कांग्रेस का नया अध्यक्ष कौन होगा इसे लेकर असमंजस बरकरार है। क्योंकि पार्टी नेता राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनने से पूरी तरह इनकार कर दिया है। द हिंदू के मुताबिक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले। इस दौरान सोनिया गांधी ने उनसे कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने का आग्रह किया।
बता दें कि राहुल गांधी कांग्रेस में गांधी परिवार से बाहर के किसी नेता को अध्यक्ष बनाने पर जोर दे रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और तब से सोनिया गांधी बतौर अंतरिम अध्यक्ष इस जिम्मेदारी को संभाल रही हैं।
लेकिन गहलोत ने कहा है कि वह इस बारे में नहीं जानते और उन्हें इस बारे में मीडिया से पता चला है। उन्होंने कहा कि जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है, वह उसे पूरा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें आगामी गुजरात चुनाव के लिए पर्यवेक्षक बनाया गया है।
हालांकि अशोक गहलोत कई बार कह चुके हैं कि कांग्रेस के सभी नेता राहुल गांधी को ही अध्यक्ष के पद पर देखना चाहते हैं। गहलोत ने सोमवार को कहा था कि कांग्रेस तभी फिर से खड़ी हो सकती है जब राहुल गांधी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी को संभालें और ऐसा ना होने पर लोगों को निराशा होगी। उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी राहुल गांधी को मनाने की कोशिश करेगी।
कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अगर राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष न बनने की जिद पर अड़े रहे तो कोई भी उन्हें इस बात के लिए राजी नहीं कर सकता।
इस बीच कांग्रेस ने कहा है कि सोनिया गांधी राहुल और प्रियंका के साथ अपने मेडिकल चेकअप के लिए विदेश जा रही हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 21 अगस्त से शुरू होनी थी लेकिन राहुल गांधी के रूख की वजह से चुनाव कार्यक्रम जारी नहीं हो सका। जबकि कांग्रेस ने एलान किया था कि नया अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया 21 अगस्त से शुरू हो जाएगी और 20 सितंबर 2022 तक पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा।
अब कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अगस्त के अंत तक कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के कार्यक्रम का एलान हो सकता है।
दूसरी ओर, 7 सितंबर से कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा भी शुरू होने वाली है। 4 सितंबर को कांग्रेस ने दिल्ली में महंगाई पर हल्ला बोल रैली का आयोजन किया है।
अशोक गहलोत अगर कांग्रेस के अध्यक्ष बनते हैं तो राजस्थान में मुख्यमंत्री के पद पर सचिन पायलट की ताजपोशी हो सकती है। अशोक गहलोत के पास सियासत का लंबा अनुभव है और वह कांग्रेस में संगठन महासचिव के पद पर राहुल गांधी के सहयोगी के रूप में भी काम कर चुके हैं।
बीजेपी को दे सकेगी जवाब
गांधी परिवार से बाहर के किसी नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की सूरत में कांग्रेस बीजेपी के उस आरोप का भी जवाब दे सकेगी जिसमें बीजेपी कहती है कि कांग्रेस में गांधी परिवार से बाहर के किसी नेता को अध्यक्ष बनने का मौका बहुत मुश्किल से मिलता है। हालांकि कांग्रेस में नीलम संजीव रेड्डी से लेकर के. कामराज, एस. निजलिंगप्पा, जगजीवन राम, देवकांत बरुआ, पी.वी. नरसिम्हा राव, सीताराम केसरी सहित गांधी परिवार से बाहर के कई नेता कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं। लेकिन 1998 से पार्टी की कमान गांधी परिवार के पास ही है।
कौन हैं अशोक गहलोत?
अशोक गहलोत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से की और वह 1974 से 1979 तक राजस्थान एनएसयूआई के अध्यक्ष रहे। 1979 में उन्हें जोधपुर जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया और 1982 में वह राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने।
1985 में वह पहली बार राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने और उसके बाद कई बार इस पद पर चुने गए। गहलोत ने 1977 में सरदारपुरा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा था। 1980 में उन्होंने जोधपुर लोकसभा सीट से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता और 1984 में वह केंद्रीय मंत्री बने।
1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में गहलोत फिर से केंद्र सरकार में मंत्री बने। 1998 में कांग्रेस को राजस्थान में बड़ी जीत मिली थी और तब अशोक गहलोत पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। 2008 में अशोक गहलोत एक बार फिर मुख्यमंत्री बने और 5 साल तक इस पद पर रहे। 2013 में राजस्थान में कांग्रेस की करारी हार के बाद अशोक गहलोत को दिल्ली बुलाया गया और पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बनाया गया।
2018 में उन्हें एक बार फिर राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री बने।