में राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने। 2019 में पार्टी के हारने के बाद उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इस समय सोनिया गांधी ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष हैं।