अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने का वक़्त मांगा है। कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी और पूरे गांधी परिवार को लगातार निशाने पर लेते रहने वाले अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी के बीच गहरे मनमुटाव की ख़बरें आती रही हैं। ऐसे में क्या राहुल गांधी इसके लिए राजी होंगे? क्या कांग्रेस की विपक्षी एकता की मुहिम के लिए राहुल गांधी केजरीवाल के अनुरोध पर विचार करेंगे?
इस सवाल का जवाब तो राहुल और खड़गे ही दे सकते हैं, लेकिन जिस मुद्दे को लेकर केजरीवाल मिलना चाहते हैं और मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए भी इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है, 'भाजपा सरकार द्वारा पारित अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक अध्यादेश के खिलाफ संसद में कांग्रेस का समर्थन लेने और संघीय ढांचे व मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर हमले पर चर्चा करने के लिए आज सुबह कांग्रेस अध्यक्ष श्री खड़गे जी और श्री राहुल गांधी जी से मिलने का समय मांगा है।'
अरविंद केजरीवाल की कांग्रेस नेताओं तक पहुँचने की यह कोशिश तब सामने आई है जब वह कोलकाता में जाकर तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी, मुंबई में जाकर उद्धव ठाकरे, और एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिल चुके हैं।
केजरीवाल का कांग्रेस नेताओं से यह अनुरोध तब आया है जब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास चल रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों के नेताओं को मिलकर एकजुट कर रहे हैं। नीतीश कुमार अब तक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, तृणमूल नेता ममता बनर्जी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे, शरद पवार जैसे कई नेताओं से मिल चुके हैं।
इस बीच, 19 विपक्षी दल एकजुट नज़र आए भी हैं। नये संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किए जाने और उनके द्वारा उद्घाटन नहीं कराए जाने का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं।
दो दिन पहले 19 विपक्षी दलों ने साझा बयान जारी कर घोषणा की है कि वे रविवार के समारोह का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा नई संसद का उद्घाटन करने की योजना को 'लोकतंत्र पर सीधा हमला' बताया है। विपक्षी दलों ने बयान में कहा, 'यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है और संविधान की भावना का उल्लंघन करता है। यह समावेश की भावना को कमजोर करता है।' विरोध करने वाले दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, वामपंथी पार्टियाँ, तृणमूल और समाजवादी पार्टी आदि शामिल हैं।
इसी बीच एक घटनाक्रम ऐसा हो गया कि आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल बेचैन हो गए। केंद्र की मोदी सरकार दिल्ली के नौकरशाहों के नियंत्रण रखना चाहती है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश को ऑर्डिनेंस लाकर रद्द कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि नौकरशाहों के स्थानांतरण और नियुक्तियों पर दिल्ली में निर्वाचित सरकार का नियंत्रण है, न कि केंद्र का। लेकिन अब मोदी सरकार को ऑर्डिनेंस लाने के बाद संसद में विधेयक लाना होगा। यदि यह विधेयक संसद से पास हो गया तो केजरीवाल सरकार का नौकरशाहों पर नियंत्रण नहीं रहेगा। इसलिए केजरीवाल चाहते हैं कि उस विधेयक को विफल करने के लिए पर्याप्त समर्थन हासिल किया जाए। इसी को लेकर वह विभिन्न नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं।
कांग्रेस ने कहा था कि वह इस विषय पर आप का समर्थन करने के बारे में अपने क्षेत्रीय नेताओं से विचार-विमर्श करेगी।