बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न की घोषणा होते ही जाति जनगणना और कांशीराम को भारत रत्न क्यों नहीं जैसे मुद्दे फिर से गर्म हो गए हैं। भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस मुद्दे को विशेष रूप से उठाया। राहुल ने जाति जनगणना की मांग की। कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी यह मांग रखी। इसी तरह बसपा प्रमुख मायावती ने जहां कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा का स्वागत किया, वहां उन्होंने बसपा संस्थापक कांशीराम को भारत रत्न देने की मांग फिर से रखी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा- सामाजिक न्याय के अप्रतिम योद्धा जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी जन्म शताब्दी पर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। वह निश्चित ही भारत के अनमोल रत्न हैं और उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने के फैसले का स्वागत है। 2011 में हुई सामाजिक और आर्थिक जातीय जनगणना के नतीजों को भाजपा सरकार द्वारा छिपाना और राष्ट्रव्यापी जनगणना के प्रति उनकी उदासीनता सामाजिक न्याय के आंदोलन को कमज़ोर करने का प्रयास है।
राहुल गांधी ने कहा- 'न्याय में भागीदारी‘ भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पांच न्यायों में से एक प्रमुख न्याय और सामाजिक समानता का केंद्र बिंदु है, जिसकी शुरुआत सिर्फ जातिगत जनगणना के बाद ही हो सकती है। सही मायने में यही कदम जननायक कर्पूरी ठाकुर जी और पिछड़ों और वंचितों के अधिकारों के लिए उनके संघर्षों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगा। देश को अब ‘सांकेतिक राजनीति’ नहीं ‘वास्तविक न्याय’ चाहिए।
यह पहला मौका नहीं है, जब कांग्रेस ने जाति जनगणना का मुद्दा उठाया है। उसने पिछले छह महीने में इस मुद्दे को उठा रही है। भाजपा जो जाति जनगणना की मांग को खारिज कर रही है, ऐसी गतिविधियां कर रही है, ताकि जाति जनगणना की मांग करने वाली ओबीसी जातियां और इनसे जुड़े दल उससे दूर नहीं जाएं। बिहार में नीतीश कुमार ने जब जाति जनगणना की बात छेड़ी तो उसका सबसे बड़ा विरोध भाजपा ने किया। यहां तक की कोर्ट में जब मामला गया तो केंद्र सरकार के वकील ने उसके विरोध में दलीलें दीं। लेकिन कांग्रेस अब कर्पूरी ठाकुर के बहाने इस मुद्दे को फिर गरमा रही है।
तीन महीने पहले अक्टूबर में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद, पार्टी ने जोर देकर कहा कि अगर वह सत्ता में आती है, तो वह जाति जनगणना कराएगी और एक कानून के माध्यम से एससी, एसटी और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा को हटा देगी, ताकि उन्हें उनकी आबादी के अनुसार प्रतिनिधित्व दिया जा सके। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने पहली बार नारा दिया था- "जितनी आबादी, उतना हक।"
राहुल गांधी बराबर कहते रहे हैं कि पीएम मोदी जाति जनगणना कराने में असमर्थ हैं, क्योंकि वह ओबीसी कल्याण के लिए काम नहीं करते हैं। राहुल का कहना है कि “आरएसएस और मोदी ने अपने प्रतिनिधित्व के संबंध में सच्चाई से ओबीसी, दलितों और आदिवासियों का ध्यान भटकाने के लिए एक प्रणाली बनाई है। और मोदी मुख्य साधन हैं... उनका यही काम है कि भैया, ओबीसी की भागीदारी न हो... यानी उनका काम यह तय करना है कि ओबीसी का ध्यान भटक जाए, ताकि उन्हें उनका हक न मिले।”
मायावती ने भी दबाव बढ़ाया
कर्पूरी ठाकुर के बहाने बसपा प्रमुख मायावती ने भी मोदी सरकार से कांशीराम को भारत रत्न देने की मांग कर दी है। उन्होंने बुधवार 24 जनवरी को इस संबंध में ट्वीट भी किए। मायावती ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न की घोषणा का स्वागत किया। उन्होंने कहा- देश में खासकर अति-पिछड़ों को उनके संवैधानिक हक के लिए आजीवन कड़ा संघर्ष करके उन्हें सामाजिक न्याय व समानता का जीवन दिलाने वाले जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को आज (24 जनवरी) उनकी 100वीं जयंती पर अपार श्रद्धा-सुमन अर्पित।मायावती ने कहा- बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे देश के ऐसे महान व्यक्तित्व कर्पूरी ठाकुर जी को देर से ही सही अब भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करने के केन्द्र सरकार के फैसले का स्वागत। देश के इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए उनके परिवार व सभी अनुयाइयों आदि को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
बसपा प्रमुख ने कहा- इसी प्रकार दलितों एवं अन्य उपेक्षितों को आत्म-सम्मान के साथ जीने व उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए बीएसपी के जन्मदाता एवं संस्थापक मान्यवर कांशीराम जी का योगदान ऐतिहासिक व अविस्मरणीय है, जिन्हें करोड़ों लोगों की चाहत अनुसार भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करना जरूरी।
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जैसे-जैसे अभियान तेज होता जाएगा, इंडिया गठबंधन जाति जनगणना और बसपा कांशीराम के लिए भारत रत्न की मांग तेज करते जाएंगे। नवंबर 2023 में पांच राज्यों के चुनाव में विपक्ष ने यह मुद्दा उठाया था, लेकिन उसका कोई खास प्रभाव नहीं देखा गया। लेकिन विपक्ष को उम्मीद है कि कर्पूरी ठाकुर के बहाने लोगों का ध्यान अब जाति जनगणना की ओर जाएगा।