पेगासस मामले में बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं और दोनों ने तलवारों को म्यान से बाहर निकाल लिया है। कांग्रेस ने संसद में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है और इस वजह से संसद की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार पत्रकारों, नेताओं की जासूसी करवा रही है जबकि सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है।
कांग्रेस 21 जुलाई को देश के सभी राज्यों में इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेन्स करेगी जबकि 22 जुलाई को उसकी राज्य इकाइयां राजभवन के आगे धरना देंगी। दूसरी ओर, पेगासस मामले को लेकर बीजेपी भी विपक्ष के आरोपों का जोरदार जवाब देने जा रही है।
बीजेपी इस मुद्दे पर आक्रामक ढंग से जवाब देने के लिए अपने नेताओं को मैदान में उतारेगी। इसके तहत जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है, वहां पर उसके मुख्यमंत्री इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेन्स करेंगे जबकि जिन राज्यों में वह विपक्ष में है, वहां उसके नेता विपक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेन्स की है। सोमवार को भी बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतारा था।
टीएमसी ने किया प्रदर्शन
टीएमसी ने इस मुद्दे पर मंगलवार को संसद के बाहर गांधी प्रतिमा के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। महुआ मोइत्रा सहित कई सांसद इस मुद्दे पर हाथ में प्लेकॉर्ड लेकर आए। इनमें लिखा था कि लोगों की निगरानी करने के काम को बंद किया जाए और जासूसी का गुजरात मॉडल अब राष्ट्रीय स्तर पर आ चुका है।
टीएमसी के नेताओं ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री को संसद में आकर कहना चाहिए कि पेगासस के साथ हमारा कोई संबंध नहीं है। टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी का भी नाम उन लोगों में है, जिनकी जासूसी की गई। टीएमसी ने इस मामले के सामने आने के बाद केंद्र सरकार की आलोचना की है।
बता दें कि 40 पत्रकारों के फ़ोन टैपिंग की ख़बर सामने आने के बाद देश भर में हंगामा मचा हुआ है। ये पत्रकार 'हिन्दुस्तान टाइम्स', 'द हिन्दू', 'द इंडियन एक्सप्रेस', 'इंडिया टुडे', 'न्यूज़ 18' और 'द वायर' से जुड़े हैं। इसके अलावा विपक्षी दलों के नेताओं में राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की भी जासूसी किए जाने की बात सामने आई है।